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हां ये सच है, चीखना आपकी मेंटल हेल्थ के लिए अच्छा है! ये है चीखने का सही तरीका

अब तक आपको चीखने या शोर मचाने पर डांट ही पड़ती रही होगी, बल्कि आपने भी अपने से छोटों को इसके लिए मना किया होगा। पर अगर आपको लगता है कि चीखना हमेशा बुरा होता है, तो इस लेख को ध्यान से पढ़ें।
Published On: 17 Jul 2020, 08:20 pm IST
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Aapko chichida aur maansik roop se aswasth bana sakta hai drugs
आपको चिड़चिड़ा और मानसिक रूप से अस्वस्थ बना सकता हैं ड्रग्स। चित्र: शटरस्‍टॉक

कोरोनावायरस के कारण दुनिया भर में तनाव (Stress) और अवसाद (Depression) के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। लोग अपनी भावनाएं जाहिर नहीं कर पा रहे, जिसके कारण उनमें एंग्जायटी (Anxiety) और डिप्रेशन बढ़ रहा है। पर अगर आप इससे सकारात्मक तरीके से बाहर आना चाहते हैं, तो चीखिए। जी हां, आपने बिल्कुल ठीक पढ़ा। चीखना (Screaming) आपके मानसिक स्वास्‍थ्‍य (Mental health) के लिए बहुत फायदेमंद है।

ज्यादातर लोग ये बात नहीं जानते कि चिल्लाने से दिमाग के अमिगडाला नामक हिस्सा सक्रिय हो जाता है। खुली और शांत जगह पर चीखने से अमिगडाला संग्रहित तनाव को रिलीज कर देता है और आगे बढ़ जाता है।

मेंटल हेल्थ कंसल्टेंट जोइ एस्टन ने कहा, ऐसा करने से न सिर्फ आपका गुस्सा और झुंझलाहट सुनाई देगी, बल्कि चीखने से असल में आपका तनाव भी कम होगा। उन्होंने कहा, 1970 में चीखने को एक इलाज पद्धति के रूप में विकसित किया गया था। जो आपके अंदर दबी हुई भावनाओं को बाहर लाने का काम करता है।

अपनी भावनाओं को दबाकर रखने से बेहतर है कि चिल्‍लाकर अपना तनाव रिलीज करें। चित्र : शटरस्टॉक

आइसलैंड में चीख से कम होगा तनाव

इस थेरेपी का इस्तेामाल अब आइसलैंड में मानसिक तनाव से निपटने में किया जा रहा है। आइसलैंड में लोगों के तनाव और झुंझलाहट को कम करने के लिए एक नई सुविधा शुरू की गई है। देश की पर्यटन समिति ने लोगों को अपनी फोन पर अपनी चीखने की रिकॉर्डिंग करने को कहा है और उन्हें भेजने को कहा है। वे इसे आइसलैंड के सात स्थानों में लगे स्पीकर पर बजाएंगे। आप अपनी से इस चीख को आइसलैंड की खुली वादियों में गूंजते हुए वेबसाइट पर सुन सकेंगे।

चीखना यानी प्राइमल थेरेपी (Primal Therapy)

डॉ. आर्थर जेनोव ने 1960 के दशक के अंत में चीखने वाले इस उपचार यानी प्राइमल थेरेपी (Primal Therapy) का आविष्कार किया था। यह असल में एक अभ्यास है, जो रोगी को भावनाओं को लगातार दबा कर रखने के कारण उपजे तनाव से बाहर आने में मदद करता है। यह एक समूह चिकित्सा का हिस्सा था, जिसमें अकस्मात रूप से उन्होंने महसूस किया कि चीखने से रोगियों को तनाव और मानसिक आघात से बाहर आने में मदद मिल रही है।

पर यह चीखना यूं ही नहीं है। यूं भी अगर आप घर में या घर के बाहर कहीं चीखते हैं, तो बहुत मुमकिन है कि लोग डर जाएं। इसलिए अगर आप चीख कर अपना मानसिक तनाव, झुंझलाहट दूर कर अपनी दमित भावनाओं से उबरना चाहते हैं, तो कुछ स्टेप्स फॉलो करें।

स्टेप 1: एकांत ढूंढें

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प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?

सबसे पहले जरूरी है कि आप ऐसी किसी जगह की तलाश करें, जहां चीखना सुविधाजनक है। लॉकडाउन के दौरान हो सकता है कि आप ऐसी जगह न ढूंढ पाएं। तब आपको अपने परिवार या साथियों से बात करके उन्हें समझाना होगा कि आप क्याआ करने वाले हैं और इसका क्या फायदा है।

चीखना आपको एंग्जा‍यटी से बाहर आने में मदद कर सकता हैैै। चित्र : शटरस्टॉक

स्टेप 2: लेट जाएं 

एक योगा मैट बिछा कर पीठ के बल लेट जाएं, सिर के नीचे एक तकिया रखें। योगा मैट की बजाए आप कार्पेट या किसी नर्म बिछौने पर भी लेट सकते हैं।

स्टेप 3: सोचें 

उन चीजों के बारे में सोचें जिन्होंने आपको चोट पहुंचाई है या आपको गुस्सा दिलाया है। यह आपके बचपन, आपके काम से संबंधित, आज दिन भर के रूटीन से या कुछ भी हो सकता है। जिसने आपको रोने के लिए मजबूर कर दिया हो।

आप “मां! पापा!” कुछ भी चिल्ला सकते हैं, ठीक वैसे ही जैसे डॉ. जेनोव के रोगियों ने अचानक चिल्लाना शुरू कर दिया था।

स्टेप 4: अब चिल्लाइए 

कुछ भी दबाने की जरूरत नहीं है, रोइए और चिल्लाइए। जितना भी जोर से संभव हो। फेफड़ों से हवा खींचते हुए, मुट्ठि‍यां भींच कर जितना भी आप चिल्ला सकते हैं।

मानसिक तनाव और अवसाद से बचने का यह एक आसान उपाय है। चित्र: शटरस्‍टॉक

आप भरपूर चिल्ला चुके हैं। आपका गुबार निकल गया है। अब आपको वापस अपनी सामान्य स्थिति में आकर सामान्य तरीके से सांस लेनी है। निश्चित ही अब आप हल्का महसूस कर रहे होंगे।

चिल्लाने के इस अभ्यास में आपके सिर का बोझ हल्का हुआ है, मन में अब ऐसी कोई भावना नहीं, जो आपको दबानी पड़ रही है। अगर ये सही है, तो हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं अपना अनुभव।

यह भी पढ़ें – क्या आप अपनी एंग्जायटी को क्विक फ़िक्स कर सकती हैं? जानिए इस बारे में साइकोलोजिस्ट की राय

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
योगिता यादव
योगिता यादव

योगिता यादव एक अनुभवी पत्रकार, संपादक और लेखिका हैं, जो पिछले दो दशकों से भी ज्यादा समय से हिंदी मीडिया जगत में सक्रिय हैं। फिलहाल वे हेल्थ शॉट्स हिंदी की कंटेंट हेड हैं, जहां वे महिलाओं के स्वास्थ्य, जीवनशैली, मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक मुद्दों से जुड़ी सामग्री का संयोजन और निर्माण करती हैं।योगिता ने दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, जी मीडिया और अमर उजाला जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में कार्य किया है। वे 'हेल्दी ज़िंदगी' नाम का उनका हेल्थ पॉडकास्ट खासा लोकप्रिय है, जिसमें वे विशेषज्ञ डॉक्टरों और वेलनेस एक्सपर्ट्स से संवाद करती हैं।

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