विशेषज्ञों के अनुसार डार्क चॉकलेट कम कर सकती है हृदय संबंधी बीमारियों का जोखिम, जानिए कैसे

विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि अगर आप हृदय संंबंधी बीमारियों के जोखिम से बचना चाहते हैं, तो हमेशा सही चाॅकलेट का चुनाव करें। मगर सही मात्रा में।
dark chocolate ke fayade aur inhe kharidnne ka sahi tarika
डार्क चॉकलेट खाने से आप लंबे समय तक संतुष्ट रहती हैं, और आपको बार बार भूख नहीं लगती। चित्र: शटरस्टॉक
Dr. Nitin Kumar Rai Published: 1 Nov 2021, 03:00 pm IST
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कार्डियोवैस्क्यूलर बीमरियां (Cardiovascular Diseases) दुनिया भर में लोगों की सेहत खराब होने और मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। इन बीमारियों में कोरोनरी हार्ट डिजीज़ (Coronary Heart Disease) और जलन पैदा करने वाले स्ट्रोक (Stroke) शामिल होते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, 2020 में करीब 1.67 करोड़ मौतें इन बीमारियों की वजह से हुईं और 2030 तक यह आंकड़ा संभवत: 2.33 करोड़ के खतरनाक स्तर तक पहुंच सकता है। पर अगर आप अपने आहार डार्क चॉकलेट (Dark Chocolate) शामिल करते हैं, तो इस जोखिम से बचा जा सकता है।

इसलिए ऐसी कार्डियो मेटाबॉलिक बीमारियों से बचाव के लिए प्रभावी रणनीति, सार्वजनिक स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार लाने और इसकी वजह से पड़ने वाले सामाजिक और आर्थिक बोझ को कम करने के लिए जागरुकता होना बेहद ज़रूरी है।

जीवनशैली है अच्छे या बुरे स्वास्थ्य का आधार 

खानपान आपकी जीवनशैली का बदला जा सकने वाला ऐसा प्रमुख तत्व है, जो कार्डियो मेटाबॉलिक बीमारियों की रोकथाम और उन्हें नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है।

Heart related disease ka jokhim badh raha hai
दुनिया भर में हृदय संबंधी बीमारियों का जोखिम बढ़ रहा है। चित्र: शटरस्टॉक

चॉकलेट पूरी दुनिया में वर्षों से खाई जाने वाली बेहद लोकप्रिय और सेहतमंद चीज़ है। लेकिन बीते दिनों में इसे कार्डियो मेटाबॉलिक सेहत में इसके संभावित फायदों के लिए काफी पसंद किया जा रहा है।

हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है चॉकलेट 

कई प्रायोगिक और क्लिनिकल ट्रायल और अध्ययनों से यह संकेत मिलते हैं कि चॉकलेट, ऑक्सीडेटिव तनाव, जलन, ऐंडोथेलियल डिस्फ़ंक्शन और ऐथेरोजेनेसिस से बचाने में अहम भूमिका निभाता है। इसकी वजह से बीते कुछ वर्षों में सेहत पर चॉकलेट के प्रभाव को लेकर कई क्लिनिकल शोध हुए हैं।

इन प्रभावों की पुष्टि फीडिंग ट्रायल्स के हाल में हुए मेटा-एनालिसिस में भी हुई है। जिससे लिपिड प्रोफाइल्स, ब्लड प्रेशर और इंसुलिन सेंसिटिविटी जैसे कार्डियो मेटाबॉलिक जोखिमों पर चॉकलेट के सकारात्मक प्रभावों की बातों को भी बल मिलता है।

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क्यों खास है चॉकलेट 

चॉकलेट, फ्लैवोनॉयड्स का स्रोत है और इसमें खास तौर पर ऐपिकेटेचिन, कैटेचिन और प्रोकाएनिडिन (कैटेचिन और ऐपिकैटेचिन के पॉलीमर) भरपूर मात्रा में होते हैं।

ब्लड प्रेशर को कम करती है चॉकलेट 

ये फ्लैवोनॉयड्स, ऐंटीऑक्सीडेंट्स, ऐंटीप्लेटलेट्स और ऐंटी-इंफ़्लेमेट्री प्रभावों के साथ-साथ ब्लड प्रेशर को कम करने, हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने, लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल ऑक्सीडेशन को कम करने और ऐंडोथेलियल फ़ंक्शन में सुधार करने समेत कई बायोलॉजिकल मैकेनिज़्म के माध्यम से स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में मदद करता है।

