आपके आस-पास रहने वाला कोई व्यक्ति बहुत अधिक एनर्जेटिक हो सकता है। उनकी ऊर्जा पर आप दांतों तले ऊंगली भी दब सकती हैं। हाे सकता है कि उन्हें नींद भी कम आ आती हो या उन्हें कभी-कभी स्पर्श का एहसास न होता हो। ऐसे लोग सामान्य दिखने के बावजूद असामान्य हो सकते हैं। वे रोजमर्रा की जिंदगी जी तो रहे होंगे, लेकिन वे किसी ख़ास रोग के शिकार भी हो सकते हैं। ये रोग बाइपोलर डिसऑर्डर कहलाता (Bipolar Disorder) है।इस रोग के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 30 मार्च को वर्ल्ड बाइपोलर डिसऑर्डर डे यानी विश्व द्विध्रुवी दिवस (World Bipolar Disorder Day) मनाया जाता है। बाइपोलर डिसऑर्डर के कारण और निदान के बारे में जानने के लिए हेल्थ शॉट्स ने मनस्थली संस्थान में सीनियर साइकोलॉजिस्ट डॉ. ज्योति कपूर से बात की।
वर्ल्ड बाइपोलर डिसऑर्डर डे या विश्व द्विध्रुवी दिवस हर साल 30 मार्च को मनाया जाता है। 30 मार्च को ही सुप्रसिद्ध डच पेंटर विन्सेन्ट वान गॉग का जन्मदिन मनाया जाता है। इनके देहांत के बाद पता चला कि वे बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित थे। बाइपोलर डिसऑर्डर के प्रति जागरूकता दिखाने के लिए काले और सफेद रंग के रिबन का प्रयोग किया जाता है। ये रंग इस विकार से जुड़े अवसाद और उन्माद के विपरीत ध्रुवों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
डॉ. ज्योति कपूर बताती हैं, ‘बाइपोलर डिसऑर्डर एक मस्तिष्क विकार (Brain Disorder) है, जो किसी व्यक्ति के मूड, ऊर्जा और कार्य करने की क्षमता में परिवर्तन का कारण बनता है। बाइपोलर डिसऑर्डर के मरीज़ गंभीर भावनात्मक अनुभवों से गुज़रते हैं, जो मूड एपिसोड के रूप में जाने जाते हैं। यह अक्सर दिनों से लेकर हफ्तों तक अलग-अलग अंतराल पर हो सकते हैं। इस मूड स्विंग को अवसादग्रस्तता(Depressive), उन्मत्त (Manic) या हाइपोमेनिक (Hypomanic) कहते हैं। हाइपोमेनिक में व्यक्ति असामान्य रूप से खुश, क्रोधित या अत्यधिक उदास हो सकता है। इसके मरीज आमतौर पर न्यूट्रल मूड फेज से गुजरते हैं। यदि बाइपोलर डिसऑर्डर का सही तरीके से इलाज किया जाए, तो ये सक्रिय और बढ़िया जीवन जी सकते हैं।’
डॉ. ज्योति कपूर के अनुसार, हालांकि बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित होने का सटीक कारण नहीं बताया जा सकता है। यह माना जाता है कि रासायनिक असंतुलन (Chemical Imbalance) विकृत मस्तिष्क गतिविधि का मूल कारण बनता है। 80-90% लोगों के परिवार में कोई न कोई ऐसा सदस्य होता है, जिसे डिप्रेशन होता है या उसे यह विकार होता है। तनाव, अनियमित नींद के पैटर्न, ड्रग्स और अल्कोहल- ये सभी कारक उन लोगों में मूड स्विंग का कारण बन सकते हैं, जो पहले से कमजोर हैं।
अत्यधिक उदासी, थकावट और कम ऊर्जा, किसी भी काम को करने के लिए मोटिवेशन की कमी, निराशा की भावना, किसी भी काम को करने में ख़ुशी महसूस नहीं करना, किसी भी काम पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी का अनुभव होना, बहुत अधिक रोना-सिसकना आदि इसके लक्षण हो सकते हैं। चिड़चिड़ापन, सोने की अधिक जरूरत महसूस करना, अनिद्रा या अधिक सोना, अधिक भूख लगने से वजन बढ़ना, आत्महत्या के विचार आना भी बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित होने के लक्षण हो सकते हैं।
बाइपोलर डिसऑर्डर को पूरी तरह से टाला नहीं जा सकता है। बाइपोलर बीमारी या अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए मानसिक स्वास्थ्य विकार प्रकट होते ही उपचार शुरू कर देना चाहिए।बाइपोलर डिसऑर्डर शब्द तीन अलग-अलग निदान को संदर्भित करता है: बाइपोलर I, बाइपोलर II, और साइक्लोथिमिक (cyclothymic) डिसऑर्डर। इसके अनुसार ही इलाज हो सकता है।
हालांकि बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित होने पर प्राथमिक उपचार में लक्षणों को नियंत्रित करने की कोशिश की जाती है।इसके लिए दवाएं और मनोचिकित्सा दी जाती है। इसमें शिक्षा और सहायता समूह भी शामिल हो सकते हैं। इस विकार में मूड स्टेबलाइजर्स के रूप में लिथियम व्यापक रूप से दिया जाता है। लिथियम मूड एपिसोड की गंभीरता को रोकने या कम करने में सबसे प्रभावी है। यह अन्य दवाओं के साथ भी दिया जा सकता है।