scorecardresearch

World Bipolar Disorder Day : मूड में बहुत अधिक बदलाव हो सकता है बाइपोलर डिसऑर्डर का लक्षण, एक्सपर्ट से जानिए इसके कुछ और लक्षण

किसी व्यक्ति का लगातार रोते रहना, बार-बार मूड में बदलाव होना या ठीक से सो न पाना, बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों में शामिल हैं। मनोचिकित्सक मानते हैं कि अगर समय रहते ध्यान दिया जाए तो इससे बचा जा सकता है।
Updated On: 23 Oct 2023, 09:13 am IST
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
बाइपोलर डिसऑर्डर एक मस्तिष्क विकार है, जो किसी व्यक्ति के मूड, ऊर्जा और कार्य करने की क्षमता में परिवर्तन का कारण बनता है। चित्र : एडोबी स्टॉक

आपके आस-पास रहने वाला कोई व्यक्ति बहुत अधिक एनर्जेटिक हो सकता है। उनकी ऊर्जा पर आप दांतों तले ऊंगली भी दब सकती हैं। हाे सकता है कि उन्हें नींद भी कम आ आती हो या उन्हें कभी-कभी स्पर्श का एहसास न होता हो। ऐसे लोग सामान्य दिखने के बावजूद असामान्य हो सकते हैं। वे रोजमर्रा की जिंदगी जी तो रहे होंगे, लेकिन वे किसी ख़ास रोग के शिकार भी हो सकते हैं। ये रोग बाइपोलर डिसऑर्डर कहलाता (Bipolar Disorder) है।इस रोग के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 30 मार्च को वर्ल्ड बाइपोलर डिसऑर्डर डे यानी विश्व द्विध्रुवी दिवस (World Bipolar Disorder Day) मनाया जाता है। बाइपोलर डिसऑर्डर के कारण और निदान के बारे में जानने के लिए हेल्थ शॉट्स ने मनस्थली संस्थान में सीनियर साइकोलॉजिस्ट डॉ. ज्योति कपूर से बात की।

वर्ल्ड बाइपोलर डिसऑर्डर डे (World Bipolar Disorder Day-30 March)

वर्ल्ड बाइपोलर डिसऑर्डर डे या विश्व द्विध्रुवी दिवस हर साल 30 मार्च को मनाया जाता है। 30 मार्च को ही सुप्रसिद्ध डच पेंटर विन्सेन्ट वान गॉग का जन्मदिन मनाया जाता है। इनके देहांत के बाद पता चला कि वे बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित थे। बाइपोलर डिसऑर्डर के प्रति जागरूकता दिखाने के लिए काले और सफेद रंग के रिबन का प्रयोग किया जाता है। ये रंग इस विकार से जुड़े अवसाद और उन्माद के विपरीत ध्रुवों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

क्या है बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder

डॉ. ज्योति कपूर बताती हैं, ‘बाइपोलर डिसऑर्डर एक मस्तिष्क विकार (Brain Disorder) है, जो किसी व्यक्ति के मूड, ऊर्जा और कार्य करने की क्षमता में परिवर्तन का कारण बनता है। बाइपोलर डिसऑर्डर के मरीज़ गंभीर भावनात्मक अनुभवों से गुज़रते हैं, जो मूड एपिसोड के रूप में जाने जाते हैं। यह अक्सर दिनों से लेकर हफ्तों तक अलग-अलग अंतराल पर हो सकते हैं। इस मूड स्विंग को अवसादग्रस्तता(Depressive), उन्मत्त (Manic) या हाइपोमेनिक (Hypomanic) कहते हैं। हाइपोमेनिक में व्यक्ति असामान्य रूप से खुश, क्रोधित या अत्यधिक उदास हो सकता है। इसके मरीज आमतौर पर न्यूट्रल मूड फेज से गुजरते हैं। यदि बाइपोलर डिसऑर्डर का सही तरीके से इलाज किया जाए, तो ये सक्रिय और बढ़िया जीवन जी सकते हैं।’

जीन और केमिकल इमबैलेंस हो सकते हैं जिम्मेदार (Gene and Chemical Imbalance) 

डॉ. ज्योति कपूर के अनुसार, हालांकि बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित होने का सटीक कारण नहीं बताया जा सकता है। यह माना जाता है कि रासायनिक असंतुलन (Chemical Imbalance) विकृत मस्तिष्क गतिविधि का मूल कारण बनता है। 80-90% लोगों के परिवार में कोई न कोई ऐसा सदस्य होता है, जिसे डिप्रेशन होता है या उसे यह विकार होता है। तनाव, अनियमित नींद के पैटर्न, ड्रग्स और अल्कोहल- ये सभी कारक उन लोगों में मूड स्विंग का कारण बन सकते हैं, जो पहले से कमजोर हैं।

bipolar 2
बाइपोलर डिसआर्डर के लिए जीन और केमिकल इमबैलेंस भी जिम्मेदार हो सकते हैं। चित्र : एडोबी स्टॉक

डिसऑर्डर से पीड़ित होने पर हो सकते हैं ये सभी लक्षण

अत्यधिक उदासी, थकावट और कम ऊर्जा, किसी भी काम को करने के लिए मोटिवेशन की कमी, निराशा की भावना, किसी भी काम को करने में ख़ुशी महसूस नहीं करना, किसी भी काम पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी का अनुभव होना, बहुत अधिक रोना-सिसकना आदि इसके लक्षण हो सकते हैं। चिड़चिड़ापन, सोने की अधिक जरूरत महसूस करना, अनिद्रा या अधिक सोना, अधिक भूख लगने से वजन बढ़ना, आत्महत्या के विचार आना भी बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित होने के लक्षण हो सकते हैं

साइकोलोजिस्ट की मदद और कुछ दवाएं हैं उपचार (Treatment) 

बाइपोलर डिसऑर्डर को पूरी तरह से टाला नहीं जा सकता है। बाइपोलर बीमारी या अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए मानसिक स्वास्थ्य विकार प्रकट होते ही उपचार शुरू कर देना चाहिए।बाइपोलर डिसऑर्डर शब्द तीन अलग-अलग निदान को संदर्भित करता है: बाइपोलर I, बाइपोलर II, और साइक्लोथिमिक (cyclothymic) डिसऑर्डर। इसके अनुसार ही इलाज हो सकता है।

therapist friend se alag hota hai
बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित होने पर  साइकोलोजिस्ट की मदद ली जाती हैं। चित्र : एडोबी स्टॉक

हालांकि बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित होने पर प्राथमिक उपचार में लक्षणों को नियंत्रित करने की कोशिश की जाती है।इसके लिए दवाएं और मनोचिकित्सा दी जाती है। इसमें शिक्षा और सहायता समूह भी शामिल हो सकते हैं। इस विकार में मूड स्टेबलाइजर्स के रूप में लिथियम व्यापक रूप से दिया जाता है। लिथियम मूड एपिसोड की गंभीरता को रोकने या कम करने में सबसे प्रभावी है। यह अन्य दवाओं के साथ भी दिया जा सकता है।

Pollपोल
प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?

यह भी पढ़ें :-Cyberchondria : हर समस्या को गूगल सर्च करना आपको बना सकता है मानसिक रूप से बीमार, एक्सपर्ट इसे कहते हैं साइबरकोनड्रिया

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
संबंधित विषय:
लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

अगला लेख