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इम्युनिटी ही नहीं पार्टनर का स्पर्म काउंट भी बढ़ा सकता है कद्दू के पत्तों का साग, नोट कीजिए रेसिपी 

पार्टनर की फर्टिलिटी बढ़ाने से लेकर इम्यून सिस्टम तक मजबूत करते हैं कद्​दू के पत्ते। यहां है झटपट तैयार होने वाली रेसिपी।
लोहड़ी के मौके पर बनाए जाने वाले सरसों के साग को मक्की की रोटी के साथ परोसा जाता है। ये दोनों रेसिपीज़ शरीर के लिए फायदेमंद हैं। चित्र: शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Published: 1 Aug 2022, 18:42 pm IST
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अक्सर हम कद्​दू और कद्​दू के बीज को तो स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से आहार में शामिल कर लेते हैं, लेकिन पत्तों को फेंक देते हैं या उन्हें किचन में पकने वाली सामग्रियों में शामिल ही नहीं कर पाते हैं। जबकि मैं अपनी मां से सुनती आई हूं कि कद्​दू के पत्ते (Pumpkin leaves benefits) स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। इन्हीं पत्तों से चलिए आज बनाते हैं एक टेस्टी और हेल्दी रेसिपी (Pumpkin leaves recipe)। 

आयुर्वेद भी मानता है कि बारिश के मौसम में इसके प्रयोग से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। सबसे अच्छी बात कि आप कद्दू के बीजों से इन्हें अपने किचन गार्डन या बालकनी में गमले में भी उगा सकती हैं। 

पोषक तत्वों से भरपूर कद्​दू के पत्ते

कद्दू के पत्तों में विटामिन ए, सी, ई, बी2, विटामिन के, सोडियम और पोटैशियम भी प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। इसमें कैल्शियम और आयरन भी भरपूर होते हैं। यह बालों, दांतों, हड्डियों और त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। साथ ही ये कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी घटाते हैं।

यहां हैं कद्​दू के पत्तों से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ

  1. कैंसर से करता है बचाव

कद्दू के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। क्लोरोफिल, फेनोलिक कंपाउंड, सैपोनिन, टैनिन, फ्लेवोनोइड्स, ग्लाइकोसाइड्स और फाइटोस्टेरॉल जिनमें कीमो सप्रेसिव गुण होते हैं, ये कैंसर के विकास को रोकने में मदद करते हैं।

  1. ऐंठन से बचाते हैं 

ब्रेन डिसऑर्डर के कारण मसल्स का इनवॉलेंटरी संकुचन शरीर के अनियमित मूवमेंट का कारण बनता है। मिर्गी का दौरा भी ऐसी ही एक समस्या है। यह ब्लड में टॉक्सिंस या अन्य एजेंटों की उपस्थिति से जुड़ा होता है। वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति में इस विकार को रोकने और इलाज के लिए कद्दू के पत्तों का प्रयोग किया जाता है।

3 फर्टिलिटी बढ़ाते हैं

ओलिक एसिड, विटामिन ए, एल्कलॉइड, टैनिन और लिनोलिक एसिड जैसे खास गुण स्पर्म काउंट बढ़ाने में मददगार हैं। साथ ही ये महिलाओं में भी  इनफर्टिलिटी की समस्या को दूर करते हैं। यही वजह है कि आज भी बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में नव दंपत्ति को कद्​दू के पत्तों का साग या सब्जी खिलाने का प्रचलन है।

कड़े और बड़े पत्ते की बजाय नर्म-मुलायम और छोटे पत्तों का प्रयोग करें। चित्र:शटरस्टॉक

4 ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखते हैं 

कद्दू के पत्तों का हाइपोग्लाइसेमिक गुण ब्लड शुगर कम करने में मदद करता है। पत्तियों में एथिल एसिटेट और पॉलीसेकेराइड कंटेंट होता है। इसलिए गांवों में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में कद्दू के पत्तों का अर्क डायबिटीज पेशेंट को पिलाया जाता है। यह ग्लूकोज लेवल को कम करने में मदद करता है।

  1. यह प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है

कद्दू के पत्तों में मौजूद विटामिन और मिनरल्स इम्यून सिस्टम को बूस्ट करते हैं। ये न सिर्फ बारिश के दौरान होने वाले संक्रमण से बचाव करते हैं, बल्कि टॉक्सिंस को भी शरीर से बाहर निकाल सकते हैं। 

नर्म पत्तों का करें प्रयोग

ध्यान रहे कि कद्​दू के नए और छोटे पत्तों का ही खाने में इस्तेमाल करना चाहिए। यदि पत्तों के बगल से टिप निकल रहा है, तो उन पत्तों से परहेज करना ही बेहतर है। बड़े और मोटे पत्ते, टिप की बगल वाले पत्ते हार्ड होते हैं और उनका स्वाद भी थोड़ा कड़वा होता है। आप चाहें, तो कद्​दू के पत्तों को बारीक काटकर सैलेड में भी इस्तेमाल कर सकती हैं।

जानिए कैसे बनाना है कद्दू के पत्तों का साग 

250 ग्राम कद्​दू के नरम, मुलायम और ताजा पत्ते लें।

इसे खूब अच्छी तरह धो लें।

आधा बाउल पानी और एक टी स्पून नमक के साथ कुकर में मध्यम आंच पर 2 सीटी आने तक उबालें।

ठंडा होने पर मिक्सी में खूब अच्छी तरह पीस लें।

पैन में सरसों का तेल गर्म करें। हरी मिर्च, पीली सरसों, हींग डालकर चटका लें। इसमें पिसे कद्​दू के पत्तों को डालकर पानी सुखा लें। उतारते समय 1 टेबल स्पून नींबू का रस मिला दें।

लीजिए तैयार है पौष्टिक और स्वादिष्ट कद्​दू के पत्तों का साग। आप सादे चावल के साथ इसे चटखारे लेकर खाएंगी।

आप चाहें, तो प्याज, टमाटर, लहसुन पेस्ट के साथ भी इसे भून सकती हैं।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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