विश्व बाइपोलर दिवस (WBD) का उद्देश्य बाइपोलर विकारों (Bipolar Disorder) के प्रति विश्व जागरूकता (Awareness) लाना और सामाजिक कलंक (Social Taboo) को खत्म करना है। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से, विश्व बाइपोलर दिवस का लक्ष्य दुनिया की आबादी को इसके विकारों के बारे में जानकारी देना है। जो बीमारी के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाकर, आम जन को शिक्षित और बेहतर बनाएगा।
बाइपोलर डिसऑर्डर जीवन भर चलने वाली मानसिक स्वास्थ्य समस्या हो सकती है जो मुख्य रूप से आपके मूड को प्रभावित करती है। आपके महसूस करने और माहौल के प्रति सामंजस्य के तरीके में यह स्थिति बदलाव ला सकती है। आपका अचानक मूड में परिवर्तन महसूस कर सकती हैं। इस स्थिति में आप सामान्य रूप से इन लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं।
आप इन समयों के बीच अच्छा महसूस कर सकती हैं। जब आपका मूड बदलता है, तो आप अपनी ऊर्जा के स्तर में या आपके कार्य करने के तरीके में बदलाव देख सकती हैं। बाइपोलर विकार को एडवांस डिप्रेशन भी कहा जाता है।
बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar disorder) के लक्षण गंभीर हो सकते हैं। वे आपके जीवन के क्षेत्रों, जैसे काम, स्कूल और रिश्तों को प्रभावित कर सकते हैं।
वर्ष 2021 में इसका विषय ‘आज के लिए शक्ति, कल के लिए आशा’ (Strength For Today, Hope for Tomorrow) थी। विषय ने इस मानसिक स्वास्थ्य विकार की सावधानी से देखभाल करने और पेशेवर मदद लेने को प्रोत्साहित करें।
वर्ल्ड बाइपोलर डे इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर बाइपोलर डिसऑर्डर (ISBD) द्वारा एशियन नेटवर्क ऑफ बाइपोलर डिसऑर्डर (ANBD) और इंटरनेशनल बाइपोलर फाउंडेशन के साथ मिलकर एक पहल है। यह विन्सेंट वैन गॉघ (Vincent Van Gogh) की जयंती पर मनाया जाता है। जो जीवन भर इस विकार के साथ रहे। वैन गॉघ ने खुद कहा था, “शुरुआत शायद किसी और चीज से ज्यादा कठिन है, लेकिन हिम्मत रखें, सब ठीक हो जाएगा।”
बाइपोलर डिसऑर्डर कोई आधुनिक मुद्दा नहीं है। हालांकि इसकी आधुनिक वैचारिक समझ 19वीं सदी में सामने आई। बाद में 1999 में, इंटरनेशनल बाइपोलर फाउंडेशन की स्थापना की गई। तब से बाइपोलर डिसऑर्डर पर शोध किया जा रहा है ताकि पीड़ित लोगों की मदद की जा सके।
विश्व बाइपोलर दिवस का प्रतिनिधित्व करने वाला रिबन धारियों में काला और सफेद होता है। दो विपरीत रंग उन चरम विपरीत पक्षों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो एक व्यक्ति इस स्थिति में अनुभव करता है।
1. बाइपोलर डिसऑर्डर के तहत व्यक्ति का मस्तिष्क अत्यधिक मूड और एनर्जी में परिवर्तन से ग्रस्त होता है।
2. असामान्य रूप से खुश या चिड़चिड़ेपन के अनुभवों को मेनिऐक या हाइपोमेनिक के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। जबकि एक उदास मूड को डिप्रेशन के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
3. व्यक्ति तटस्थ भी रह सकता है और इन मनोदशा परिवर्तनों के लिए कोई विशेष ट्रिगर नहीं है। यह सिर्फ सेकंड या मिनटों में हो सकता है।
4. अन्य लक्षणों में मनोविकृति का अनुभव भी शामिल है जैसे भ्रम (delusion), व्यामोह (paranoia) और मतिभ्रम (hallucination)।
5. बाइपोलर डिसऑर्डर का निदान आम तौर पर 25 साल की उम्र में होता है। हालांकि, व्यक्ति टीनेजर के रूप में लक्षण दिखाना शुरू कर सकता है।
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