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महिलाओं और लड़कियों को भी होता है हीमोफीलिया, जानिए क्या है इस वर्ष की थीम और उद्देश्य

ऐसा नहीं है कि महिलाएं सिर्फ हीमोफीलिया की वाहक हैं, बल्कि उन्हें भी इसके कारण जीवन भर गंभीर जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है। इसी समस्या को समझने और उसके बारे में जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से इस बार की थीम रखी गई है।
Updated On: 17 Apr 2025, 02:28 pm IST
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Hemophilia ke karan mahilao ko adhik pareshani ho sakti hai
हीमोफीलिया के कारण महिलाओं को अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। चित्र : अडोबीस्टॉक

हीमोफीलिया के बारे में यह बात जब रुढ़ि की तरह फैलने लगी कि पुरुष इससे सबसे ज्यादा पीड़ित हैं, तब हीमोफीलिया महासंघ को इसके बारे में जागरुकता फैलाने पर विचार करना पड़ा। विश्व हीमोफीलिया दिवस 2025 की थीम में यही जागरुकता नीहित है। इस वर्ष की थीम है, “Access for all : Women and gorls bleed too” अर्थात हीमोफीलिया के उपचार की सुविधा सभी तक पहुंचनी चाहिए : यह महिलाओं और लड़कियों में भी रक्तस्राव का कारण बनता है। इस थीम का उद्देश्य सभी तक हीमोफीलिया के बारे में जागरुकता, निदान और उपचार को पहुंचाना है।

महारानी विक्टोरिया को भी रह चुकी है यह बीमारी 

हीमोफीलिया को ‘रॉयल ​​डिजीज’ के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह यूरोपियन शाही परिवार का हिस्सा रह चुका है। महारानी विक्टोरिया पहले इससे पीड़ित हुईं और उनसे यह बीमारी उनके बेटे और बेटी में म्यूटेट हुई। इस तरह पूरे खानदान में यह बीमारी फैलती चली गयी।

मगर यह एक तरह का ब्लीडिंग डिसऑर्डर है और इसमें कुछ भी रॉयल नहीं है। विश्व हीमोफीलिया दिवस (World hemophilia day) पर, आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में हर वह जरूरी बात, जो आपको इससे बचाने में मदद कर सकती है।

kya hai haemophilia
जानिए इस रॉयल डिजीज हेमोफीलिया के बारे में । चित्र : शटरस्टॉक

वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया (WFH) अभियान हीमोफीलिया के बारे में जागरुकता फैलाने का उद्देश्य रखता है। इस वर्ष इस दिवस की थीम “Access for all : Women and gorls bleed too” अर्थात हीमोफीलिया के उपचार की सुविधा सभी तक पहुंचनी चाहिए : यह महिलाओं और लड़कियों में भी रक्तस्राव का कारण बनता है।”

यह महत्वपूर्ण अभियान ग्लोबल ब्लीडिंग डिसऑर्डर कम्युनिटी को एक साथ लाने, जागरूकता बढ़ाने के बारे में है। साथ ही, हीमोफीलिया और अन्य जेनेटिक्स विकारों का सही इलाज खोजने  के बारे में भी है।

भारत के संदर्भ में, 1983 से, हीमोफीलिया फेडरेशन इंडिया (HFI) भारत का एकमात्र राष्ट्रीय संगठन है। यह चार क्षेत्रों में फैले 87 चैप्टर के नेटवर्क के माध्यम से हीमोफीलिया से पीड़ित लोगों के कल्याण के लिए काम कर रहा है। हीमोफीलिया से पीड़ित लाेगों तक पहुंचने और सही देखभाल, शिक्षा प्रदान करने, सस्ती कीमत पर उपचार उपलब्ध कराने और आर्थिक पुनर्वास के उद्देश्य से और इस प्रकार उन्हें विकलांगता और दर्द से मुक्त जीवन देने में मदद करता है।

क्या है हीमोफीलिया (What is Hemophilia)

हीमोफीलिया एक रक्तस्राव विकार यानी ब्लीडिंग डिसऑर्डर है। जो काफी हद तक एक जेनेटिक स्थिति है। इसमें क्लॉटिंग फैक्टर्स की कमी के कारण ब्लड क्लॉटिंग प्रक्रिया ठीक से काम नहीं कर पाती। जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को सामान्य से अधिक समय तक ब्लीडिंग हो सकती है। अमूमन होता यह है कि हीमोफीलिया से ग्रस्त व्यक्ति को जब चोट लग जाती है, तो ब्लीडिंग अपने आप नहीं रुकती, क्योंकि ब्लड में थक्के बनाने वाले तत्वों की कमी है। जिसके बाद जोड़ों में दर्द की शिकायत भी रहने लगती है।

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अधिक रक्तस्राव पर नजर रखें। चित्र : शटरस्टॉक

हीमोफीलिया के प्रकार (Types of Hemophilia)

इन्हेरिटेड हीमोफीलिया के दो मुख्य प्रकार हैं

हीमोफीलिया A: यह क्लॉटिंग फैक्टर VIII की कम मात्रा के कारण होता है।
हीमोफीलिया B: जो क्लॉटिंग फैक्टर IX के निम्न स्तर के कारण होता है। आम तौर पर एक नॉन फंक्शनल जीन वाले “एक्स” क्रोमोज़ोम के माध्यम से किसी के माता-पिता से विरासत में मिलते हैं।

