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एक अनुभवी ऑन्कोलॉजिस्ट से जानिए कैंसर सर्वाइवर्स में क्‍यों दोबारा लौट आता है कैंसर?

दुनिया भर में हर साल 9.6 मिलियन लोगों की मौत का कारण बनने वाला कैंसर अच्छे और महंगे इलाज के बावजूद वापस लौट आता है। यह कैंसर सर्वाइवर्स और उनके परिजनों के साथ ही कैंसर विशेषज्ञों के लिए भी गहन चिंता का विषय है।
जानिए उपचार के बावजूद क्यों वापस लौट आता है कैंसर। चित्र : शटरस्टॉक
Dr Amit Bhargava Updated: 6 Feb 2023, 18:40 pm IST
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इंसानों को सबसे ज्‍यादा अपनी चपेट में रहने वाले कुछ कष्‍टकारी रोगों में से एक ऐसा है जिसका खतरा हम सभी पर मंडराता रहता है। यह है कैंसर (Cancer), जो पूरे समाज पर डर की प्रेतछाया की तरह यह लटका हुआ है। कैंसर, यानि साइलेंट किलर (Silent killer cancer) दुनिया में मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। लंबे और महंगे उपचार के बावजूद ये साइलेंट किलर शरीर में छुपा रह सकता है और दोबारा पनप सकता है। आइए जानें क्यों उपचार के बावजूद वापस लौट (Causes of cancer relapse) आता है कैंसर।

2018 के आंकड़ों से यह स्‍पष्‍ट हो गया है कि हर छह में से एक व्‍यक्ति की मौत कैंसर की वजह से होती है। यानि हर साल कैंसर से 9.6 मिलियन लोगों की मौत हो जाती है। कैंसर दरअसल, रोगों का एक बड़ा समूह है, जो शरीर के किसी भी अंग के किसी भी टिश्‍यू में पनप सकता है। यह उनमें कोशिकाओं की अनियंत्रित बढ़त का कारण होता है।

समझिए कैंसर का विकास 

ये आक्रामक मैलिग्‍नेंट कोशिकाएं (aggressive cancer cells) अपनी सीमाओं का अतिक्रमण कर आसपास के टिश्‍यू/अंगों को तक में भी फैलती हैं। इस प्रक्रिया को मैटास्‍टेसाइजिंग (metastasizing) कहा जाता है और यह कैंसर की वजह से मृत्‍यु का प्रमुख कारण होता है। हाल के वर्षों में, टैक्‍नेालॉजी तथा मेडिकल साइंस के क्षेत्र में प्रगति के चलते कई तरह के कैंसर के उपचारों में बेहतरी हुई है, लेकिन दुर्भाग्‍यवश कैंसर अभी तक लाइलाज रोग बना हुआ है।

क्या है कैंसर के उपचार की प्रक्रिया 

कैंसर का निश्चित रूप से उपचार मुमकिन है, लेकिन इसके साथ समस्‍या यह है कि इलाज के बाद भी यह वापस आ जाता है। इसके इलाज में कीमोथेरेपी, हार्मोन थेरेपी, इम्‍युनोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी आदि शामिल हैं। हमारे डॉक्‍टर कई बार मरीज़ की स्थिति में सुधार लाने के लिए कई तरह के इलाज विकल्‍पों का सहारा लेते हैं। लेकिन इसके बावजूद, कैंसर का दोबारा पनपना मरीज़ों और उनकी देखभाल में जुटे लोगों के लिए काफी प्रमुख चिंता का विषय होता है।

मुंह, गला, स्तन, पेट, पीनस, ओवरी कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में पनप सकता है। चित्र शटरस्टॉक।

क्यों दोबारा पनपने लगता है कैंसर 

कैंसर दोबारा उस स्थिति में पनपता है जबकि कुछ समय तक निष्क्रिय रहने के बाद मैलिग्‍नेंट कोशिकाएं दोबारा बढ़ने लगती हैं। रेडिएशन थेरेपी या कीमोथेरेपी से कैंसर का इलाज करने पर, कैंसरकारी कोशिकाएं लिंफेटिक ब्‍लड वैसल्‍स के जरिए शरीर के अन्‍य भागों में फैल सकती हैं। ऐसे में मरीज़ का पूरी तरह से उपचार करने के बावजूद, कई बार कुछ मामलों में ये मैलिग्‍नेंट कोशिकाएं अन्‍य अंगों/भागों में पहुंच जाती हैं।

स्कैनिंग के बावजूद पकड़ में नहीं आतीं अति सूक्ष्म कैंसर कोशिकाएं 

कैंसर कोशिकाओं का आकार काफी सूक्ष्‍म होता है, यही कारण है कि ये कोशिकाएं विभिन्‍न प्रकार के पैट स्‍कैन्‍स, सीटी स्‍कैन्‍स या एमआरआई आदि के बावजूद हमारी चिकित्‍सा सुविधाओं के तहत् उपलब्‍ध किसी भी विधि से पकड़ में नहीं आते। ये कोशिकाएं जिन्‍हें किसी भी तरीके से पकड़ा नहीं जा सका हो, समय के साथ फैलने लगती हैं और इनकी वजह से संक्रमित भाग का आकार बढ़ने लगता है।

