कोरोना वायरस महामारी ने हमारे मन – मस्तिष्क में ऐसा खौफ पैदा कर दिया है कि हजारों साल बाद भी लोग इस महामारी को भूल नहीं पाएंगे। 2020 में लॉकडाउन और कोविड – 19 से जुड़े कई प्रतिबंध झेलने के बाद हमने 2021 की कल्पना इस उम्मीद के साथ की थी कि सब कुछ शायद थोड़ा ठीक हो जाएगा।
मगर 2021 की शुरुआत के साथ ये उम्मीद और टूटती हुई नज़र आई। 2021 की शुरुआत कोरोना की दूसरी लहर के साथ हुई, जिसने हर किसी को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से चोट पहुंचाई।
दूसरी लहर में हमें कोरोना वायरस का और भी घातक रूप देखने को मिला, जिसनें लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल कर दिया। अस्पतालों में हुई बेड की कमी और ऑक्सिजन सिलेंडरों की किल्लत नें भारत में हाहाकार मचाकर रख दिया।
द लांसेट (The Lancet) के मुताबिक 10 अप्रैल, 2021 तक, भारत, तीसरा सबसे बड़ा कोरोना प्रभावित देश बन गया था। मार्च 2021 के मध्य से, दूसरी लहर शुरू हुई और 09 अप्रैल को भारत में इसके सबसे अधिक मामले (144,829) सामने आए।
प्रमुख प्रभावित राज्यों में महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल रहे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के मुताबिक भारत में, 3 जनवरी 2020 से 16 दिसंबर, 2021 तक, डब्लूएचओ को रिपोर्ट की गई 476,478 मौतों के साथ कोविड-19 के 34,718,602 मामलों की पुष्टि की गयी।
भारत ने 16 जनवरी 2021 को अपना टीकाकरण कार्यक्रम (Vaccination Drive) शुरू किया, शुरुआत में 3,006 टीकाकरण केंद्रों का संचालन किया गया। प्रत्येक टीकाकरण केंद्र पर कोविशील्ड या कोवैक्सिन के टीके लगे। वैक्सीनेशन के पहले दिन 165,714 लोगों का टीकाकरण किया गया।
SARS-CoV-2 के 28.4 मिलियन मामलों के बीच, एक दूसरे संक्रमण ने भारत को अपनी चपेट में लिया, वह था ब्लैक फंगस (Black Fungus)। ‘ब्लैक फंगस’, जिसे चिकित्सकीय रूप से म्यूकोर्मिकोसिस (Mucormycosis) कहा जाता है, एक ऐसा संक्रमण है जिसने कोविड-19 से उबरने वाले कई रोगियों को प्रभावित किया। इसके साथ – साथ व्हाइट फंगस (White fungus) और येलो फंगस (Yellow fungus) के मामले भी सामने आये।
यह फंगल संक्रमण अधिक जानलेवा होता है और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (Low Immunity) वाले या मधुमेह (Diabetes) जैसी बीमारी वाले लोगों पर हमला करता है। इस बीमारी के परिणामस्वरूप सांस लेने में तकलीफ और खांसी के साथ खून भी आ सकता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) के अनुसार डेल्टा प्लस वेरिएंट, भारत में पहली बार, अप्रैल में पाया गया था। तीन राज्य- महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश सबसे पहले इसकी चपेट में आए थे। डेल्टा को पिछले रूपों की तुलना में दोगुने से अधिक संक्रामक माना जाता है। अध्ययनों से पता चला है कि जिन लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ है, वे सबसे अधिक जोखिम में होते हैं।
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कस्टमाइज़ करेंतभी लोगों को जल्द -से -जल्द टीका लगवाने पर ज़ोर दिया जा रहा था। डब्लूएचओ (WHO) के अनुसार भारत में 6 दिसंबर 2021 तक कुल 1,294,608,045 टीके की खुराक दी जा चुकी हैं।
इस साल के अंत तक सब ठीक होने लगा था। सब कुछ ठीक हो जाने की उम्मीद एक बार फिर लौट रही थी। मगर तभी ओमिक्रॉन वेरिएंट ( Omicron variant ) ने सबके मन में फिर डर पैदा कर दिया। जहां एक तरफ लोगों नें बाहर वेकेशन प्लान कर ली थीं, वहीं कोविड – 19 के इस नए वेरिएंट ने वैक्सीनेशन को भी फेल कर दिया है।
डबल्यूएचओ नें इसे’ वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ कहा है। इसलिए सावधानी बरतना अभी भी बहुत ज़रूरी है। तो मास्क पहनें और सामाजिक दूरी बनाए रखें।
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