हमने ऐसा बहुत सूना है कि बादाम को भीगो कर खाने से सेहत को काफी फायदे होते है लेकिन क्या आपने कभी किसी को मूंगफली को भीगो कर खाते हुए देखा है। शायद देखा होगा लेकिन बहुत कम देखा होगा। काफी समय से ऐसा कहा जाता है कि आपको ड्राई फ्रूट को भीगो कर खाने चाहिए क्योंकि इससे सेहत को दोगूना फायदा मिलता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मूंगफली को भिगोकर खाना भी सेहत को ढेर सारे फायदे दे सकता है। जी हां, आपने बिल्कुल ठीक पढ़ा। यही वजह है कि सद्गुरु से लेकर सेलिब्रिटी न्यूट्रीशनिस्ट रुजुता दिवेकर भी भिगोयी हुई मूंगफली (Soaked peanuts) खाने की सलाह देते हैं। आइए जानते हैं इसका सही तरीका।
इस बारे में ज्यादा बताते हुए डायटिशियन और वेट लॉस एक्सपर्ट बताती है कि भिगोने से किसी भी चीज को अंकुरण में मदद मिलेगी, उनकी पोषण सामग्री बढ़ सकती है। नट्स के छिलकों में फाइटेट्स और ऑक्सालेट होते हैं जो पोषक तत्वों, विशेष रूप से बी-विटामिन को ठीक से अवशोषित करने से रोकते हैं। भिगोने से इन फाइटेट्स के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है और नट्स को पचाना आसान हो जाता है। भिगोने के कारण ड्राई फ्रूट में मौजूद प्रोटीन आंशिक रूप से पच जाता है। इसलिए खाने से पहले नट्स को भिगोना अच्छा होता है।
मूंगफली को भिगोने से उनमें फाइटिक एसिड की मात्रा कम हो जाती है। फाइटिक एसिड को एक पोषक-विरोधी माना जाता है क्योंकि यह कैल्शियम, मैग्नीशियम और जिंक जैसे खनिजों से बंध सकता है, जिससे वे अवशोषति नही हो पाते है। भिगोने से फाइटिक एसिड को तोड़ने में मदद मिल सकती है, जिससे मूंगफली में पोषक तत्व पाचन और अवशोषण के लिए काफी आसान हो जाते है।
भिगोने से मूंगफली फाइटिक एसिड कम करती है, भिगोने से मूंगफली में आवश्यक खनिजों के अवशोषण में भी सुधार हो सकता है। इससे आपका शरीर नट्स में मौजूद मैग्नीशियम और आयरन जैसे खनिजों का बेहतर उपयोग कर सकता है। बेहतर पोषण का अवशोषण शरीर में कई तरह के फायदे पहुंचा सकता है।
कुछ लोगों को मुंगफली खाने से एलर्जी होती है। जिससे जिससे वो भिगो कर मूंगफली खाना पसंद करते है भीगो कर मूंगफली खाने से एलर्जेनिक क्षमता को कम करने में भी मदद मिल सकती है। मूंगफली में मौजूद कुछ तरह के प्रोटीन के प्रति काफी लोग संवेदनशील होते है जिससे उन्हे एलर्जी का सामना करना पड़ सकता है। नट्स को भिगोने से इनमें एलर्जी प्रतिक्रियाओं के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।
फाइटिक एसिड के अलावा, मूंगफली में लेक्टिन जैसे अन्य एंटी-पोषक तत्व भी हो सकते हैं। भिगोने से इन यौगिकों के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है, जिससे संभावित रूप से मूंगफली पाचन तंत्र के लिए आसान हो जाती है।
मूंगफली को एक कटोरे में रखें।
मूंगफली को पूरी तरह से डुबाने के लिए पर्याप्त पानी डाले।
यदि चाहें तो एक चुटकी नमक या अपनी पसंद का कोई अन्य स्वाद डाल सकते है।
मूंगफली को कई घंटों या रात भर के लिए भीगने दें। भिगोने का समय अलग-अलग हो सकता है लेकिन आम तौर पर 4 से 12 घंटे तक होता है।
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कस्टमाइज़ करेंभिगोने के बाद, मूंगफली को छान लें और अच्छी तरह से धो लें।
शिखा कुमारी बताती है कि यदि आप हल्का स्वाद पसंद करते हैं और अधिकतम पोषक तत्व बरकरार रखना चाहते हैं, तो आप कच्ची मूंगफली का विकल्प चुन सकते हैं।
यदि आप कुछ क्रंची खाना पसंद करते है और कुछ रोस्टिड स्वाद चाहते है तो आप भुनी हुई मुंगफली को प्राथमिकता दे सकते है।
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