अक्सर हम कद्दू और कद्दू के बीज को तो स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से आहार में शामिल कर लेते हैं, लेकिन पत्तों को फेंक देते हैं या उन्हें किचन में पकने वाली सामग्रियों में शामिल ही नहीं कर पाते हैं। जबकि मैं अपनी मां से सुनती आई हूं कि कद्दू के पत्ते (Pumpkin leaves benefits) स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। इन्हीं पत्तों से चलिए आज बनाते हैं एक टेस्टी और हेल्दी रेसिपी (Pumpkin leaves recipe)।
आयुर्वेद भी मानता है कि बारिश के मौसम में इसके प्रयोग से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। सबसे अच्छी बात कि आप कद्दू के बीजों से इन्हें अपने किचन गार्डन या बालकनी में गमले में भी उगा सकती हैं।
कद्दू के पत्तों में विटामिन ए, सी, ई, बी2, विटामिन के, सोडियम और पोटैशियम भी प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। इसमें कैल्शियम और आयरन भी भरपूर होते हैं। यह बालों, दांतों, हड्डियों और त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। साथ ही ये कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी घटाते हैं।
कद्दू के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। क्लोरोफिल, फेनोलिक कंपाउंड, सैपोनिन, टैनिन, फ्लेवोनोइड्स, ग्लाइकोसाइड्स और फाइटोस्टेरॉल जिनमें कीमो सप्रेसिव गुण होते हैं, ये कैंसर के विकास को रोकने में मदद करते हैं।
ब्रेन डिसऑर्डर के कारण मसल्स का इनवॉलेंटरी संकुचन शरीर के अनियमित मूवमेंट का कारण बनता है। मिर्गी का दौरा भी ऐसी ही एक समस्या है। यह ब्लड में टॉक्सिंस या अन्य एजेंटों की उपस्थिति से जुड़ा होता है। वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति में इस विकार को रोकने और इलाज के लिए कद्दू के पत्तों का प्रयोग किया जाता है।
ओलिक एसिड, विटामिन ए, एल्कलॉइड, टैनिन और लिनोलिक एसिड जैसे खास गुण स्पर्म काउंट बढ़ाने में मददगार हैं। साथ ही ये महिलाओं में भी इनफर्टिलिटी की समस्या को दूर करते हैं। यही वजह है कि आज भी बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में नव दंपत्ति को कद्दू के पत्तों का साग या सब्जी खिलाने का प्रचलन है।
कद्दू के पत्तों का हाइपोग्लाइसेमिक गुण ब्लड शुगर कम करने में मदद करता है। पत्तियों में एथिल एसिटेट और पॉलीसेकेराइड कंटेंट होता है। इसलिए गांवों में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में कद्दू के पत्तों का अर्क डायबिटीज पेशेंट को पिलाया जाता है। यह ग्लूकोज लेवल को कम करने में मदद करता है।
कद्दू के पत्तों में मौजूद विटामिन और मिनरल्स इम्यून सिस्टम को बूस्ट करते हैं। ये न सिर्फ बारिश के दौरान होने वाले संक्रमण से बचाव करते हैं, बल्कि टॉक्सिंस को भी शरीर से बाहर निकाल सकते हैं।
ध्यान रहे कि कद्दू के नए और छोटे पत्तों का ही खाने में इस्तेमाल करना चाहिए। यदि पत्तों के बगल से टिप निकल रहा है, तो उन पत्तों से परहेज करना ही बेहतर है। बड़े और मोटे पत्ते, टिप की बगल वाले पत्ते हार्ड होते हैं और उनका स्वाद भी थोड़ा कड़वा होता है। आप चाहें, तो कद्दू के पत्तों को बारीक काटकर सैलेड में भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
250 ग्राम कद्दू के नरम, मुलायम और ताजा पत्ते लें।
इसे खूब अच्छी तरह धो लें।
आधा बाउल पानी और एक टी स्पून नमक के साथ कुकर में मध्यम आंच पर 2 सीटी आने तक उबालें।
ठंडा होने पर मिक्सी में खूब अच्छी तरह पीस लें।
पैन में सरसों का तेल गर्म करें। हरी मिर्च, पीली सरसों, हींग डालकर चटका लें। इसमें पिसे कद्दू के पत्तों को डालकर पानी सुखा लें। उतारते समय 1 टेबल स्पून नींबू का रस मिला दें।
लीजिए तैयार है पौष्टिक और स्वादिष्ट कद्दू के पत्तों का साग। आप सादे चावल के साथ इसे चटखारे लेकर खाएंगी।
आप चाहें, तो प्याज, टमाटर, लहसुन पेस्ट के साथ भी इसे भून सकती हैं।
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