जब भी हम अपने किसी प्रियजन के बीमार होने की खबर सुनते हैं, तो हमारा मन होता है कि उनसे मिला जाए। भारतीय समाज में, चाहे वे शहर हों या गांव, ये एक तरह की परंपरा है कि हम सभी एक-दूसरे की सेहत का हालचाल जानना चाहते हैं। कोविड-19 में भी जब लोगों का घरों से निकलना बंद था, हम वीडियो कॉलिंग पर एक-दूसरे का हालचाल पूछ रहे थे। मरीज का उपचार, उसकी सेहत हमारी चिंता में शामिल हो जाता है। पर यह चिंता कभी-कभी मरीज की सुरक्षा में चूक करवा देती है। तमाम परीक्षणों, दवाओं और उपचार के अलावा परिजनों का व्यवहार भी बहुत हद तक मरीज की सुरक्षा तय करता है। तो अगर आप किसी से मिलने जा रही हैं, तो यह जरूरी है कि आप पेशेंट की सेफ्टी (Patient Safety Tips) के लिए कुछ चीज़ों का ध्यान रखें। वर्ल्ड पेशेंट सेफ्टी डे (World Patient Safety Day 2022) के उपलक्ष्य में आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ जरूरी टिप्स के बारे में।
आज भी भारत का ग्रामीण इलाका हो या छोटे शहर, हम झुंड में अस्पताल या घर में मरीज से मिलने जाते हैं। हॉस्पिटल को पिकनिक स्पॉट बनाने से भी चूकना नहीं चाहते हैं। हम मरीज के पास हर तरह के खाने-पीने की चीजें ले जाना चाहते हैं। यदि अस्पताल में मरीज से मिलने जाते हैं, तो मौका मिलते ही डॉक्टर के सामने रोग के बारे में गूगल ज्ञान बघारने से भी नहीं चूकते हैं।
कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के मरीज के पास तो हम ऐसी-ऐसी बातें बोल देते हैं, जिससे मरीज अवसादग्रस्त हो जाता है। कई बार मरीज से मिलने जाने वाले लोगों से संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। मरीज के प्रति इन लापरवाहियों को देखते हुए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) को लोगों को जागरूक करने की जरूरत महसूस हुई। इसलिए दुनिया भर में 17 सितंबर को वर्ल्ड पेशेंट सेफ्टी डे मनाने का चलन शुरू हुआ।
पेशेंट सेफ्टी की वैश्विक समझ को बढ़ाने, रोगी के नुकसान को कम कर उसके जीवन को सुरक्षित करना ही इस खास दिन का उद्देश्य है। इस संदेश का प्रसार करने के लिए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने वर्ष 2019 में वर्ल्ड पेशेंट सेफ्टी डे (World patient safety day) मनाने की शुरुआत की। यह हर वर्ष 17 सितम्बर (17 september) को मनाया जाता है। कोरोना पेंडेमिक के दौरान हम लोग इसके महत्व से अच्छी तरह वाकिफ हुए हैं। हम सभी चाहते हैं कि रोगी जल्दी स्वस्थ हो, उन्हें हेल्थ संबंधी कॉम्प्लीकेशंस न हों। इसलिए उनसे मिलने जाने से पहले हमें एहतियात बरतना जरूरी है।
पेशेंट की सेफ्टी और केयर के लिए अस्पताल या घर उनसे मिलने जाने से पहले हमें किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहिए, इसके लिए हमने बात की सर गंगा राम हॉस्पिटल में सीनियर क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. आरती आनंद से। डॉ. आरती ने हमें 5 जरूरी टिप्स बताये, जिन्हें हमें मरीज से मिलने से पहले जरूर ध्यान में रखना चाहिए।
