कोविड-19 के मोर्चे पर हर रोज इतने सारे अपडेट्स आ रहे हैं, कि क्या जरूरी है और क्या कम जरूरी, इस पर ध्यान देना ही मुश्किल होता जा रहा है। भारत में संक्रमण के बढ़ते मामलों के साथ ही दिल्ली और मुंबई एपिक सेंटर बनने की ओर बढ़ रहे हैं। न चाहते हुए भी आपको इन अपडेट्स को रखना जरूरी है। इस तरह आप खुद को कोविड-19 के समय में सुरक्षित रख पाएंगी।
यहां उन पांच कोविड-19 अपडेट्स हम आपसे शेयर कर रहे हैं, जिनके बारे में आपको जानना जरूरी है :
यूएस आधारित जैव प्रौद्योगिकी कंपनी, 23andMe द्वारा किए गए एक ब्रांड के नए अध्ययन का दावा है कि ओ-टाइप रक्त समूह वाले लोगों को कोविड-19 से संक्रमित होने की संभावना कम है।
कोविड-19 के 7.5 लाख लोगों पर किए गए अमेरिकी अध्ययन में रोगियों को तीन समूहों में बांटकर उनके ब्लड और जेनेटिक डिजाइन को टेस्ट किया गया। जो लोग खुद अस्पताल में भर्ती हुए, जिन्होंने संक्रमण की शिकायत की और जिन्हें बाहर के एक्सपोजर से संक्रमण का खतरा हुआ उनमें ओ ब्लड ग्रुप के लोगों की संख्या अन्य ब्लड ग्रुप्स की तुलना में 9 -18% कम थे।
हालांकि अध्ययन में यह भी पाया गया कि स्वास्थ्य कर्मी जो कोविड-19 के रोगियों के सीधे संपर्क में थे उनमें कोविड-19 पॉजिटिव होने की संभावना 13-26% तक कम थी। अध्ययन में कोविड-19 की जोखिम क्षमता क्रमश: बी और ए रही। चाइनीज और इटेलियन-स्पेनिश अध्ययन के समान ही जिसमें कहा गया था कि ए ब्लड ग्रुप के लोगों के कोविड-19 की चपेट में आने का जोखिम सबसे ज्यादा है।
हालांकि ये आंकड़े आकर्षित करते हैं, पर अभी तक जोखिम को कम करने की दिशा में कोई भी निष्कर्ष निकाला जाना शेष है।
2 एक अध्ययन बताता है कि कोविड-19 आपके पूरे नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है
सिर दर्द, चक्कर आना, सतर्कता में कमी के साथ ही स्वाद और गंध पहचानने की क्षमता का प्रभावित होना यह साबित करता है कि कोविड -19 का संक्रमण रोगी के पूरे तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है।
एनल्स ऑफ न्यूरोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में यह सामने आया कि कोरोनोवायरस संक्रमण मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, नसों और मांसपेशियों सहित पूरे तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है।
हालांकि ऑक्सीजन की कमी इसके रोगी में जोखिम को और भी बढ़ा देती है। इससे क्लोटिंग के कारण सूजन और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि संक्रमण आपके मस्तिष्क के कनैक्टिव टिश्यूज और नर्वस सिस्टम को डैमेज कर सकता है।
अध्ययन के मुख्य लेखक इगोर कोरालनिक कहते हैं, यह आम लोगों और फिजिशियन्स के लिए जानना जरूरी है कि सार्स-सीओवी-2 बुखार, कफ और रेस्पिरेटरी समस्याओं की बजाए सिर दर्द जैसे न्यूरोलॉजिकल लक्षण भी दिखा सकता है।
अमेरिकन नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज ने यह दावा किया है कि सोशल डिस्टेंसिंग से ज्यादा जरूरी आपके लिए मास्क पहनना है। न्यूयॉर्क सिटी और उत्तरी इटली के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए उन्होंने पाया कि जब लोगों ने मास्क पहनना शुरू किया तो संक्रमण के मामलों में जबरदस्त गिरावट देखी गई।
