माउथ कैंसर या ओरल कैंसर (Oral Cancer) में जीभ, मसूढ़ों, गालों, तालु, टॉन्सिल या गले के पिछले भाग के कैंसर शामिल होते हैं। ओरल कैंसर देश में पुरुषों को होने वाले सबसे सामान्य किस्म के कैंसर में से है। महिलाओं के मामले में, यह 5 सबसे सामान्य कैंसर में से है। हर साल, 80,000 से अधिक लोगों में ओरल कैंसर की पुष्टि होती है और इनमें से 60 फीसदी मरीज़ ओरल कैंसर के चलते असमय मौत का शिकार बनते हैं। यही कारण है कि हमें ओरल कैंसर के कारणों (Causes of Oral Cancer) तथा लक्षणों/संकेतों के बारे में जागरूक (Oral cancer Awareness) होना चाहिए।
ओरल कैंसर का सबसे बड़ा कारण तंबाकू का सेवन है। तंबाकू का सेवन, सिगरेट-बीड़ी पीने, तंबाकू का पान चबाने, तंबाकू-गुटखा आदि चबाने जैसे कई तरीकों से किया जाता है। इसके अन्य कारणों में एचपीवी (HPV) जैसे वायरस इंफेक्शन भी शामिल हैं। कई बार, धूप में अत्यधिक रहने से भी होंठों का कैंसर (Lip Cancer) होता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ कैंसर का खतरा भी बढ़ता है। तंबाकू का सेवन बंद करने से ओरल कैंसर का खतरा 90 फीसदी तक कम हो सकता है।
मुंह में होने वाले कैंसर के आरंभिक लक्षणों में कई तरह के संकेत शामिल हैं। हालांकि निम्न संकेतों/लक्षणों के दिखायी देने पर हमेशा कैंसर ही हो, ऐसा जरूरी नहीं होता, लेकिन यदि ये बने रहें तो किसी योग्य चिकित्सक से अपनी जांच अवश्य करवाएं।
गले या मुंह में दर्द, खिचखिच या मुंह, होंठ अथवा गले में कड़ापन महसूस होना। कई तरह के संक्रमणों के कारण गले में दर्द महसूस होता है। ऐसा साधारण वायरल इंफेक्शन की वजह से भी हो सकता है। लेकिन अगर यह ज्यादा देर तक टिका रहे तो जांच अवश्य करवाएं। कई बार यह कैंसर या प्रीमैलिग्नेंट कंडिशन का सूचक भी हो सकता है।
मुंह के अंदर सफेद या लाल पैच दिखायी देने पर तत्काल जांच अवश्य करवाएं। सफेद पैच को कई बार ल्यूकोप्लाकिया कहा जाता है। ल्यूकोप्लाकिया से ग्रस्त 5 से 10 प्रतिशत लोगों में कैंसर हो सकता है। लाल पैच का कारण एरिथ्रोप्लाकिया हो सकता है। इससे ग्रस्त 50 फीसदी तक लोगों को बाद में ओरल कैंसर हो सकता है।
यदि शुरुआती चरणों में इनका पता चल जाए तो लगभग सभी मरीज़ों का उपचार किया जा सकता है। इस प्रकार के पैच दिखायी देने पर बायप्सी जांच की आवश्यकता हो सकती है। यह जानना जरूरी है कि ऐसे पैच की बायप्सी जांच की वजह से न तो कैंसर बनता है और न ही फैलता है। अलबत्ता, यह रोग के सही निदान में जरूर सहायता करता है और आवश्यकतानुसार इलाज में भी इससे मदद मिलती है।
चबाने, बोलने, निगलने या मसूढ़ों को हिलाने में अगर कठिनाई महसूस होने लगे तो यह ओरल कैंसर का लक्षण हो सकता है।
गालों पर सूजन, और गर्दन में उभार या सूजन भी कई बार कैंसर का आरंभिक लक्षण हो सकता है। अक्सर इस प्रकार की सूजन पीड़ारहित होती है। यही वजह है कि शुरू में लोग अक्सर इनकी अनदेखी करते हैं। लेकिन दर्द शुरू होने पर ही स्पेशलिस्ट को दिखाने की प्रवृत्ति के चलते कई बार कैंसर को फैलने के लिए काफी समय मिल जाता है। कभी-कभी ओरल कैंसर के कारण जबड़ा भी हिल जाता है।
यदि उपर्युक्त में से कोई भी लक्षण या चिह्न दिखायी दें, तो घबराएं नहीं। जरूरी नहीं कि यह कैंसर की वजह से हुआ हो। और यदि कैंसर है तो भी ओरल कैंसर के आरंभिक चरणों में निदान होने पर अधिकांश मरीज़ों का उपचार हो सकता है। शुरू में ही ओरल कैंसर का पता लगना इसका प्रभावी इलाज होता है। अपने चिकित्सक या डेंटिस्ट अथवा सर्जन/कैंसर स्पेश्यलिस्ट से मिलकर कैंसर की आशंका को दूर करें और रोग का सही-सही कारण पता कर उसका इलाज करवाएं।
हमेशा याद रखें, हम मिलकर कैंसर का खात्मा कर सकते हैं।
लक्षणों को पहचानें – इन्हें नज़रंदाज़ नहीं करें, यदि जरूरी हो तो चिकित्सा परामर्श लें और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आप तंबाकू के सेवन से बचें।
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