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आयुर्वेद के अनुसार क्या है विरुद्ध आहार, जानिए आपको इनसे क्यों बचना चाहिए

हेल्दी और फिट रहने के लिए सिर्फ सही खाद्य पदार्थों का चुनाव करना ही काफी नहीं है, बल्कि उन्हें सही समय पर और सही तरीके से खाना भी जरूरी है। यहां हम डाइट की सबसे कॉमन गलतियों के बारे में बता रहे हैं।
Published On: 23 Feb 2023, 11:40 am IST
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आयुर्वेद में खान पान का तरीका और नियम बहुत महत्तवपूर्ण है। विरुद्ध आहार का नियम उन्ही नियमों में से एक है। चित्र : अडोबी स्टॉक

हम सभी जानते हैं कि फिट और हेल्दी रहने के लिए सही पोषण की जरूरत होती है। मगर हम में से बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि, कई बार हेल्दी फूड भी आपके शरीर पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है। ऐसा तब होता है, जब आप उसे किसी ऐसे आहार के साथ ले रहे होते हैं, जो उसके पोषक तत्वों को नष्ट कर देता है। इसी को आयुर्वेद में विरुद्ध आहार (Incompatible Diet) कहा जाता है। यानी एक आहार दूसरे आहार के पोषक तत्वों को नष्ट कर रहा है।

शादियों या पार्टियों में लोग बिना सोचे-समझे कुछ भी खाते रहते हैं। यही हालत घर से बाहर खाना खाने के दौरान भी होती है। जिसका स्वास्थ्य पर काफी गलत प्रभाव पड़ता है। कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिनकी तासीर एक-दूसरे के साथ मेल नहीं खाती, जैसे दूध और मछली। इन्हें एक साथ खाने से आपको दोनों में से एक पोषण भी नहीं मिल पाता। ये दोनों ही एक-दूसरे के पोषक तत्वों को नष्ट कर देते हैं। यही विरुद्ध आहार (viruddh aahar) हैं जो आपके पाचन तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं।

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समझिए क्या होता है विरुद्ध आहार (what is Incompatible Diet)

आयुर्वेद (Ayurveda) में खान पान का तरीका और नियम बहुत महत्तवपूर्ण है। विरुद्ध आहार का नियम उन्ही नियमों में से एक है। कई बार ऐसा होता है कि हम किसी भी खाद्य पदार्थ के साथ कुछ भी खा लेते है। कुछ खाद्या पदार्थ ऐसे होते है जो सिर्फ अकेले खाने पर ही शरीर के लिए फायदेमंद होते है अगर उन्हे किसी और दूसरी चीज के साथ खाया गया तो ये नुकसानदायक हो सकते है। इन्ही खाद्य पदार्थों को आयुर्वेद में विरुद्ध खाद्य पदार्थ कहा गया है। कई आधारों पर विरुद्ध खाद्य पदार्थों को बांटा गया है। जैसे देश के आधार पर, मौसम के आधार पर, पाचन के आधार पर और मात्रा के आधार पर आदि।

लंबे समय तक विरुद्ध आहार का सेवन करने से कई तरह की बिमारी भी हो सकती है। विरुद्ध आहार शरीर में कई तरह के टॉक्सीन को पैदा करता है। जिससे शरीर में गंदगी पैदा होती है।

आयुष मंत्रालय आयुर्वेद के नियमों और सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार कर रहा है। इसके अनुसार हमारा पूरा स्वास्थ्य इस बात पर निर्भर करता है कि हम क्या खाते हैं। आयुर्वेद में स्वास्थ शरीर धातुओं (ऊतकों), दोषों, अग्नि (विषाक्त पदार्थों को खत्म करने) और प्रसन्न मन के संतुलन से होता है। इन सभी को संतुलित रखने के लिए भोजन महत्तवपूर्ण है।

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आयुर्वेद के अनुसार“आत्मसात, अवशोषण और उन्मूलन की प्रक्रिया से भोजन पचता है। चित्र: शटरस्टॉक

धातु, अग्नि और पाचन कैसे जुड़े हैं?

