दिनभर किसी न किसी बहाने से चाय पीने की आदत (tea addiction) कब एडिक्शन का रूप ले लेती है, पता ही नहीं चल पाता। ऐसे लोगों को हर वक्त चाय का ख्याल सताता रहतता हैं या यूं कहें कि वो चाय पीने के लिए बहाने खोजते रहते हैं। टी लवर्स के अनुसार चाय से वो एक्टिव रहते हैं। मगर अत्यधिक चाय का सेवन शरीर को नुकसान (side effects of tea) पहुंचा सकता है। इससे न केवल पाचनतंत्र की तकलीफ बढ़त है बल्कि पोषक तत्वों का अवशोषण भी कम होने लगता है। वहीं आम दिनों के अलावा नवरात्रि के मौक पर अगर आप बार बार चाय पीती हैं, तो उससे ब्लोटिंग (bloating) और पेट दर्द (stomach pain) का सामना करना पड़ता है। ऐसे में चाय को हेल्दी पेय पदार्थों (healthy drinks) से बदलकर शरीर को कई प्रकार के फायदे मिलते है। जानते हैं चाय की लत को छोड़ने के लिए किन पेय पदार्थों से करें उसे रिप्लेस (healthy alternatives to tea)।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार कैफीन एक आदत (caffine addiction)बनाने वाला उत्तेजक पेय पदार्थ है, जिसे छोड़ने की कोशिश करने से सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, हृदय गति में वृद्धि और थकान का सामना करना पड़ता है। 240 एमएल के कप 11 से 61 एमजी कैफीन पाई जाती है। दिनभर में 200 एमजी कैफीन के सेवन से शरीर को नुकसान का खतरा नहीं रहता है।
इस बारे में बातचीत करते हुए डायटीशियन मनीषा गोयल बताती हैं कि चाय के सेवन से शरीर को टेनिन्स कंपाउंड की प्राप्ति होती है, जो आयरन को अन्य फूड्स के साथ बाइंड कर देता है। इसके चलते शरीर में आयरन की कमी का सामना करना पड़ता है। वे लोग जो अधिक मात्रा में चाय पीते है, उनके शरीर में आयरन का एबजॉर्बशन (iron absorption) कम हो जाता है। इसके अलावा नींद न आने की समस्या बढ़ने लगती है।
नींद की कमी और दिनभर आलस का सामना करने के कारण शरीर को एक्टिव रखने के लिए लोग चाय का सेवन करते है। टी इनटेक को कम करने के लिए 8 घंटे की भरपूर नींद लें। इससे शरीर में एनर्जी का स्तर बना रहेगा, जिससे चाय की कमी महसूस नहीं होगी।
रोज़ाना चाय में कटौती करने का प्रयास करें। इससे चाय के प्रति निर्भरता में कमी आने लगती है और व्यक्ति अन्य विकल्पों की खोज करने लगता है। इसके अलावा चाय की मात्रा को भी कम करें। इससे शरीर में बढ़ रहे कैफीन के प्रभाव को रोका जा सकता है।
शरीर को हाइड्रेट रखने और चाय की क्रेविंग को कम करने के लिए पानी ज्यादा मात्रा में पीएं। इससे शरीर में एनर्जी का स्तर बना रहता है। इसके अलावा डिहाइड्रेशन का खतरा कम होने लगता है। साथ ही पानी से शरीर को ज़रूरी मिनरल्स की भी प्राप्ति होती है, जिससे बॉडी डिटॉक्स में मदद मिलती है।
नियमित रूप से हल्दी वाले दूध यानि गोल्डन मिल्क का सेवन करने से शरीर को एंटी इंफ्लामेटरी प्रॉपर्टीज़ से भरपूर करक्यूमिन तत्व की प्राप्ति होती है। इसके सेवन से न केवल शरीर कैफीन से मुक्त हो सकता है बल्कि इससे शारीरिक अंगों में होने वाले ऐंठन को दूर करके पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाने में मदद मिलती है। दूध में हल्दी, छोटी इलायची पाउडर और काली मिर्च पाउडर मिलाकर पीएं।
विटामिन सी से भरपूर नींबू के रस को पानी में मिलाकर पीने से शरीर को एंटीऑक्सीडेंटस की प्राप्ति होती है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार आने लगता है। साथ ही पेट पर जमा अतिरिक्त चर्बी को कम करने में भी मदद मिलती है। निश्मित रूप से सुबह उठकर खाली पेट नींबू का रस शरीर को एनर्जी प्रदान करता है। इसमें स्वादानुसार शहर और काली मिर्च मिला सकते हैं।
दिन में चाय पीने की चाहत को बटर मिल्क से रिप्लेस कर सकते है। नवरात्रि के दिनों में लस्सी एक हेल्दी ऑप्शन है। इससे शरीर को कैल्शियम, लेक्टिक एसिड, विटामिन डी और प्रोबायोटिक्स की प्राप्ति होती है। इससे डाइजेशन बना रहता है और शरीर में एनर्जी की कमी को भी पूरा किया जा सकता है। इसे बनाने के लिए दही में आवश्यकतानुसार पानी, जीरा और काला नमक मिलाएं।
सुबह उठकर कुछ हेल्दी तरल पदार्थ लेना चाहती है, तो स्मूदीज़ का सेवन दिनभर भूख को नियंत्रित करने में मदद करता है। इससे शरीर को फाइबर, प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स की प्राप्ति होती है। मौसमी सब्जियों, दही, सीड्स और आइस क्यूब्स को एड करके तैयार की जाने वाली स्मूदी से वेटलॉस में भी मदद मिलती है।
एंटीऑक्सीडेंटस से भरपूर नारियल पानी के सेवन से शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव कम होने लगता है। साथ ही ब्लड प्रेशर का स्तर नियमित बना रहता है। इसके नियमित सेवन से शरीर निर्जलीकरण के खतरे से बचा रहता है। इसके सेवन से शरीर एक्टिव बना रहता है।
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