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इस प्रकार के ट्यूमर्स में सबसे सुरक्षित प्रक्रिया लिक्विड बायप्‍सी होती है, जैसा कि कई मरीज़ों में देखा गया है। अन्‍य प्रकियाओं से किसी भी प्रकार की कैंसरकारी कोशिकाओं का पता नहीं लगाया जा सका है।

म्युटेशन भी हो सकता है कारण 

कैंसर के दोबारा पनपने का एक और प्रमुख कारण म्‍युटेशन या फिर मरीज़ में अन्‍य कोई असामान्‍यता होता है। इस प्रकार के म्‍युटेशन और असामान्‍यताएं कई बार आनुवांशिक कारणों से होती हैं या फिर मैटाबॉलिज्‍़म में सुस्‍ती और सामान्‍यत: शरीर में हार्मोनों का स्‍तर बढ़ने की वजह से भी इस प्रकार की मैलिग्‍नेंसी बढ़ सकती है।

इसलिए जब भी मरीज़ों में इस प्रकार के बदलाव दिखायी दें, तब कैंसर का पूरा इलाज होने के बावजूद उसके दोबारा पनपने का जोखिम रहता है। कैंसर उपचार के निर्धारित मानदंडों के अनुसार, मेडिकल प्रोफेशनल्‍स मरीज़ों को उपचार के बाद अपने नियमित स्‍कैन तथा टैस्‍ट करवाने की सलाह इसी कारण देते हैं।

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उपचार के पहले दो साल हम उन्‍हें हर तीन महीने पर जांच रिपोर्टों के साथ बुलाते हैं। इसके बाद हर छह महीने पर और 5 साल के बाद उन्‍हें साल में एक बार जांच के लिए बुलाया जाता है। जैसे-जैसे समय बीतता है, रीलैप्‍स का जोखिम भी सभी मरीज़ों में घट जाता है।

कीमोथेरेपी के बाद भी फैल सकता है कैंसर 

हम यह जानते हैं कि क्‍यों सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन या यहां तक कि टार्गेटेड थेरेपी के बावजूद कैंसर रीलैप्‍स होता है। इसलिए हमें यह भी जानना चाहिए कि कैंसर के उपचार के बावजूद क्रोनिक इरीटेशन की वजह से जेनेटिक म्‍युटेशंस या हमारी आनुवांशिक संरचनाओं में अन्‍य बदलावों की वजह से कई बार असामान्‍य कोशिकाएं पनपती हैं।

ये कोशिकाएं इतनी छोटी होती हैं कि अलग-अलग तरह की स्कैनिंग से भी बच निकलती हैं। चित्र-शटरस्टॉक।

यही वजह है कि कई बार कैंसर रेडिएशन सर्जरी या कीमोथेरेपी के बाद कैंसर फैलता है।दरअसल, कैंसर कोशिकाएं लिंफेटिक्‍स ब्‍लड वैसल्‍स या सीधे प्रसार के चलते फैलती हैं और ऐसा कई बार पूरा इलाज होने के बावजूद होता है। कैंसर की अत्‍यंत सूक्ष्‍म कोशिकाओं को किसी भी प्रकार के पैट स्‍कैन या सीटी अथवा एमआरआई में नहीं पकड़ा जा सकता।

याद रखें 

1 सूक्ष्य कोशिकाएं छुप सकती हैं 

ये कोशिकाएं समय के साथ बढ़ती रहती हैं और इन छोटे आकार के ट्यूमर्स का लिक्विड बायप्‍सी से पता लगाया जाता है। इस तरह, रीलैप्‍स होने की जानकारी इन प्रक्रियाओं से मिलती है। कई बार कुछ लोगों में आनुवांशिकीय या मैटाबोलिक कारणों से भी ऐसा हो सकता है। हार्मोनल कारणों से भी मैलिग्‍नेंसी बढ़ने का खतरा रहता है। इसलिए, यदि मरीजों में ये कारण मौजूद होते हैं तो कैंसर का पूरी तरह उपचार होने के बावजूद उनमें कैंसर रीलैप्‍स होने का जोखिम रहता है।

2 उपचार के बावजूद नियमित जांच है जरूरी 

यही कारण है कि उपचार के दो वर्ष तक मरीज़ों को नियमित रूप से जांच के लिए बुलाया जाता है, दो वर्षों तक हर तीन महीने पर उनकी जांच की जाती है, इसके बाद 5 वर्ष तक हर छह महीने पर और 5 साल के बाद उन्‍हें साल में एक बार जांच करवाने की सलाह दी जाती है। समय बीतने के साथ-साथ रीलैप्‍स का जोखिम इन मरीज़ों में कम होता रहता है।

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Dr Amit Bhargava

Dr. Amit Bhargava is Director, Medical Oncology, Fortis Hospital Vasant Kunj. Dr. Amit Bhargava is a renowned Medical Oncologist with more than 16 years of experience. He has a special interest in treating patient with lung, haemato, gastrointestinal, breast and bone cancer. With a motto to cure cancer even in most advance stages Dr Bhargava has treated more than thousands of patients in India. He is recipient of multiple awards including Young Scientist award at ICON 2000. He has been visiting consultant at Belhoul’s Hospital, Dubai and worked with Mount Elizabeth Hospital, Singapore as well. ...और पढ़ें

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