कोको की अधिक मात्रा से भरपूर चॉकलेट जैसे कि डार्क चॉकलेट में फ्लैवोनॉयड्स अधिक मात्रा में होते हैं। इसके अलावा, शॉर्ट-टर्म रैंडम फीडिंग ट्रायल्स के नतीज़ों से पता चलता है कि चॉकलेट खाने से ब्लड प्रेशर कम होता है, जो स्ट्रोक के लिए जोखिम का सबसे बड़ा खतरा है।

क्या कहते हैं अध्ययन 

चॉकलेट खाने और स्ट्रोक के खतरे के बीच के आपसी संबंध के बारे में 4 संभावित अध्ययनों में परखा गया है। उन अध्ययनों में पाया गया कि चॉकलेट खाना महिलाओं और पुरुषों में स्ट्रोक के कम जोखिम से जुड़ा है। लेकिन 2 अध्ययनों में इन परिणामों को आंकड़ों के आधार पर परखा गया।

chocolate oxidative stress ko kam karti hai
चॉकलेट ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करती है। चित्र: शटरस्टॉक

“आधारभूत विज्ञान के हिसाब से बहुत ही सरल तरीके से पता चलता है कि कम से कम 70 फीसदी कोकोआ वाला डार्क चॉकलेट ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है। जिससे वैस्क्यूलर और प्लेटलेट फ़ंक्शन को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।”

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कई शॉर्ट-टर्म फीडिंग ट्रायल्स में पता चला है कि चॉकलेट या कोको से जुड़े उत्पाद खाने से सिस्टॉलिक और डायस्टॉलिक ब्लड प्रेशर कम करता है। खास तौर पर हाइपरटेंशन से पीड़ित मरीज़ों में।

कितनी चॉकलेट खाना है सेहत के लिए फायदेमंद 

चॉकलेट से मिलने वाले सेहत संबंधी फायदे आपको मिलें, इसके लिए सबसे ज़रूरी है उसकी सीमित मात्रा। चॉकलेट के 100 ग्राम के बार में करीब 500 कैलोरी होती हैं और अधिक मात्रा में खाने से वज़न बढ़ सकता है जो सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है।

एक ट्रायल में चॉकलेट की खपत और इंसिडेंट डायबिटीज़ के बीच डोज़ और उसकी प्रतिक्रिया के संबंध के बारे में अध्ययन किया गया। डोज़ रिस्पॉन्स कर्व अंग्रेज़ी भाषा के जे (J) के आकार का पाया गया जिसका मतलब है कि सीमित मात्रा में (1-6 बार/सप्ताह) चॉकलेट खाने से डायबिटीज़ का खतरा कम होता है जबकि अधिक मात्रा में खाने में ऐसा फायदा नहीं मिलता है।

इसके उलट सीएचडी और स्ट्रोक के लिए डोज़ रिस्पॉन्स पैटर्न जे आकार में नहीं था, बल्कि ज़्यादा मात्रा में चॉकलेट खाने से जोखिम कम होता पाया गया (3 से ज़्यादा बार प्रति सप्ताह)।

कुल मिलाकर, यह ज़रूरी है कि हम ज़्यादा मात्रा में चॉकलेट खाने के बुरे प्रभावों के प्रति सावधान रहें। ऐसा इसलिए भी क्योंकि जब चॉकलेट ज़्यादा मात्रा में खाई जाती है, तो अधिक कैलोरी की वजह से वज़न बढ़ता है। जो उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़, स्ट्रोक, डिस्लिपिडेमिया और कार्डियोवैस्क्यूलर बीमारियों के लिए जोखिम की प्रमुख वजह है।

इसलिए अगर इसे सीमित मात्रा में न लिया जाए, तो फ्लैवोनॉयड्स के अच्छे असर कम हो सकते हैं।  बाज़ार में उपलब्ध चॉकलेट उत्पादों के बुरे प्रभावों की वजह से खत्म भी हो सकते हैं।

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Dr. Nitin Kumar Rai is Consultant, Neurology, Fortis Escorts, Okhla, New Delhi. ...और पढ़ें

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