World Lymphoma Awareness Day 2022: बहुत कन्फ्युजिंग होते हैं लिम्फोमा के लक्षण, जागरुक रहना है जरूरी
दुनिया भर में मौत की प्रमुख वजहों में से एक है कैंसर (Cancer)। वास्तव में, “कैंसर” विशिष्ट विशेषताओं, निदान और उपचार के साथ कई तरह के ट्यूमर के लिए एक सामान्य नाम है। जबकि इसे तीन तरह से वर्गीकृत किया जाता है। लिम्फोमा एक तरह का ब्लड कैंसर है। 15 सितंबर को विश्व लिम्फोमा जागरूकता दिवस (World Lymphoma Awareness Day) के रूप में मनाया जाता है। लिम्फोमा एक ऐसी बीमारी है, जिसकी वजह से शरीर के कई अंग प्रभावित होते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आप इसके लक्षणों से लेकर उपचार तक के बारे में सब कुछ जानें।
समझिए क्या है लिम्फोमा (Lymphoma)
ब्लड कैंसर के तीन समूह हैं: ल्यूकेमिया, मायलोमा और लिम्फोमा। ल्यूकेमिया अस्थि मज्जा को प्रभावित करता है, जो रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करता है। मायलोमा बोन मैरो में पाई जाने वाली कोशिकाओं का एक ब्लड कैंसर है। बोन मैरो हड्डियों के अंदर कोमल ऊतक होता है, जो सामान्य रूप से हमारे ब्लड के विभिन्न भागों का निर्माण करता है। जबकि लिम्फोमा लसीका प्रणाली को प्रभावित करता है।
दो प्रकार का होता है लिम्फोमा
- गैर हॉजकिन (Non-Hodgkin)
- हॉजकिन (Hodgkin)
असल में लिम्फोमा की शुरुआत गले से होती है। इम्यून सिस्टम को बढ़ाने की कोशिका को लिम्फोकेट्स कहा जाता है। जब ये कोशिकाएं कैंसर से ग्रसित होती हैं, तो इस बीमारी को लिम्फोमा कैंसर (Lymphoma Cancer) कहा जाता है।
इस बारे में और विस्तार से जानने के लिए हमने केयर हॉस्पिटल्स में कंसल्टेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. साईनाथ भेठानभोटला (Dr Sainath Bhethanabhotla) से बात की। वे कहते हैं, “इस स्थिति में लिम्फ नोड्स आकार में बढ़ जाते हैं और गर्दन, छाती और पेट में मौजूद होते हैं। सूजन के अलावा करीब 30 प्रतिशत रोगी बुखार, वजन घटने और रात में पसीना आने का अनुभव कर सकते हैं। कभी-कभी रोगी का बिस्तर गीला हो जाता है। अधिकांश समय हमें इसका कारण पता नहीं होता है, लेकिन उम्र के आधार पर लिम्फोमा अलग होता है।”
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बहुत देर से आने वाले और भ्रामक होते हैं लिम्फोमा के लक्षण
डॉ साईनाथ कहते हैं, “लिम्फोमा कैंसर के लक्षण काफी देर से सामने आते हैं। साथ ही ये इतने भ्रामक होते हैं कि ज्यादातर मामलों में किसी और बीमारी का अंदेशा होता है। जिसकी वजह से लोग इसे नजर अंदाज भी कर देते हैं।” जैसे –
- गले में खराबी और इसके आस-पास सूजन
- लिम्फ नोड्स में सूजन होना
- बुखार आना
- खांसी और सांस लेने में परेशानी
- अत्यधिक सांस फूलना
- रात को सोते वक़्त पसीना आना
- थकान और अचानक ही वजन घटना
- गले में खुजली और जलन
यदि लिम्फोमा के लक्षणों को पहचानकर आप सही वक़्त पर इसका इलाज कराते हैं, तो इस बीमारी से निजात पायी जा सकती है। लेकिन देरी करने और नजर अंदाज होने पर मौत भी हो सकती है।
किन लोगों को ज्यादा होता है इसका खतरा?
- हॉजकिन लिम्फोमा 15 वर्ष से 40 वर्ष की उम्र में हो सकता है। इसके बाद इस बीमारी की संभावना 55 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों मे अधिक होती है।
- एचआईवी (HIV) या एड्स (AIDS) से पीड़ित हैं, या जिनका ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ हो, ऐसे लोगों को लिम्फोमा होने का खतरा ज्यादा होता है। क्योंकि ऐसे लोगों में प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है।
कैसे होता है लिम्फोमा का उपचार
रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी द्वारा लिम्फोमा का उपचार किया जा सकता है। इसके अलावा इम्यूनो थेरेपी द्वारा एंटी बॉडीज़ के इंजेक्शन से कैंसरयुक्त कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। इस उपचार का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें दवा कैंसरयुक्त कोशिकाओं को पहचान कर केवल उन्हीं को नष्ट करती है।
लिम्फोमा से ग्रसित व्यक्ति का यदि समय पर उपचार करवाया जाए तो इसमें सर्वाइवल रेट बहुत अच्छा है। इसमें बचने की संभावना पहली स्टेज में 90 फीसदी होती है और स्टेज 4 में भी 60-70 फीसदी मरीज बेहतर जीवन जी सकते हैं।
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