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भारत में बढ़ रहे हैं संक्रामक रोगों के मामले, इन 6 रोगों से बचना है जरूरी 

पहले से ही मौजूद कोविड-19 महामारी के अलावा मंकीपॉक्स और टौमेटो फीवर के मामले भी डराने लगे हैं। इसलिए जरूरी है कि इनसे सावधान रहा जाए। 
Updated On: 20 Oct 2023, 09:17 am IST
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डेंगू के कारण और लक्षण जानने पर ही इलाज हो सकता है। चित्र:शटरस्टॉक

भारत में इस महीने की शुरुआत में एक बार फिर से कोविड-19 के मामले बढ़ने लगे। साथ ही, स्वाइन फ्लू के अलावा मलेरिया, डेंगू और मंकीपॉक्स जैसी बहुचर्चित बीमारियां भी तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे देश भर के स्वास्थ्य अधिकारियों को अलर्ट पर रखा गया है।

बीमारी का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। अब मिनिमम ट्रेवल रेस्ट्रिक्शंस के साथ, बीमारियों का संचरण भी अधिक हो रहा है।

आइए भारत में उन बीमारियों के प्रकोप पर एक नजर डालें, जिनके लिए जागरूकता, रोकथाम और बचाव के उपाय अपनाने की जरूरत है:

  1. कोविड-19

कोविड -19 या कोरोनावायरस ने दुनिया को काफी पीछे कर दिया है। अपने वैश्विक प्रकोप के तीन साल बाद भी, इसे पूरी तरह रोका जाना संभव नहीं लगता है। SARS-CoV-2 वायरस कोरोनावायरस बीमारी का कारण बनता है, जो हल्के से मध्यम या बहुत अधिक श्वसन संबंधी बीमारी का कारण बन सकता है। 

बुखार, खांसी, थकावट, गले में खराश, सिरदर्द, दर्द, दस्त, त्वचा पर लाल चकत्ते, और लाल या खुजली वाली आंखें विशिष्ट कोरोना वायरस के लक्षण हैं। सांस की तकलीफ, बोलने या चलने में कमी, भटकाव और सीने में तकलीफ बीमारी के सबसे खराब लक्षण हैं।

  1. मंकीपॉक्स

मंकीपॉक्स के 16,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। भारत में भी मंकीपॉक्स के चार मामले सामने आए हैं, जो स्वाभाविक रूप से चिंता का विषय है। बीमारी असामान्य है लेकिन काफी खतरनाक हो सकती है। 

इसके लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, सर्दी, खांसी, सिरदर्द, शरीर में दर्द, लिम्फ नोड्स की सूजन, थकान, ठंड लगना और शरीर पर दाने जैसा होना शामिल हैं। यहां तक ​​कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ एमरजेंसी घोषित कर दिया है।

  1. टोमैटो फीवर

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    भारत में भी तेजी से बढ़ रहा है टोमैटो फीवर। चित्र: शटरस्टॉक

केरल, जहां मंकीपॉक्स के तीन मामले सामने आए हैं। वहीं भारत में टोमैटो फीवर या टोमैटो फ्लू का सबसे पहला मामला भी केरल में पाया गया। बच्चों का एक समूह इस स्थिति से प्रभावित हुआ, जो बाद में अन्य राज्यों में फैल गया। 

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यह हाथ, पैर और मुंह की बीमारी के रूप में भी जाना जाता है। इसके कारण डिहाइड्रेशन, रैशेज और स्किन की कई दूसरी समस्याएं भी होती हैं। बुखार और थकान इसके अन्य लक्षण हैं। रेड रैशेज के कारण टोमैटो फीवर कहा जाता है।

  1. जापानी इंसेफेलाइटिस

जापानी इंसेफेलाइटिस एक ऐसा संक्रमण है जिसमें इंसानों का संक्रमण मच्छर से हो सकता है। मस्तिष्क का संक्रमण मच्छरों द्वारा सूअरों से मनुष्यों तक पहुंचाया जाता है। यह बीमारी अक्सर गंभीर सिरदर्द, तेज बुखार, बेहोशी, कंपकंपी, कन्वलशन और कन्फ्यूजन के रूप में प्रकट होती है। 

भारत के असम में जापानी इंसेफेलाइटिस के मामलों में रोज वृद्धि देखी जा रही है। हर साल मानसून के दौरान यह मौतों का कारण बनती है। यह 2022 में अब तक 38 लोगों की जान ले चुका है।

  1. डेंगू

डेंगू मच्छर जनित बीमारियों में से एक है। यह आमतौर पर बारिश के मौसम में देखी जाती है। यह संक्रमित एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू बुखार के दो रूप हैं: डेंगू रक्तस्रावी और नियमित (डीएचएफ)। डेंगू बुखार एक घातक बीमारी है जो फ्लू से मिलती-जुलती है। हालांकि डीएचएफ बीमारी का अधिक गंभीर रूप है जो घातक हो सकता है।

हाईटेम्प्रेचर, सिरदर्द, रैशेज, मांसपेशियों में दर्द और जोड़ों में परेशानी इस बीमारी के कुछ लक्षण हैं, जो आम हैं। कई भारतीय राज्यों में प्रतिदिन डेंगू के मामलों की संख्या में वृद्धि हो रही है। पुणे, तेलंगाना और कर्नाटक में डेंगू के मामले सामने आए हैं।

  1. स्वाइन फ्लू

    swine flu ke lakshan

स्वाइन फ्लू का मौसमी कारण एच1एन1 वायरस है। ज्यादातर मामलों में स्वाइन फ्लू से निमोनिया हो जाता है और सबसे गंभीर मामलों में यह जानलेवा भी हो सकता है। तेज बुखार, गले में खराश, सूखी खांसी, सिरदर्द, कमजोरी और थकान, ठंडे हाथ और पैर, दस्त- उल्टी इस बीमारी के कुछ लक्षण हैं। बच्चों में स्वाइन फ्लू के लक्षण दस दिनों के बाद दिखना शुरू होते हैं। हालांकि वयस्कों में अक्सर सात दिन बीतने के बाद भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। कई राज्यों, खासकर महाराष्ट्र में स्वाइन फ्लू के संक्रमण में वृद्धि हुई है।

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डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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