दुनिया भर में कैंसर एक खतरनाक बीमारी के रूप में बढ़ रही है। हर साल 4 फरवरी के दिन लोगों को कैंसर की बीमारी के बारे में जागरूक करने के लिए विश्व कैंसर दिवस (World cancer day) मनाया जाता है। क्या आपको पता है कि दुनिया भर में लगभग 20% कैंसर वायरस के कारण होते हैं? इसके लिए 7 वायरस जिम्मेदार हैं जो व्यक्ति में अलग-अलग प्रकार के कैंसर का कारण बनते हैं। इन वायरस का उपचार वैक्सीन के द्वारा किया जा सकता है। इस बारे में और अधिक जानने के लिएए इसे अंत तक पढ़ें।
द कन्वर्सेशन पत्रिका पर मियामी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता रोनाल्ड सी. डेसरोसियर्स द्वारा लिखे गए एक लेख में दावा किया गया है कि कुछ वायरस कैंसर का कारण बनते हैं। वे इनके बनने की प्रक्रिया और कैंसर के कारणों पर भी इस रिपोर्ट में प्रकाश डाल रहे हैं।
जब तक यह वायरस किसी व्यक्ति को संक्रमित नहीं करते, तब तक यह है कैंसर का कारण नहीं बनते हैं। कोशिकाओं को यह वायरस सिखाते हैं की मृत्यु की प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया से कैसे बच सकते हैं। यह रणनीति इन परिवर्तित कोशिकाओं को अन्य अनुवांशिक परिवर्तनों के पथ पर सेट करती है। जो पूर्ण विकसित कैंसर का कारण बन सकती है।
अपने लेख में डेसरोसियर्स लिखते हैं,”एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट और वायरस के शोधकर्ता के रूप में, मैं यह समझना चाहता हूं कि वायरस जीवित कोशिकाओं और संक्रमित लोगों के स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करते हैं।”
सभी वायरस को 22 अलग-अलग परिवारों में बांटा जाता है। इनमें से 5 वायरस के परिवार ऐसे हैं जिन्हें प्रेजिस्टिंग कहा जाता है। यानी इन 5 परिवार के वायरस अगर एक बार किसी व्यक्ति को संक्रमित करते हैं, तो जीवन भर उनके शरीर में बने रहते हैं। उदाहरण के तौर पर हर्पीस वायरस जो बच्चों में चिकन पॉक्स का मुख्य कारण होते हैं। एक बार जब यह बच्चों को संक्रमित कर देते हैं तो बच्चों को चिकन पॉक्स होने की संभावनाएं जीवन भर बनी रहती है। लंबे समय तक जीवित रहने की यह क्षमता वायरस को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने में मदद करती है।
ऊपर जिन सात वायरस के बारे में बताया उनमें से पांच वायरस ऐसे हैं, जो प्रेजिस्टेंस परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इन पांच वायरस में एक या एक से अधिक प्रोटीन के लिए जेनेटिक कोड होता है जो कोशिकाओं को कोशिका मृत्यु से बचने, उन्हें प्रभावी ढंग से अमर बनाने और कोशिका वृद्धि को बढ़ावा देने का तरीका सिखाता है।
इन ऑन्कोजेनिक वायरस से विकसित होने वाली कैंसर कोशिकाओं में उनके मूल वायरस की आनुवंशिक जानकारी होती है, भले ही वे प्रारंभिक संक्रमण के वर्षों बाद दिखाई दें। लेकिन इन पांच ऑन्कोजेनिक वायरस में से एक से संक्रमित लोगों का केवल एक छोटा प्रतिशत अंततः इससे जुड़े पूर्ण विकसित कैंसर का विकास करता है।
वहीं अन्य दो वायरस में हेपेटाइटिस बी हेपडना परिवार से संबंधित है और दूसरा हेपेटाइटिस सी फ्लैवी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। ज्यादातर लोग इन दो वायरस से अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली के माध्यम से लड़ने में सक्षम होते हैं और वायरस को खत्म कर देते हैं। हालांकि जिन लोगों की इम्युनिटी मजबूत नहीं होती उनमें इन वायरस से कैंसर होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
HPV संक्रमण और इससे जुड़े कैंसर से बचाव के लिए टीका साल 2006 में यूएस में स्वीकार किया गया था। इसके बाद यह एचपीवी संक्रमण और गर्भाशय ग्रीवा कार्सिनोमा के बाद के विकास दोनों को रोकने में अत्यधिक प्रभावी साबित हुआ है। आज यह टीका दुनिया भर के हर छोटे से छोटे देश में उपलब्ध है।
इस टीके को 11 से 12 साल की उम्र के बच्चों के लिए इस्तेमाल करने की सिफारिश की जाती है। ताकि आगे चलकर वह किसी कैंसर जैसी बड़ी बीमारी की चपेट में न आएं। इसी तरह हेपेटाइटिस का टीका लंबे समय से सफल रहा है। 1986 में पेश किया गया यह टीका वायरस से बचने और केंसर से बचाव में मदद कर सकता है।
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