World IVF Day : एक्सपर्ट बता रहे हैं क्यों जरूरी है इस प्रक्रिया के बारे में खुलकर बात करना

आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने का मतलब यह कतई नहीं है कि आपकी प्रजनन क्षमता को जज किया जा रहा है। बल्कि यह गर्भाधान में आ रही चुनौतियों को संभालने में भी आपकी मदद कर सकती है। 
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एक्सपर्ट ओपिनियन के साथ तोड़ें टैबूज़: IVF day, चित्र: शटरस्टॉक
शालिनी पाण्डेय Updated: 26 Jul 2022, 20:03 pm IST
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हम उस समाज से हैं जहां सबसे भव्य शादियां (Big fat Indian weddings) आयोजित की जाती हैं, इसके बावजूद हम सेक्स (Sex) पर बात नहीं कर पाते। यही हाल प्रजनन स्वास्थ्य (Reproductive health) से जुड़ी चुनौतियों का है। जब कोई जोड़ा लंबे समय तक बच्चे को जन्म नहीं दे पाता है, कानाफूसियां तो बहुत होती है। पर उन चुनौतियों पर बात नहीं हो पाती, जो किसी भी जोड़े के लिए मुश्किलें खड़ी कर देती हैं। वर्ल्ड आईवीएफ डे (World ivf day 2022) के उपलक्ष्य में विशेषज्ञ उन्हीं टैबूज और चुनौतियों पर खुलकर बात करने की वकालत कर रहे हैं। 

नवजात की किलकारी किसी भी घर में गूंजने वाला सबसे मधुर संगीत है। किसी नए जीवन का आपकी दुनिया में दस्तक देना आपकी खुशियों को जहां दोगुना करता है, वहीं आप दोनों को बेहतर और ज़िम्मेदार भी बनाता है। समय बहुत तेज़ी से बदल रहा है। लोगों की चॉईस परिवार से शिफ्ट होकर करियर बन गई है। ऐसे में प्रजनन की सही उम्र का निकल जाना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों और स्त्रियों दोनों की ही प्रजनन क्षमता घटने लगती है। ऐसी स्थिति से निपटने में आईवीएफ (IVF) आपकी मदद कर सकता है। 

क्या है आईवीएफ 

आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In vitro fertilization) पर बात करते हुए फोर्टिस हॉस्पिटल, वसंत कुंज के IVF डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉक्टर रिचिका सहाय कहती हैं कि “यह फर्टिलिटी के विभिन्न मुद्दों में ही मददगार नहीं है, बल्कि यह तकनीक उन दम्पतियों की भी मदद कर सकती है, जो किसी जेनेटिक दोष के कारण पूरी तरह से स्वस्थ बच्चे को जन्म नहीं दे पा रहे हैं।” 

आईवीएफ का उपयोग बांझपन (Infertility) और कुछ आनुवंशिक समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। आईवीएफ के दौरान, एक महिला के अंडाशय से अंडे हटा दिए जाते हैं और एक प्रयोगशाला में उसके साथी या दाता द्वारा प्रदान किए गए शुक्राणु के साथ निषेचित किया जाता है। एक या दो भ्रूण – निषेचित अंडे – को महिला के गर्भाशय (गर्भ) में प्रत्यारोपित किया जाता है।

आईवीएफ और उससे जुड़े टैबूज़ 

डॉक्टर सहाय कहती हैं कि दिक्कत दरअसल यह है कि लोग इस बारे में बात करने से हिचकते हैं। यहां तक कि इस ट्रीटमेंट का इस्तेमाल कर चुके दम्पति भी अपनी पहचान के साथ टेस्टीमोनियल लिखने के लिए भी नहीं तैयार होते। लोगों को लगता है कि इसका इस्तेमाल वही लोग करते हैं, जिनमें कोई कमी होती हे। इस वजह से वे एक तरह के कॉम्प्लेक्स का अनुभव करते हैं। इन्हीं टैबूज के कारण वे इस पर बात नहीं करना चाहते। 

