हम अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई तरह की थेरेपी लेते रहते हैं। इनमें से एक है ओजोन थेरेपी। जी हां यहां हम बात कर रहे हैं नेचुरल गैस ओजोन की। ओजाेन लेयर के बारे में हम वर्षों से सुनते आए हैं। वातावरण के ओजोन लेयर में छेद हो जाने के कारण सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रावायलेट किरणें हमारी स्किन को नुकसान पहुंचा देती हैं। इसी ओजोन गैस का ओजोन थेरेपी के रूप में 100 से भी अधिक सालों से प्रयोग होता रहा है। क्या है ओजोन थेरेपी (World ozone day) और किन लोगों के लिए फायदेमंद है, यह जानने के लिए हम यहां एक एक खास रिसर्च रिपोर्ट की बात कर रहे हैं।
जर्नल ऑफ नेचुरल साइंस, बायोलॉजी एंड मेडिसिन पबमेड सेंट्रल में वर्ष 2011 में ओजोन थेरेपी पर एक रिसर्च प्रकाशित हुई। इसमें ए.एम. एल्विस और जे.एस. एक्ता की ओजोन थेरेपी पर क्लिनिकल रिसर्च रिव्यु को शामिल किया गया।
उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में खोजे गए ओजोन (O3) गैस के प्रभाव खतरनाक हैं। इसके बावजूद शोधकर्ता मानते हैं कि इसके कई चिकित्सीय लाभ हैं। इस पर व्यापक अध्ययन के बाद ही चिकित्सा क्षेत्र में धड़ल्ले से ओजोन थेरेपी का उपयोग किया जाने लगा।
रिसर्च के अनुसार, ओजोन थेरेपी एंटीऑक्सिडेंट के उत्पादन में मदद करती है। यह फ्री रेडिकल्स को निष्क्रिय कर देती है। इससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम हो जाता है। स्ट्रेस कम होने के साथ ही आप जवान और सक्रिय महसूस करने लगती हैं।
मेडिकल ओजोन का उपयोग कई तरह की बीमारियों के इलाज और डिस्इनफेक्टेंट के तौर पर किया जाता है। बैक्टीरिया, वायरस, यीस्ट, प्रोटोजोआ इन्फेक्शन के साथ-साथ फंगल डिजीज के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है।
ओजोन इन विट्रो में एचआईवी को पूरी तरह से निष्क्रिय करने में सफल पाया गया। ओजोन साइटोकाइन के उत्पादन को बढ़ाने में सक्षम था। इससे होस्ट इम्यूनिटी भी बढ़ पाई। ओजोन को ओरल इंफेक्शन खत्म करने के लिए एंटीबैक्टीरियल एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। ऑक्सीडेटिव मेटाबॉलिज्म के स्टीम्यूलेशन और इम्यून सिस्टम को भी यह थेरेपी सक्रिय बनाती है। गैसीयस फॉर्म में मौजूद दवा कुछ हद तक असामान्य हो सकती हैं। इसी वजह से ओजोन थेरेपी के सुरक्षित उपयोग के लिए विशेष तकनीक काम में लाई जाती है।
शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण डायबिटीज की जटिलताएं होती हैं। रिसर्च में ओजोन ग्लाइसेमिया के लेवल को प्रभावित करने वाले एंटीऑक्सीडेंट सिस्टम को सक्रिय करने में मददगार पायी गई। ओजोन सुपरऑक्साइड डिसम्यूटेज को सक्रिय करती है, जिससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को रोकने में मदद मिलती है। सुपरऑक्साइड डिसम्यूटेज एक एंजाइम है, जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के खिलाफ काम करता है।
रिसर्च के अनुसार, ओजोन थेरेपी के कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। यह अलग-अलग व्यक्ति और उनकी अलग-अलग उपचार प्रक्रिया से जुड़ा हो सकता है। कभी भी सांस के द्वारा ओजोन अंदर नहीं जाना चाहिए।
मुंह, नाक या आंखों में प्रवेश करने पर यह जलन पैदा कर सकती है। इसके कारण जी मिचलाना, खांसी, उल्टी, सिरदर्द जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। गंभीर परिस्थितियों में श्वसन संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं।
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