आयुर्वेद (Ayurveda) के अनुसार“आत्मसात, अवशोषण और उन्मूलन की प्रक्रिया से भोजन पचता है। ये सभी अग्नि (fire) के चारों ओर घूमते हैं। जो भोजन को ऊर्जा में बदलती है, धातुओं (ऊतकों) को पोषण देती है। यदि अग्नि शरीर में असंतुलित या अशांत हो जाती है, तो यह ऊर्जा को असंतुलित करती है और रोगों का कारण बनती है।

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हम जो भोजन करते हैं वह अपने क्रम में अलग-अलग चीजों में परिवर्तित होता है। जब सही चीजों का सेवन किया जाए तो सब संतुलित रहता है लेकिन विरुद्ध अन्न का सेवन करने से सब असंतुलित होता है। विरुद्ध अन्न शरीर में चयापचय को बाधा पहुंचाता है और ऊतकों को पोषण नहीं मिलता है।

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विरुद्ध आहार के कुछ उदाहरण (examples of Incompatible Diet)

संस्कार विरुद्ध (प्रसंस्करण असंगतता) – गर्म शहद का सेवन करना

क्रम विरुद्ध – शहद लेने के बाद गर्म पानी पीना

मात्रा विरुद्ध (खुराक असंगति) – शहद और गाय का घी समान अनुपात में मिश्रित करके खाना

वीर्य विरूद्ध (शक्ति असंगति) – मछली और दूध का साथ में सेवन

काल विरुद्ध – (समय की असंगति) गर्मियों में तीखा पदार्थ और सर्दियों में ठंडे पदार्थ खाना

क्रम विरुद्ध (आदेश असंगति) – रात में दही खाना

परिहार विरुद्ध (प्रतिबंध असंगति) – गर्म चाय या कॉफी पीने के तुरंत बाद ठंडे पानी का सेवन करना

दैनिक जीवन में खानपान की ये आम गलतियां हैं विरुद्ध आहार के उदाहरण

1 गार्लिक ब्रेड और चाय (garlic bread and tea)

चाय में एक पदार्थ होता है जिसे कुमेरिन्स (Coumarins) कहा जाता है। यह शरीर में खून के थक्को का कारण बन सकता है। चाय को जब लहसुन युक्त किसी भी आहार के साथ लिया जाता है, तो यह आपके शरीर में खून के जमने का कारण बन सकता है। इसलिए चाय के साथ कभी भी गार्लिक ब्रेड या गार्लिक टेस्ट की चिप्स, वेफर्स वगैरह न लें।

2 ग्रीन टी या ब्लैक टी में दूध मिलाना (green tea and black tea with milk)

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसन के अनुसार चाय में कैटेचिन नामक फ्लेवोनॉयड्स होते हैं, जो हार्ट के स्वास्थय के लिए फायदेमंंद है। जब चाय में दूध को मिलाया जाता है, तो दूध मे पाया जाने वाला कैसिइन प्रोटीन, कैटेचिन के प्रभाव को कम कर देता है। इसलिए आयुर्वेद में चाय के साथ दूध के उपयोग को मना किया जाता है।

Raita benefits
कुछ ऐसी चीजें होती है जिसका सेवन एक साथ करने से बचना चाहिए। चित्र : शटरस्टॉक

3 रायता और खीर एक ही मील में लेना (raita and kheer togeather)

यह सबसे कॉमन गलती है, जो ट्रेडिशनल इंडियन थाली के नाम पर लगभग हर जगह दोहरायी जा रही है। जिसमें एक ही थाली में दूध से बनी खीर और दही से बना रायता या छाछ परोसी जाती है।

अगर दूध और दही का सेवन एक साथ किया जाता है, तो यह दूध को पेट में जमा देता है, जिससे आपको पेट में घाव हो सकता है या जलन महसूस हो सकती है। इसलिए इन दोनों चीजों को एक साथ खाने से आपको हमेशा बचना चाहिए।

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लेखक के बारे में
संध्या सिंह
संध्या सिंह

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं।

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