ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान न्यू मॉम का खानपान बच्चे और मां दोनों की सेहत को तय करता है। हेल्दी मील लेने से बच्चे को सभी पोषक तत्वों की प्राप्ति होने लगती है। इससे बच्चा हेल्दी और कई रोगों से मुक्त रहता है। अगर स्तनपान करवाने वाली महिला खुद को कमज़ोर और थका हुआ महसूस करती है, तो ऐसे में उनकी डाइट को इंप्रूव करने की आवश्यकता होती है। डेली डाइट में बरती गई अनियमितताएं शरीर में कैल्शियम और प्रोटीन के स्तर को कम कर देता है। इसके चलते हड्डियों में दर्द, हेयरफॉल और थकान का सामना करना पड़ता है। जानते हैं स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को क्या खाना चाहिए।
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ हेल्थ के अनुसार ब्रेस्ट मिल्क बच्चे के लिए एक संपूर्ण मील है। इससे बच्चे को 87 फीसदी पानी, 7 फीसदी कार्ब्स, 3.8 फीसदी फैट्स, और 1 फीसदी प्रोटीन की प्राप्ति होती है। रिसर्च के अनुसार वे महिलाएं, जो ब्रेस्ट फीड करवाती हैं, उनमें डायबिटीज़ और हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा तनाव की समस्या से मुक्ति मिलती है और वो माताएं बच्चे से कनेक्टिड रहती है।
इस बारे में डायटीशियन नुपूर पाटिल बताती हैं कि स्तनपान के दौरान न्यू मॉम्स को कैलोरीज़ अपने आहार में शामिल करनी चाहिए। दरअसल, ब्रेस्ट फीडिंग के चलते मां को 500 से 600 अतिरिक्त कैलोरीज़ लेनी चाहिए। इससे बार बार होने वाली क्रेविंग से बचा जा सकता है। वहीं 6 महीने के बाद जब बच्चा सॉलिड डाइट लेने लगता है, तो उस वक्त कैलोरीज़ में कटौती की जा सकती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोरनिया सेन फ्रांसिसको के अनुसार ब्रेस्टफीड करवाने वाली महिलाओं को दिनभर में 2 से 3 प्रोटीन रिच मील्स अवश्य लेनी चाहिए। इसमें दूध, योगर्ट, चीज़, बीन्स, अण्डे और मीट को सम्मिलित करें। इससे मसल्स ग्रोथ और रिपेयर में मदद मिलती है। साथ ही मांसपेशियां मज़बूत होती हैं, जिससे बार बार होने वाली थकान और कमज़ोरी से बचा जा सकता है।
एनआईएच की एक स्टडी के अनुसार स्तनपान के पहले छह महीनों के भीतर हाइपोएस्ट्रोजेनिक स्टेट और कैल्शियम की कमी के चलते 4 से लेकर 6 फीसदी तक बोन लॉस की समस्या का सामना करना पड़ता है। बोन हेल्थ को मज़बूती प्रदान करने और शरीर में कैल्शियम की नियमित मात्रा को बनाए रखने के लिए दूध, दही और पनीर का सेवन करें। रिसर्च के मुताबिक लैक्टेटिंग मदर्स को रोज़ाना 1, 300 मिलिग्रास कैल्शियम की आवश्यकता होती है और 1 कप दूध से 300 मिलिग्रास कैल्शियम की कमी पूरी होती है।
पानी की कमी के चलते दूध न आने की समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा स्तनपान के दौरान बार बार प्यास भी लगती है। ऐसे में शरीर को निर्जलीकरण से बचाने के लिए उचित मात्रा में पानी पीएं और शरीर को हाइड्रेट रखें। इसके अलावा जूस, दूध, सूप और हेल्दी तरल पदार्थों से शरीर को ज़रूरी मिनरल्स की प्राप्ति होती है और इलैक्टरालाइट्स की मात्रा उचित बनी रहती है। स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को दिन में 8 गिलास पानी पीना चाहिए।
शरीर को हेल्दी बनाए रखने के लिए शरीर में मिनरल्स की उचित मात्रा का होना बेहद आवश्यक हैं। जिंक और आयन ऐसे ज़रूरी मिनरल है, जिससे मेटबॉलिज्म बूस्ट होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है। नट्स, सीड्स, बीन्स, मीट और एग योल्क से शरीर में इन पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जा सकता है।
स्तनपान के दौरान ओमेगा 3 फैटी एसिड को आहार में शामिल करने से बच्चे और मां दोनों के लिए ही फायदेमंद है। एनआईएच के अनुसार वे बच्चे जिन्हें आहार में ओमेगा 3 फैट डोकोसाहेक्साएनोइक एसिड की प्राप्ति होती है। उनमें बेहतर विजन और न्यूरो डेवलपमेंट उचित होता है।
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