तंबाकू, रासायनिक द्रव्य बनाने वाली फैक्ट्रियों और काेयला खदानों में काम करने वाले मजदूरों को लंग हेल्थ एक्सपर्ट हर रोज गुड़ खाने की सलाह देते हैं। गुड़ वास्तव में आपके फेफड़ों और श्वास नली को प्राकृतिक रूप से क्लीन करने में मदद करता है। अब जब दिल्ली-एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 451 से भी ऊपर अधिक खराब हो गया है, तब यहां रहने वाले लोगों के लिए भी गुड़ एक जरूरी सुपरफूड हो गया। बढ़ते प्रदूषण के बीच आइए जानते हैं, क्या हैं गुड़ खाने के फायदे (Jaggery benefits in increasing pollution)।
दुनिया भर में उत्पादित गुड़ का 70 फीसदी हिस्सा भारत का है। भारतीयों के लिए यही मिठाई की सबसे पुरानी रेसिपी है। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सर्दी हो या गर्मी, हमारे पास इसे हर मौसम में खाने की अलग-अलग रेसिपीज हैं। गुड़ का शरबत हो या गुड़ भरकर बनाई गई पूरणपोली, ये ट्रेडिशनल भारतीय व्यंजनों की सामग्री है। गुड़ का परांठा बनाना और दूध के साथ गुड़ खाना सर्दियों की रसोई की खासियत हैं।
हालांकि गुड़ मीठे का ही एक रुप है, लेकिन इसमें चीनी की तुलना में कम सुक्रोस पाया जाता है। चीनी में जहां 99 फीसदी सुक्रोस होता है, वहीं गुड़ में इसकी मात्रा 70 फीसदी के लगभग होती है। गन्ने के रस को पकाकर बनाए जाने वाले गुड़ में वे सभी खनिज मौजूद होते हैं, जो रिफाइंड शुगर से प्रोसेसिंग के दौरान निकाल दिए जाते हैं। पोषक तत्वों की बात करें तो गुड़ में विटामिन ए, सी और ई पाया जाता है। इसके साथ ही यह आयरन का सबसे रिच सोर्स भी माना जाता है।
इंडस्ट्रियल टॉक्सीकॉलोजी रिसर्च सेंटर, लखनऊ के लिए किए गए एक शोध में आनंद पी साहू और अशोक के सक्सैना ने फेफड़ों पर गुड़ खाने के प्रभाव पर शोध किया। अकसर फैक्ट्रियों और काेयला खदानों में काम करने वाले मजदूरों को हर रोज गुड़ खाने की सलाह दी जाती है। इस तथ्य के तर्क जुटाने के लिए वैज्ञानिकों ने कोयला खदानों में मौजूद चूहों को हर रोज 5 ग्राम गुड़ का सेवन 90 दिनों तक करवाया।
इसके बाद जो निष्कर्ष सामने आए, उनमें देखा गया कि गुड़ खाने वाले चूहों के फेफड़ों पर कोयले की धूल का प्रभाव कम हुआ। साथ ही कार्बनडाइऑक्साइड के कारण पेट में हुए घावों को भरने में भी गुड़ ने मदद की। इसलिए प्रदूषित इलाकों में रहने वाले लोगों को हर रोज गुड़ की एक डली, कम से कम पांच ग्राम का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
आयुर्वेद में गुड़ को प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर कहा गया है। गुड़ भारत में गन्ना, पाम और खजूर से बनाया जाता है। तीनों ही प्रकार के गुड़ आपके फेफड़ों को साफ करने में मदद करते हैं। अगर गुड़ की एक डली का हर रोज़ सुबह खाली पेट सेवन किया जाए, तो इससे लंग इंफेक्शन से बचाव करने में मदद मिलती है।
बढ़ते प्रदूषण की सबसे बड़ी समस्या है शरीर में ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाना। बाहर की प्रदूषित हवा के कारण फेफड़ों में विषैले पदार्थ जमा होने लगते हैं। जिसकी वजह से कार्बनडाइऑक्साइड को बाहर निकालने और ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता कम हो जाती है। जबकि गुड़ फेफड़ों की सफाई कर शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाता है।
प्रदूषण के कारण होने वाली कोशिकाओं की क्षति से बचाने में भी गुड़ मददगार है। इंडस्ट्रियल टॉक्सीकॉलोजी रिसर्च सेंटर, लखनऊ के उपरोक्त शोध में ही जब चूहों को हर दिन गुड़ का सेवन करवाया गया, तो उनके पेट में धुएं और धूल से हुए घावों को भरने में मदद मिली। प्रदूषण के कारण कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिन्हें रिपेयर करने में यह मददगार साबित होता है।
डॉ. पार्थिव शाह, मुंबई में कंसल्टेंट चेस्ट फिजिशियन हैं। वे एलर्जी, अस्थमा, सीओपीडी, एमडीआर-टीबी, श्वसन संक्रमण, ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया और फेफड़ों संबंधी समस्याओं के विशेषज्ञ हैं। डॉ शाह कहते हैं, “अत्यधिक प्रदूषण शरीर में हाइड्रॉक्सीप्रोलाइन का स्तर बढ़ा देता है। जिससे फेफड़ों के ऊतक प्रभावित होने लगते हैं। यह स्थिति अगर लगातार रहे तो हालात नाजुक हो सकते हैं। इसलिए इस मौसम में आपको ऐसे फूड्स का सेवन करना चाहिए जो हाइड्रॉक्सीप्रोलाइन के स्तर को कंट्रोल कर सके।”
उपरोक्त अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि गुड़ हाइड्रॉक्सीप्रोलाइन के स्तर को कम करता है, जिससे प्रदूषण का प्रभाव आपकी सेहत पर कम पड़ता है। और आप प्राकृतिक रूप में सुरक्षित हो जाते हैं।
भारत और एशिया में ही नहीं, दुनिया भर में हुए शोध गुड़ को प्रदूषण के खिलाव एक प्रभावी सुपरफूड्स मानते हैं। रिसर्चगेट में प्रकाशित एक शोध में कहा गया है कि, इस समय की सबसे बड़ी समस्या है वातावरण में कार्बनडाइऑक्साइड का बढ़ना और फेफड़ों में उनका ट्रैप हो जाना। जबकि गुड़ इन डर्ट पार्टिकल्स को पकड़कर लिम्फ नॉड्स तक ले जाता है। लिम्फ नॉड्स शरीर का ऐसा सुरक्षा तंत्र है, जिस पर बहुत कम बात की जाती है।
लिम्फ नॉड्स इन प्रदूषकों को बाहर निकाल देती हैं और शरीर को प्राकृतिक रूप से मजबूत होने में मदद मिलती है। तो अगर आपको भी इस प्रदूषण भरे माहौल में बाहर निकलना पड़ रहा है, तो गुड़ की एक छोटी डली खाना न भूलें।
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