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इस शोध के अनुसार दाल-चावल, साग-सब्जी भी दे सकते हैं आपके बच्चे को पूरा पोषण

खाने के टेबल पर शाक-सब्जियों से बने पकवान सजाकर अगर आप ये सोच रहीं हैं कि मेरे बच्चे का विकास मांस-मछली खाने वाले बच्चों से कम होगा, तो आप गलतफहमी में हैं क्योंकि कनाडा में हुए शोध में यह बात सामने आई है कि शाकाहारी बच्चे भी नॉनवेज खाने वाले बच्चों की ही तरह मजबूत और तेज़ होते हैं।
shakahari bachcho ka vikas manshahari walo ke barabar hota hai
फाइबर, विटामिन सी और विटामिन ई, फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, असंतृप्त वसा और कई फाइटोकेमिकल्स से भरपूर होते हैं शाकाहार।चित्र : शटरस्टॉक
Published On: 10 May 2022, 01:30 pm IST

अगर आप ये सोचकर परेशान रहती हैं कि मैं अपने बच्चे को खाने में केवल दाल, चावल, शाक-सब्जी व अन्य शाकाहारी भोजन परोसती हूं, इसलिए मेरा बच्चा बाकी बच्चों से कमजोर है, तो अब इस गलतफहमी से बाहर निकल आइए। क्योंकि हाल ही में कनाडा में इससे जुड़ा एक शोध सामने आया है, जिसमें दावा किया गया है कि वेज खाने वाले बच्चों (vegetarian foods benefits) का विकास नॉनवेज खाने वाले बच्चों से किसी भी मामले में कमतर नहीं होता है। आइए जानें आखिर क्या कहता है यह शोध।

क्या है पूरा शोध

इस शोध के लिए संत माइकल्स हॉस्पिटल ऑफ यूनिटी हेल्थ टोरंटो के शोधकर्ताओं ने कनाडा के करीबन 9,000 बच्चों को शामिल किया। और पाया कि वेज खाने वाले बच्चों (herbivorous) के शरीर का संपूर्ण विकास जैसे उनकी शारीरिक ग्रोथ और न्यूट्रीशन मांस-मछली खाने वाले बच्चों (carnivorous) के जैसी ही हो रही है।

पीडियाट्रिक्स में छपे इस शोध में यह भी बाताया गया कि कई बार केवल शाकाहार पर निर्भर रहने वाले बच्चों का वजन बाकियों (non-vegetarian) की तुलना में कम होता है। ऐसे बच्चों के खानपान का खास ख्याल रखने की जरुरत पड़ती है। इसलिए यह जरूरी है कि अगर आप शाकाहारी हैं, तो अपने बच्चे के खानपान और पोषण का विशेष ख्याल रखें।

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कैसे किया गया अध्ययन

इस स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने छह से आठ साल की आयु के 8,907 बच्चों को निगरानी में लिया और मूल्यांकन किया। TARGet Kids नाम से बनाए गए इस बैच में सभी बच्चे शामिल थे! इस सामुहिक स्टडी में साल 2008 से लेकर 2019 के बीच तक का डाटा जुटाया गया था। डाइट हैबिट के आधार पर TARGet Kids समूह के बच्चों को बांटा गया था यानी नॉनवेज और वेज खाने वाले बच्चों का अलग-अलग डाटा इकट्ठा किया गया था।

शोधकर्ताओं ने पाया कि मांस खाने वालों की तुलना में शाक-सब्जी व अन्य वेज पर निर्भर रहने वाले बच्चों में औसत बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई), ऊंचाई और शरीर में आयरन, विटामिन डी व कोलेस्ट्रॉल की मात्रा समान थी।

बदल रहीं हैं आहार संबंधी आदतें

शोध में इस बार का भी उल्लेख किया गया कि कनाडा के ज्यादातर लोग अब प्लांट बेस्ड डाइट की तरफ बढ़ रहे हैं। साल 2019 में, कनाडा की फूड गाइड में बदलाव किया गया और कनाडाई लोगों से अपील की गई कि वे बॉडी बिल्डिंग, शरीर को दुरुस्त और फिट बनाए रखने के लिए आहार में मांस-मछली के बजाय बीन्स और टोफू को ज्यादा वरीयता देने लगे हैं। मतलब खाने की टेबल पर मीट और बीन्स दोनों रखें हो तो बीन्स को खाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं।

