World TB Day 2022 : आपके स्वास्थ्य के लिए जानलेवा साबित हो सकता है ड्रग रेसिस्टेंट टीबी

टीबी अपने आप में एक घातक बीमारी है! मगर क्या हो, जब दवाओं का इसपर कोई असर न हो? जानलेवा साबित हो सकता है - ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी (DR TB)। अधिक जानने के लिए पढ़ें।
drug resistance TB
ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी क्या है? जानिए इसके बारे में सबकुछ. चित्र ; शटरस्टॉक
Dr. Deepak Namjoshi Published: 24 Mar 2022, 04:27 pm IST
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ट्यूबरकुलोसिस यानी टी.बी (Tuberculosis) एक अत्यंत संक्रामक रोग है जो हमारे फेफड़ों को प्रभावित करता है। टी.बी. वायरस से नहीं होता है, बल्कि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। टी.बी. तब फैलता है जब मरीज खांसते या छींकते हैं और कोई दूसरा व्यक्ति इसके संपर्क में आकार टीबी से संक्रमित हो सकता है, जिसमें ये बैक्टीरिया (Bacteria) मौजूद होते हैं।

भारत में टी.बी. हमेशा से एक प्रमुख स्वास्थ्य संबंधी समस्या रही है। वास्तव में, जब तक कोरोना वायरस नहीं आया था, तब तक टी.बी. वायरस से होने वाली मौत का प्रमुख कारण थी, जो एच.आई.वी./एड्स से भी आगे थी। अब अच्छी खबर यह है कि टी.बी. का उपचार संभव है और इसे होने से रोका जा सकता है। टी.बी. की बीमारी से ग्रसित होने वाले लगभग 85% लोगों का सफलतापूर्वक उपचार किया जा सकता है।

सिर्फ भारत में हैं टीबी के 25% मरीज

डब्ल्यू.एच.ओ. की ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2021 (Global TB Report 2021) के अनुसार, भारत में पूरी दुनिया के 25% टी.बी. के मरीज़ रहते हैं। मगर 2017-18 के बाद से, भारत सरकार ने इस घातक बीमारी से मुक्त राष्ट्र की कल्पना की है और वर्ष 2025 तक ‘टी.बी. मुक्त भारत’ प्राप्त करने की दिशा में काम कर रही है। जो कि वर्ष 2030 के विश्व के लक्ष्य से 5 वर्ष पहले है।

2018 के बाद से, भारत एक नेशनल ड्रग रेसिस्टेंस सर्वे (एन.डी.आर.एस.) का अध्ययन और प्रकाशन कर रहा है। जिसका प्रमुख उद्देश्य देश में (Multidrug Resistant) एम.डी.आर.-टी.बी. की व्यापकता का निर्धारण करना है।

इस सर्वेक्षण के प्रमुख निष्कर्षों से यह पता चलता है कि भारत में अनुमानित एम.डी.आर. रोगियों में से 56 प्रतिशत रोगियों में इस बीमारी का पता ही नहीं लगाया जा सका है। साथ ही, अनुमानित एम.डी.आर. रोगियों में से 64 प्रतिशत का उपचार नहीं किया जा रहा है। एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि भारत में टी.बी. के सभी रोगियों में से एक चौथाई से अधिक में ड्रग रेसिस्टेंट टीबी है।

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विश्व टीबी दिवस: यह एक जानलेवा बीमारी है। चित्र : शटरस्टॉक

कोविड – 19 है टीबी के मरीजों के लिए जोखिम का कारण

हालांकि, कोविड महामारी के अप्रत्याशित तरीके से फैलने ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने में बड़ी रुकावटें पैदा हुई हैं। मगर मानव और चिकित्सा दोनों संसाधनों को कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने और उपचार करने के लिए दिशा परिवर्तन करना पड़ा है। इसके अतिरिक्त, भारत में कई मरीजों में ड्रग रेसिस्टेंस टी.बी. के स्ट्रेन पाए गए हैं। इसका मतलब यह है कि ड्रग रेसिस्टेंट टी.बी. के रोगी कम से कम एक या एक से अधिक टी.बी. की दवाओं के प्रति रिएक्ट नहीं करेंगे।

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इसका अर्थ यह भी है कि हमें महामारी के कारण व्यर्थ गए 2 वर्षों की भरपाई करने के लिए अपने प्रयासों को तेज़ करना होगा। इसके साथ-साथ फेस मास्क पहनने और सार्वजनिक रूप से थूकने/खांसने/छींकने जैसी चीजों से बचना होगा। ये आदतें, इस बीमारी के प्रसार को रोकने में मदद कर सकते हैं।

असल प्रभाव तभी पड़ सकता है जब हम एक नागरिक के तौर पर टी.बी. के विरुद्ध संघर्ष को जारी रखें। जब तक कि अत्यधिक जोखिम वाले लोग स्वयं को और अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित न कर लें।

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लेखक के बारे में

Dr. Deepak Namjoshi is the Director of CritiCare Asia Multispecialty Hospital. He acquired his M.D. from LTMC Medical College, Sion, Mumbai. Dr. Namjoshi also received Dr. K. C. Mohanty GOLD MEDAL for standing First in Post-Graduate Diploma in Environmental, Tuberculosis and Respiratory diseases conducted by The College of Physicians and Surgeons, Bombay. He was Hon. Director of Sadbhav – Manavjyot T.B. eradication project through which he was involved in giving free treatment to TB patients. ...और पढ़ें

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