अक्सर लोग फ्राइड फूड खाना पसंद करते हैं, जो हृदय रोगियों को कई प्रकार से नुकसान पहुंचाता है। दरअसल, बिना सोचे समझे कुकिंग के लिए ऑयल चुनने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर (cholesterol level) बढ़ने का खतरा बना रहा है, जिससे आर्टरीज़ में ब्लॉकेज बढ़ जाती है। अनहेल्दी फैट्स का सेवन करने से हार्ट अटैक (heart attack reasons) और हाइपरटेंशन की समस्या (Causes of hypertension) बनी रहती है। इस समस्या की रोकथाम के लिए जहां कुछ लोग फैंसी रिफाइंड ऑयल प्रयोग करने लगते हैं, तो कुछ ज़ीरो ऑयल कुकिंग को अपनाते है। मगर शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हेल्दी फैट्स आवश्यक हैं। जानते हैं कि किन कुकिंग ऑयल की मदद से हृद रोगों से मिलने लगती है राहत (safe oil for heart patients)।
इस बारे में मुग्धा प्रधान बताती हैं कि खाना बनाने के लिए जिस भी ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है। उससे कोलेस्ट्रॉल के स्तर और अन्य लिपिड मार्कर्स पर उसका प्रभाव दिखने लगता है। ऐसे में खाना पकाने के लिए घी और नारियल तेल (coconut oil benefits) जैसे संतृप्त वसा यानि सेचुरेटिड फैट्स (saturated fats) का इस्तेमाल करना चाहिए। संतृप्त वसा के गर्म होने के बाद न तो ऑक्सीकरण बढ़ता है और न ही जहरीले ट्रांस फैटी एसिड (Trans fatty acid) रिलीज़ होते हैं। इस प्रकार उन्हें खाना पकाने के लिए इस्तेमाल करना फायदेमंद हैं। इसके अलावा गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने के लिए सोयाबीन तेल, मकई का तेल और रेपसीड तेल का उपयोग किया जाता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार ऑयल को ओवरहीट (Overheating of oil) करने से उसमें कंपाउडस का ब्रेक डाउन बढ़ने लगता है। इससे ऑयल ऑक्सीडाइज़ हो जाता है और फ्री रेडिकल्स रिलीज़ हो जाते हैं। इससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव दिखने लगता है और सेलुलर डैमेज का जोखिम बढ़ जाता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक खाना पकाने के लिए नॉन ट्रॉपिकल तेलों (Non tropical oil) का चयन करना है। इस प्रकार के तेल सॉलिड फैट्स की तुलना में स्वस्थ विकल्प होते हैं। इनमें से पाम और कोकोनट ऑयल बेहद कारगर है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार ऐवोकाडो तेल का स्मोक पॉइंट 271 डिग्री सेल्सियस तक है। इसके अलावा एवोकाडो ऑयल में ओलिक एसिड पाया जाता है। इससे शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होने लगता है। साथ ही हृदय रोगों का खतरा बढ़ने लगता है। इससे आस्टियोअर्थराइटिस और पोस्ट मील ब्लड शुगर बढ़ने का खतरा कम हो जाता है। इसके नियमित सेवन से मेटाबॉलिक डिज़ीज़ से राहत मिलती है।
तिल के तेल में ओमेगा 3, आमेगा 6 और ओमेगा 9 फैटी एसिड पाया जाता है। दरअसल, अत्यधिक तेल के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल और फैट डिपॉज़िट दोनों बढ़ने लगते हैं। ऐसे में तिल का तेल हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार तिल के तेल में हृदय.स्वास्थ्य के लिए कारगर सेसमोल और सेसामिनॉल जैसे एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं। इससे हृदय रोगों के अलावा न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव के चलते मानसिक स्वास्थ्य को भी उचित बनाए रखने में मदद मिलती है।
विटामिन ई से भरपूर ऑलिव ऑयल में मोनोअनसेचुरेटिड फैट्स पाए जाते हैं। इससे मोटापे, ब्लड प्रेशर और टाइप 2 डायबिटीज़ का खतरा कम हो जाता है। इसके सेवन से एन्डोथीलियम के कार्य में मदद मिलती है , जिससे ब्लड वेसल्स का स्वास्थ्य उचित बपर रहता है। इसके अलावा ब्लड में बनने वाले क्लॉटस को भी रोकता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे से बचा जा सकता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की रिसर्च के अनुसार रोज़ाना आधा चम्मच जैतून का तेल खाने से हृदय रोगों से बचा जा सकता है।
राइस ब्रान ऑयल में ओरिज़ानॉल एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है। इससे कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के अलावा फैटी लिवर की समस्या भी हल हो जाती है। इसमें पॉली और मोनो अनसेचुरेटिड फैट्स पाए जाते हैं, जिससे हृदय रोगों को कम करने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद टोकोट्रिऑनोल्स और प्लांट स्टेरोल्स वसा के स्तर को कम करते हैं।
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