बीते कुछ वर्षों में बैंबू शूट्स (bamboo shoots) यानि बैंबू स्प्राउट (bamboo sprouts) का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है। पोषण से भरपूर बांस का क्रिस्पी टैक्सचर खाने में स्वाद और न्यूट्रिशन दोनों को जोड़ता है। आमतौर पर साउथ ईस्ट एशियन कुज़ीन में इसका भरपूर इस्तेमाल किया जाता है। पारंपरिक भोजन में प्रयोग किए जाने वाले बांस के कोंपल और पत्ते स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार से बेहद फायदेमंद हैं। जानते हैं बैंबू शॉट्स क्यों हैं स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद (Benefits of bamboo shoots) ।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार बांस की कोंपलों यानि बैंबू शूट में उच्च प्रोटीन, अमीनो एसिड, कार्बोहाइड्रेट समेत विटामिन और मिनरल पाए जाते हैं। ताज़ा बांस के सेवन से शरीर को थियामिन, नियासिन, विटामिन ए, विटामिन बी 6 और विटामिन ई की प्राप्ति होती है। बैंबू में डाइटरी फाइबर, फाइटोस्टेरॉल और कम कोलेस्ट्रॉल की मात्रा पाई जाती है। इसके सेवन से हाई ब्लड प्रेशर और मोटापे का जोखिम कम होने लगता है।
इस बारे में आयुर्वेदिक एक्सपर्ट अनिल बंसल बताते हैं कि बांस के सेवन से बच्चों का कद बढ़ने लगता है और हड्डियों को मज़बूती मिलती है। इसमें मौजूद प्रोटीन, कार्ब्स, फाइबर और मिनरल्स की मात्रा से डायबिटीज़ को नियंत्रित करने के अलावा गट हेल्थ को संतुलित रखने (tips to regulate gut health) में मदद मिलती है।
बांस को सूप या अचार की फॉर्म में खाया जा सकता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंटस, फिनोलिक कंपाउंड और एंटी बैक्टीरियल गुण शरीर को फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से मुक्त रखते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार दुनिया भर में बांस की ऐसी 1,500 प्रजातियां हैं, जिन्हें खाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें से बम्बुसा वल्गरिस और फाइलोस्टैचिस एडुलिस खाना पकाने अधिक प्रयोग किया जाता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार बांस की कोपलों में मौजूद फाइबर की मात्रा से शरीर में कोलेस्ट्रॉल के बढ़ते स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। 2009 के एक रिसर्च में पाया गया कि 8 स्वस्थ महिलाओं ने 6 दिनों तक लगातार 360 ग्राम बांस का सेवन किया। इससे उनके शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होने लगा। इसमें मौजूद सॉल्यूबल फाइबर गट हेल्थ को फायदा पहुंचाता है, जिससे वसा की मात्रा को कम किया जा सकता है।
बैंबू शूट्स शरीर के लिए प्रीबायोटिक के रूप में कार्य करते है। इसमें मौजूद फाइबर की मात्रा के चलते डाइजेशन में सुधार आने लगता है और शरीर बवासीर, डायवर्टीकुलिटिस और कोलोरेक्टल कैंसर के खतरे से मुक्त हो जाता है। इससे एपिटाइट नियंत्रित रहता है और इस लो कैलोरी फूड के सेवन से वेटलॉस में भी मदद मिलती है।
आहार में बैंबू शूट्स को शामिल करने से शरीर को पोटेशियम और फासफोरस की प्राप्ति होती है। एनआईएच की रिसर्च के अनुसार एक बाउल बांस के सेवन से शरीर में 13 फीसदी पोटेशियम की प्राप्ति होती है। इसके अलावा पेटेशियम से शरीर में फ्लूइड का स्तर बना रहता है और हार्ट रेट भी नियमित बना रहता है। बैंबू शूट्स से हड्डियों और मांसपेशियों की मज़बूती में सुधार आने लगता है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिकसन के अनुसार बांस को खाने से महिलाओं में रिप्रोडक्टिव हेल्थ संबधी समस्याओं की बढ़ती तादाद को नियंत्रित किया जा सकता हैं। खाने के लिए बांस की टहनियों का इस्तेमाल बोडो, थडाऊ, मोसांग और तिवा से संबंधित स्थानीय जनजातियां करती हैं। इससे अनियमित पीरियड साइकल, डिलीवरी के बाद हैवी ब्लीडिंग, इनफर्टिलिटी और डिलीवरी पेन को कम किया जा सकता है। इसके अलावा युवतियों में प्यूबर्टी इंडयूस करने में भी मदद मिलती है।
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट अनिल बंसल बताते हैं कि बांस में मौजूद पोषक तत्वों की मात्रा बच्चों के शारीरिक विकास में मददगार साबित होते है। इससे बच्चों का कद बढ़ने लगता है। इसे अचार या मुरब्बे के फॉर्म में खाने से शरीर का फायदा मिलता है। इसके अलावा बच्चों में बढ़ने वाली थकान, कमज़ोरी और आलस्य को भी कम किया जा सकता है।
बैंबू शूट्स को सूप, अचार और मुरब्बे के रूप में खाया जाता है। इसके अलावा इसे सैलेड और फ्राई करके भी खाया जा सकता है। इस लो कैलोरी फूड से डाइजेशन बूस्ट होता है और व़जन बढ़ने की समस्या से भी बचा जा सकता है। इसे पकाने से पहले इसे उबालना आवश्यक है। इससे न केवल टॉक्सिन को दूर किया जाता है बल्कि बैंबू पर मौजूद आउटर लेयर को भी आसानी से रिमूव किया जा सकता है। उसके बाद किसी भी रेसिपी में इनका इस्तेमाल किया जा सकता है।