क्लॉटिंग फैक्टर के आधार पर हीमोफीलिया A और B को माइल्ड, मॉडरेट और सेवियर के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। 1 प्रतिशत से कम सक्रिय कारक वाले व्यक्तियों को गंभीर हीमोफीलिया के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। कुछ कैंसर, ऑटोइम्यून विकार और गर्भावस्था अक्सर अक्वायर हीमोफिलिया से जुड़े होते हैं।

हीमोफीलिया ए अधिक आम है और 5,000 बर्थ में लगभग 1 में होता है। जबकि हीमोफीलिया बी 20,000 बर्थ में से 1 को प्रभावित करता है।

इस जानलेवा बीमारी के जेनेटिक आधार को समझना बहुत जरूरी है। हीमोफीलिया ए और बी की बीमारी एक्स से जुड़ी हुई है, जो मां से विरासत में मिली है। हालांकि यह बीमारी पुरुषों में भी मौजूद है। सभी मनुष्यों में X क्रोमोज़ोम होते हैं, महिलाओं में दो X क्रोमोज़ोम होते हैं। जबकि पुरुषों में एक X और एक Y क्रोमोज़ोम होता है। हीमोफीलिया से संबंधित जीन को केवल X क्रोमोज़ोम ही वहन करता है।

एक पुरुष जो अपने एक्स क्रोमोज़ोम पर हीमोफीलिया जीन प्राप्त करता है, हीमोफीलिया से पीड़ित होगा। यदि किसी महिला के एक्स क्रोमोज़ोम में से एक पर दोषपूर्ण जीन है, तो वह “हीमोफीलिया वाहक” है। वाहक हीमोफीलिया से पीड़ित हो ऐसा ज़रूरी नहीं है, लेकिन वे इस बीमारी को अपने बच्चों को दे सकते हैं।

एक तरह का ब्लीडिंग डिसऑर्डर है। चित्र : शटरस्टॉक

कैसे पता चलेगा कि किसी को हीमोफिलिया है (Symptoms of Hemophilia)

इस रोग के लक्षण गंभीरता के साथ बदलते रहते हैं। आम तौर पर, लक्षण बाहरी या इंटरनल ब्लीडिंग के रूप में नजर आते हैं। हल्के रोग वाले लोग मामूली लक्षणों से पीड़ित होते हैं। मगर गंभीर हीमोफीलिया के रोगी में काफी इंटरनल ब्लीडिंग हो सकती है। जैसे गहरा आंतरिक रक्तस्राव, मांसपेशियों, जोड़ों में रक्तस्राव, गंभीर दर्द, जोड़ों की सूजन या बार-बार होने वाला रक्तस्राव शामिल है। इन रोगियों को उपचार के दौरान प्राप्त होने वाले रक्त से भी रक्त संबंधी समस्याएं होने का जोखिम ज्यादा होता है।

क्या संभव है हीमोफीलिया का इलाज (Hemophilia treatment)

वाहक का पता लगाने और प्रसव पूर्व निदान द्वारा हीमोफीलिया को रोका जा सकता है। जेनेटिक टेस्ट और परामर्श कुछ ऊतक या ब्लड टेस्ट वाले बच्चे पर बीमारी के जोखिम को निर्धारित करते हैं। जन्म के बाद हीमोफीलिया का निदान खून के थक्के जमने की क्षमता और उसके थक्के स्तर का परीक्षण करके किया जाता है।

हल्के मामलों में आमतौर पर क्लॉटिंग कारकों की आवश्यकता नहीं होती है। जबकि गंभीर मामलों में यह जीवन भर जारी रह सकता है।

हीमोफीलिया की रोकथाम और निदान में बहुत बड़ा अंतर है, क्योंकि भारत में 80 प्रतिशत मामलों में जागरूकता की कमी और विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में नैदानिक सुविधाओं की कमी के कारण निदान नहीं किया जा रहा है। तो आइए हम सभी जागरूकता और जानकारी के साथ इसकी रोकथाम और उपचार की दिशा में काम करें।

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संबंधित प्रश्न

क्या हीमोफीलिया ब्लीडिंग को रोका जा सकता है?

हां यह संभव है। इसके लिए मरीज को प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वह अचानक ब्लीडिंग होने पर खुद को संभाल सके। इन्फ्यूजन की प्रक्रिया को समय-समय पर दोहराने से भी इससे बचा जा सकता है।

क्या हीमोफीलियाक्स में पीरियड होते हैं?

हीमोफीलियाक्स अर्थात हीमोफीलिया के जीन वाली महिलाओं में हल्का से मध्यम स्तर का हीमोफीलिया होता ही है। इनमें हैवी पीरियड अर्थात मेनोरेजिया होना आम बात है। इसलिए ब्लीडिंग डिसऑर्डर वाली लड़कियों को पीरियड शुरू होने से पहले ही डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

हीमाेफीलिया से पीड़ित व्यक्ति का जीवन कैसा होता है?

किसी भी तरह का ब्लीडिंग डिसऑर्डर जीवन को तो कठिन बनाता ही है। मगर सही और समय पर उपचार के साथ हीमोफीलिया से पीड़ित लोग सामान्य जीवन जी सकते हैं। बस गंभीर ब्लीडिंग होने पर सावधान रहने की जरूरत होती है।

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
योगिता यादव
योगिता यादव

कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय।

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