कोरोनावायरस के कारण दुनिया भर में तनाव (Stress) और अवसाद (Depression) के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। लोग अपनी भावनाएं जाहिर नहीं कर पा रहे, जिसके कारण उनमें एंग्जायटी (Anxiety) और डिप्रेशन बढ़ रहा है। पर अगर आप इससे सकारात्मक तरीके से बाहर आना चाहते हैं, तो चीखिए। जी हां, आपने बिल्कुल ठीक पढ़ा। चीखना (Screaming) आपके मानसिक स्वास्थ्य (Mental health) के लिए बहुत फायदेमंद है।
ज्यादातर लोग ये बात नहीं जानते कि चिल्लाने से दिमाग के अमिगडाला नामक हिस्सा सक्रिय हो जाता है। खुली और शांत जगह पर चीखने से अमिगडाला संग्रहित तनाव को रिलीज कर देता है और आगे बढ़ जाता है।
मेंटल हेल्थ कंसल्टेंट जोइ एस्टन ने कहा, ऐसा करने से न सिर्फ आपका गुस्सा और झुंझलाहट सुनाई देगी, बल्कि चीखने से असल में आपका तनाव भी कम होगा। उन्होंने कहा, 1970 में चीखने को एक इलाज पद्धति के रूप में विकसित किया गया था। जो आपके अंदर दबी हुई भावनाओं को बाहर लाने का काम करता है।
इस थेरेपी का इस्तेामाल अब आइसलैंड में मानसिक तनाव से निपटने में किया जा रहा है। आइसलैंड में लोगों के तनाव और झुंझलाहट को कम करने के लिए एक नई सुविधा शुरू की गई है। देश की पर्यटन समिति ने लोगों को अपनी फोन पर अपनी चीखने की रिकॉर्डिंग करने को कहा है और उन्हें भेजने को कहा है। वे इसे आइसलैंड के सात स्थानों में लगे स्पीकर पर बजाएंगे। आप अपनी से इस चीख को आइसलैंड की खुली वादियों में गूंजते हुए वेबसाइट पर सुन सकेंगे।
डॉ. आर्थर जेनोव ने 1960 के दशक के अंत में चीखने वाले इस उपचार यानी प्राइमल थेरेपी (Primal Therapy) का आविष्कार किया था। यह असल में एक अभ्यास है, जो रोगी को भावनाओं को लगातार दबा कर रखने के कारण उपजे तनाव से बाहर आने में मदद करता है। यह एक समूह चिकित्सा का हिस्सा था, जिसमें अकस्मात रूप से उन्होंने महसूस किया कि चीखने से रोगियों को तनाव और मानसिक आघात से बाहर आने में मदद मिल रही है।
पर यह चीखना यूं ही नहीं है। यूं भी अगर आप घर में या घर के बाहर कहीं चीखते हैं, तो बहुत मुमकिन है कि लोग डर जाएं। इसलिए अगर आप चीख कर अपना मानसिक तनाव, झुंझलाहट दूर कर अपनी दमित भावनाओं से उबरना चाहते हैं, तो कुछ स्टेप्स फॉलो करें।
स्टेप 1: एकांत ढूंढें
सबसे पहले जरूरी है कि आप ऐसी किसी जगह की तलाश करें, जहां चीखना सुविधाजनक है। लॉकडाउन के दौरान हो सकता है कि आप ऐसी जगह न ढूंढ पाएं। तब आपको अपने परिवार या साथियों से बात करके उन्हें समझाना होगा कि आप क्याआ करने वाले हैं और इसका क्या फायदा है।
स्टेप 2: लेट जाएं
एक योगा मैट बिछा कर पीठ के बल लेट जाएं, सिर के नीचे एक तकिया रखें। योगा मैट की बजाए आप कार्पेट या किसी नर्म बिछौने पर भी लेट सकते हैं।
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कस्टमाइज़ करेंस्टेप 3: सोचें
उन चीजों के बारे में सोचें जिन्होंने आपको चोट पहुंचाई है या आपको गुस्सा दिलाया है। यह आपके बचपन, आपके काम से संबंधित, आज दिन भर के रूटीन से या कुछ भी हो सकता है। जिसने आपको रोने के लिए मजबूर कर दिया हो।
आप “मां! पापा!” कुछ भी चिल्ला सकते हैं, ठीक वैसे ही जैसे डॉ. जेनोव के रोगियों ने अचानक चिल्लाना शुरू कर दिया था।
स्टेप 4: अब चिल्लाइए
कुछ भी दबाने की जरूरत नहीं है, रोइए और चिल्लाइए। जितना भी जोर से संभव हो। फेफड़ों से हवा खींचते हुए, मुट्ठियां भींच कर जितना भी आप चिल्ला सकते हैं।
आप भरपूर चिल्ला चुके हैं। आपका गुबार निकल गया है। अब आपको वापस अपनी सामान्य स्थिति में आकर सामान्य तरीके से सांस लेनी है। निश्चित ही अब आप हल्का महसूस कर रहे होंगे।
चिल्लाने के इस अभ्यास में आपके सिर का बोझ हल्का हुआ है, मन में अब ऐसी कोई भावना नहीं, जो आपको दबानी पड़ रही है। अगर ये सही है, तो हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं अपना अनुभव।
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