प्रत्येक हॉस्पिटल में मिलने का समय निर्धारित होता है। हमें उस नियम का हमेशा पालन करना चाहिए। सबसे पहले हमें वार्ड ब्वॉय या वार्ड सिस्टर से मरीज से मिलने की अनुमति लेनी चाहिए। वे जो समय हमें मुहैया कराते हैं, हमें उसी समय में मरीज से मिलने जाना चाहिए। हमें डॉक्टर के हॉस्पिटल राउंड, मरीज के खाने का समय, हॉस्पिटल सेनिटेशन, मरीज की साफ-सफाई के समय उनके पास जाने से बचना चाहिए।
अस्पताल पहुंचने पर वहां के कर्मचारियों जैसे कि वार्ड बॉय, नर्स, डॉक्टर, वार्ड सिस्टर, रिसेप्शनिस्ट सभी से अच्छा व्यवहार करना चाहिए। क्योंकि अस्पताल में वे सब ही मरीज का एक पारिवारिक सदस्य की तरह ख्याल रखते हैं। उनके काम में बाधा न पहुंचायें।
हम भारतीय आयोजन पसंद होते हैं। अस्पताल या घर पर मरीज से मिलने जाने को भी एक आयोजन बना लेते हैं। फिर कई लोग मिलकर वहां जाते हैं। अपने साथ मरीज के लिए फलाहार के साथ-साथ कई तरह की खाने-पीने की चीजें भी ले जाते हैं।
हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि बीमारी समान्य हो या गंभीर, ज्यादातर मामलों में मरीज को सबसे अधिक नुकसान दूसरे लोगों से होने वाला इंफेक्शन ही पहुंचाता है। एक समय में एक से ज्यादा व्यक्ति मरीज से मिलने न जाएं। यदि खाने-पीने के लिए मरीज को कुछ जरूरी आहार देना चाहते हैं, तो डॉक्टर से परामर्श के बाद ही दें।
मरीज से मिलने जाने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह साबुन से धो लें। हैंडवॉशिंग प्रोसीजर का पालन करना बेहद जरूरी है। सबसे अधिक इंफेक्शन बैक्टीरिया युक्त नाखून और हाथ से ही फैलते हैं।
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कस्टमाइज़ करेंखुद को सैनिटाइज करने के बाद ही मिलने जाएं। जरूरत पड़ने पर मास्क पहनकर जाएं।
अक्सर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के मरीजों से मिलने जाने पर लोग नकारात्मक बातें करने लग जाते हैं। मरीज के सामने बीमारी के खर्चे, जीवन-मरण आदि की बातें करना गलत है। इन सारी बातों को निषिद्ध मानकर मरीज के कमरे के बाहर तक ही रहने दें। किसी भी बीमारी से ग्रस्त मरीज हों, उनके सामने हमेशा सकारात्मक और प्रेरणा देने वाली बातें ही करें। मरीज को आपके प्यार और प्रोत्साहन की जरूरत है, आपके सलाह और दिशा-निर्देशों की नहीं। हमें यह जरूर ख्याल रखना चाहिए कि वह व्यक्ति पहले से ही अपनी बीमारी से परेशान है। उन्हें और ज्यादा परेशान करने की जरूरत नहीं है।
मरीज की कौन-सी बीमारी के लिए किस तरह का इलाज किया जा रहा है। इसके साथ-साथ इस्तेमाल की जाने वाली टेक्नोलॉजी आदि के बारे में अवगत हों। इसके बारे में मरीज को भी अवगत कराएं। पर कभी भी जरूरत से अधिक ज्ञान न दें। यदि आपको कुछ जानकारी लेनी है, तो डॉक्टर या नर्स से पूछें।
मरीज से अधिक बातें न करें। इससे वे थकान अनुभव करते हैं। अक्सर हम इंटरनेट पर रोग के बारे में अधकचरा ज्ञान प्राप्त कर रोगी और डॉक्टर के सामने अपना ज्ञान बघारते हैं। इससे हमें बचना चाहिए। यह याद रखना चाहिए कि जिस बीमारी और निदान के बारे में डॉक्टर ने कई सालों तक पढ़ाई की है, उनके सामने अपना ज्ञान बांचना गलत है। हमें बीमारी और इलाज के प्रति जागरूक होना चाहिए। नीम-हकीम खतरे जान बनने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
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