रक्तदान सामुदायिक जिम्मेदारी है। यदि आप किसी हॉस्पिटल में जाती हैं, तो आपको यह पता चल सकता है। सात में से एक व्यक्ति को ब्लड की जरूरत है। जानकारी के अभाव में हम ब्लड डोनेशन नहीं करते हैं। ब्लड डोनेशन की जानकारी देने और लोगों को जागरूक करने के लिए वर्ल्ड ब्लड डोनर डे (World Blood Donor Day) मनाया जाता है।
वर्ल्ड ब्लड डोनर डे सुरक्षित ब्लड डोनेशन और इसकी आवश्यकता के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। इस ख़ास दिन का स्लोगन है-रक्तदान करें, जीवन बचाएं। रक्तदान करें, किसी को मुस्कान दें। रक्तदान कर किसी को अनमोल जीवन दें। इस वर्ष वर्ल्ड ब्लड डोनर डे (World Blood Donor Day 2023 Theme) की थीम है ब्लड दें, प्लाज्मा दें, लाइफ शेयर करें, अक्सर करें रक्तदान (Give blood, give plasma, share life, share often)
रक्तदान से शरीर को क्या फायदे मिल सकते हैं, इसके लिए जिंदल नेचरक्योर इंस्टिट्यूट, बैंगलोर में डिप्टी चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. भारती कहती हैं, ‘ रक्तदान न केवल रोगियों को लंबा और स्वस्थ जीवन जीने में (Blood Donation for Longevity) सक्षम बनाता है। यह डोनर के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी लाभ पहुंचाता है। दूसरों की मदद करने से तनाव कम हो सकता है।
डॉ. भारती कहती हैं, ‘समय पर रक्तदान करने से वजन घटाने में मदद मिल सकती है। यह शरीर की सहनशक्ति (Endurance) को बढ़ाता है। ब्लड डोनेशन को वजन घटाने के मुख्य औजार नहीं मानना चाहिए। किसी भी स्वास्थ्य जोखिम से बचने के लिए रक्तदान करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।’
डॉ. भारती के अनुसार, पुरानी बीमारियों को रोकने के लिए इम्यूनोलॉजी जरूरी है। समग्र स्वास्थ्य को बढ़ाने और बीमारियों की पहचान करने के अलावा लगातार रक्तदान भी समग्र प्रणाली को पुनर्जीवित कर सकता है। रक्तदान या डायलिसिस जैसी प्रक्रियाओं से गुजरना स्पलीन को पुनर्जीवित कर सकता है। गौरतलब है कि स्पलीन लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन और उन्मूलन करने वाला अंग होता है । जब कोई व्यक्ति स्वैच्छिक रक्तदान से गुजरता है, तो लिम्फ, एरिथ्रोसाइट्स या लाल रक्त कोशिकाओं के संश्लेषण और उन्मूलन के लिए जिम्मेदार अंग का कायाकल्प हो जाता है। ब्लड प्लाज्मा का रिजुवेनेशन भी ल्यूकोसाइट्स को बढाने में मदद करता है । ये प्रतिरक्षा कोशिकाएं (Immune Cell) कई बीमारियों से बचाती हैं।
नियमित ब्लड डोनेशन से आयरन लेवल नियंत्रित रहता है। ब्लड में आयरन की हाई मात्रा अक्सर ब्लड आर्टरी को प्रतिबंधित करती है। इससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। यह आयरन की अधिकता हेमोक्रोमैटोसिस के रूप में जाने वाली बीमारी का कारण बनता है। ब्लड डोनेशन से अतिरिक्त आयरन के जमाव को कम करने से धमनियों को काम करने के लिए अधिक क्षेत्र मिलता है। यह ब्लड फ्लो और पल्स रेट को स्थिर बनाए रखता है। इसके कारण दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम होता है।
ब्लड में आयरन के अत्यधिक संचय को कम करने, कैंसर के खतरे को कम करने के लिए नियमित रक्तदान जरूरी है। ब्लड में हाई आयरन का जमाव कुछ स्थितियों में ब्लड कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।
रक्तदान करने के मनोवैज्ञानिक पहलू भी हैं। रक्तदान के बाद जब आपको यह एहसास होता है कि आपात स्थिति में आप किसी की जान बचा रही हैं। तो इस प्रकार की स्वैच्छिक गतिविधि का मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। इससे मन और शरीर में सुधार होता है। जब आप ब्लड देती हैं, तो यह किसी को एक और मुस्कान देता है। जीने का एक और अवसर देता है।
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