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सम्बन्ध बनाए बिना गर्भ धारण की प्रक्रिया है आईवीएफ़ , चित्र: शटरस्टॉक

गर्भाधान की चुनौतियां 

पुरुषों में बढ़ती उम्र के साथ घटता स्पर्म काउंट और  महिलाओं में अनियमित माहवारीस्त्री रोग संबंधी समस्याओं की पहचान के लिए समय पर चिकित्सीय सलाह ज़रूरी है। पर इससे पहले आप अपने पार्टनर से हर मुद्दे पर खुल कर बात करें। उन्हें बताएं कि आप फैमिली प्लान करना चाहते हैं या नहीं।

डॉ प्रिया वार्ष्णेय, सीनियर कंसल्टेंट- फर्टिलिटी, क्लाउड नाइन के अनुसार कपल अगर गर्भावस्था को टालने या देर करने का प्रयास कर रहा है, तो रेगुलर फर्टिलिटी टेस्ट ज़रूर कराए जाने चाहिए। एक-दूसरे के साथ बाचतीत के अलावा प्रजनन विशेषज्ञ के टच में रहना भी ज़रूरी है।  

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जीवनशैली के विकल्प/समस्याओं के लिए जोड़ों को प्रजनन विशेषज्ञ से बात करनी चाहिए और स्वस्थ विकल्प अपनाना चाहिए। अपने प्रजनन विशेषज्ञों या डॉक्टरों से किसी भी तरह की यौन संबंधी परेशानी को न छिपाएं। 

इस बारे में क्या कहते हैं विशेषज्ञ

डॉक्टर वार्ष्णेय इस बारे में बात करते हुए बताती हैं कि गर्भधारण की कोशिश करने के एक साल बाद, 15 प्रतिशत जोड़े गर्भ धारण करने में असमर्थ थे। और, दो साल बाद भी उनमें से 10 प्रतिशत जोड़े गर्भधारण करने में असफल रहे। हर पीढ़ी ने प्रजनन के दौरान समस्या का अनुभव किया गया है। कई सामाजिक और चिकित्सीय कारकों के कारण भी प्रजनन दर में गिरावट आई है। 

हम बहुत से ऐसे लोगों को देखते हैं, जो हमें दिखाने के लिए आने में बहुत लंबा इंतजार करते हैं गर्भधारण के बारे में समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। हर सात जोड़ों में से एक को प्रजनन संबंधी समस्याओं से गुजरना पड़ता है। 

गर्भ धारण के बारे में चिंतित युगल के लिए सलाह है कि जल्द से जल्द एक प्रजनन विशेषज्ञ के साथ बातचीत करें। जितना हो सके अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें, लेकिन मदद लेने में भी देरी न करें। 

बातचीत से बढ़ती है जागरूकता 

फोर्टिस हॉस्पिटल, वसंत कुंज के IVF डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ रिचिका सहाय आईवीएफ़ ट्रीटमेंट में बातचीत की भूमिका के बारे में बात करते हुए कहती हैं कि यदि लोग इस बारे में बात करेंगे, तो उनकी इस ट्रीटमेंट को लेकर झिझक तो ख़त्म होगी ही साथ ही इस बारे में टैबूज़ भी टूटेंगे। 

भारत सरकार ने पिछले साल जून में आईवीएफ़ की अधिकतम कम्युलिटिव एज 100 साल निर्धारित की थी। कम्युलिटिव एज का अर्थ है पति- पत्नी की उम्र का जोड़ 100 से ज़्यादा नहीं होना चाहिए। ऐसी तमाम जानकारियां आपको अपने आईवीएफ़ विशेषज्ञ से मिल सकती हैं। साथ यह बातचीत आपको इस ट्रीटमेंट से जुड़ी भ्रांतियों और टैबूज़ से भी दूर रहने में मदद करेगी। 

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