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संत माइकल्स हॉस्पिटल ऑफ़ यूनिटी हेल्थ टोरंटो में बतौर बाल रोग विशेषज्ञ और इस शोध के प्रमुख लेखक डॉ. जोनाथन मैगुइरे बताते हैं कि कनाडाई लोगों के बीच प्लांट बेस्ड डाइट की लोकप्रियता पिछले 20 सालों में लगातार बढ़ी है। हालांकि अभी तक वह इससे जुड़ा शोध नहीं देख पाए थे कि कनाडा में केवल वेज का सेवन कर रहे बच्चों के न्यूट्रीशन पर उनके आहार का क्या असर हो रहा है।

अब इस शोध का रिजल्ट सामने आने के बाद ये पता चल गया कि वेज खाने वाले कनाडाई बच्चों के शरीर का विकास और न्यूट्रीशन नॉनवेज खाने वाले बच्चों के समान ही है।

डाइट में केवल वेज लेने वाले लोगों का वजन सामान्यतः कम होता है। जो बच्चे इस स्थिति में होते हैं उन्हें क्वालिटी फूड दिए जाने की ओर ध्यान देना चाहिए। ताकि उन्हें बेहतर न्यूट्रीशन मिल सके और उनका विकास ठीक से हो सके।

शाकाहार भी दे रहा है पर्याप्त पोषण

संत माइकल हास्पिटल में एमएपी सेंटर फॉर अर्बन हेल्थ सॉल्यूशंस के वैज्ञानिक डॉ मैगुइरे बताते हैं कि वेज खाना अधिकांश बच्चों के लिए पर्याप्त होता है। इस स्टडी की एक सीमा यह है कि शोधकर्ताओं ने वेज खाने की क्वालिटी का आकलन नहीं किया है। शोधकर्ताओं ने ध्यान दिया कि वेज आहार कई रूपों में मौजूद है और आहार की क्वालिटी हर एक बच्चे के विकास और न्यूट्रीशन संबंधी रिजल्ट के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो सकती है।

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वजन कम हो तो ध्यान देना है जरूरी

शोध में देखा गया कि वेज खाने वाले बच्चों में कम वजन होने की संभावना लगभग दो गुना अधिक थी, जो इस बात को परिभाषित करता है कि बाकीयों की तुलना में उनकी बॉडी मास इंडेक्स तीन फीसदी नीचे रही। हालांकि इस शोध का संबंध शरीर के अधिक वजन या मोटापे से नहीं था और न ही इसका कोई पुख्ता सबूत मिल पाया।

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बच्चे का वजन कम हो तो क्वालिटी फूड खिलाएं । चित्र : शटरस्टॉक

बच्चों के शरीर का वजन कम होना उनके कुपोषित होने की ओर इशारा करता है। शोधकर्ताओं ने स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने वाले लोगों पर जोर देते हुए सलाह दी है कि जो बच्चें खाना में केवल वेज लेते हैं उन्हें खास निगरानी की जरुरत पड़ती है। ऐसे बच्चों का संपूर्ण विकास तभी संभव हो सकता है जब उन्हें खाना मुहैया कराने वाले पैरेंट्स व अन्य ​​शिक्षित होंगे और इस बात से भलीभांति परिचित होंगे कि उनके बच्चे के शारीरिक विकास व बेहतर न्यूट्रीशन के लिए कौन सी आहार दी जानी जरुरी है।

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शैशवावस्था और बचपन में वेज खिलाए जाने को लेकर अंतर्राष्ट्रीय गाइलाइन में कई सिफारिशें दी गई हैं, और ये गाइलाइन वेज और बच्चों के विकास व न्यूट्रीशन से जुड़ी पिछली कुछ स्टडी पर आधारित है। इस अंतर्राष्ट्रीय गाइलाइन की सिफारिशों के मुताबिक फलों, सब्जियों, फाइबर, साबुत अनाज, और कम सेटुरेटेड फैट का चलन तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए पौधे से हासिल होने वाले आहारों को स्वस्थ खानपान का बेहतर विकल्प बताया जाता है। कुछ अध्ययनों ने बचपन के विकास और न्यूट्रीशन को लेकर वेज खाने के प्रभाव का मूल्यांकन भी किया है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि अगली स्टडी वेज आहार की क्वालिटी से बच्चों के शरीरिक विकास और न्यूट्रीशन पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर की जानी चाहिए। इस स्टडी में उन बच्चों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए जो मांस या जीव से उपजे जैसे डेयरी, अंडा और शहद चीजों का सेवन नहीं कर रहे हो।

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लेखक के बारे में
मिथिलेश कुमार पटेल
मिथिलेश कुमार पटेल

भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा कर चुके मिथिलेश कुमार सेहत, विज्ञान और तकनीक पर लिखने का अभ्यास कर रहे हैं।

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