शोधकर्ताओं ने कहा: “यह सुरक्षात्मक उपाय अकेले संक्रमण की संख्या में कमी लाने में कारगर है। यानी 6 अप्रैल से 9 मई तक इटली में 78,000 से अधिक और न्यूयॉर्क सिटी में 17 अप्रैल से 9 मई तक 66,000 से अधिक मामले थे।”
अध्ययन में पाया गया कि अपने चेहरे को कवर करने का सरल उपाय “वायरस के असर वाले एयरोसोल अकाउंट्स को इनहेलेशन से रोकता है।” इससे देशों को कोरोनावायरस को फैलने से आगे बढ़ने में रोकने में मदद मिली।
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हालांकि इटली में सेना के ट्रकों द्वारा कोरोना वायरस के शिकार हुए लोगों की डेड बॉडी लाने वाले काफिले इस महामारी की भयावहता का प्रतीक बने थे। पर इटली के ही एक प्रांत बेरागामो में आशा की एक किरण नजर आई है। बेरागामो स्वास्थ्य एजेंसियों ने यहां के 9,965 निवासियों की जांच में पाया कि इनके शरीर में कोरोना वायरस एंटीबॉडी थे। इसका अर्थ है कि ये लोग कभी न कभी कोरोनावायरस के संपर्क में आए पर इनके शरीर ने इसका मुकाबला किया और अब वे स्वस्थ हैं।
हालांकि परिणाम काफी व्यापक रहे जो कि रेंडम सेंपल पर आधारित थे। एंटीबॉडी 10,404 स्वास्थ्य कर्मियों-लोगों में से सिर्फ 30% मेें पाए गए।
जबकि इससे अध्ययन की व्यापक प्रकृति की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा होता है। स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि अधिकांश नमूने प्रांत के सबसे खराब इलाकों के निवासियों से लिए गए थे। इस अध्ययन ने इटली के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से रेड क्रॉस को एक राष्ट्रव्यापी एंटीबॉडी परीक्षण करने के लिए प्रेरित किया है।
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अमेरिकी मॉर्डेर्ना (Morderna) वैक्सीन, जिसके सफलतापूर्वक परीक्षण का पहला चरण पूरा कर लिया गया था, अब अपने परीक्षण के दूसरे दौर में है और वह भी सफल रहा है। हेल्दी वॉलंटियर्स ने मध्यम चरण की सफलता को हरी झंडी देकर इसके लिए जुलाई में होने वाले परीक्षण के तीसरे और अंतिम चरण के लिए 30,000 लोगों को नामांकित किया गया है।
शोध में कहा गया है कि वैक्सीन संक्रमित कोशिकाओं से वायरस को अवरुद्ध करने के लिए एंटीबॉडी प्रतिक्रियाओं को प्रेरित करती है, फिर भी अब भी इस पर और स्पष्ट होने की जरूरत है। वैक्सीन रिसर्च सेंटर के शोधकर्ता डॉ. बार्नी ग्राहम कहते हैं, “सबप्रोटेक्टिव डोस ने एक्सपोजर के बाद उन्नत इम्यूनोपैथोलॉजी को टेस्ट करने के लिए इसे चूहों पर टेस्ट नहीं किया गया।”
इससे टीकाकरण वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य पर सवाल उठता है, जो बाद में प्रोथेजेन्स के प्रति एक्सपोज होगा। खासकर वे लोग जिनका इम्यून सिस्टम बहुत मजबूत नहीं है।
प्रतिष्ठित -19 वैक्सीन की मध्य-चरण की सफलता हमें कुछ आश्वासन देती है, फिर भी यह हमें कई अनुत्तरित प्रश्नों के साथ छोड़ देगी।
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( एजेंसियों से इनपुट के साथ)
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