आयुर्वेद भारतीय चिकित्सा इतिहास का अभिन्न अंग है। यह 5000 साल पुरानी चिकित्सा प्रणाली है। आज भी लोग इसके हानिरहित होने के कारण इस पर भरोसा करते हैं। इसके बावजूद अब भी आयुर्वेद के बारे में कुछ सुनी-सुनाई बातें प्रचलित हैं। यकीनन कन्फ्यूजन बढ़ना स्वभाविक है। तो आज हम ऐसे कुछ प्रश्न लेकर आए हैं, जिनके बारे में ज्यादातर लोग जानना चाहते हैं। आइए जानते हैं आयुर्वेद के बारे में सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले सवालों के कुछ जवाब।
हालांकि, कोविड-19 के दौरान कुछ आयुर्वेदिक जड़ी- बूटियों और उपायों का चलन काफी बढ़ गया था, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह इम्युनिटी बढ़ाने में सक्षम हैं।
भारतीय चिकित्सा पद्धति होते हुये भी हम इसे सही तरह से समझ नहीं पाए हैं। हम आज भी नहीं जानते हैं कि यह किस तरह से काम करता है। इसलिए, हम बिना जाने समझे कोई भी आयुर्वेदिक उपाय करने लग जाते हैं, जो घातक भी हो सकता है।
इसलिए आज हेल्थशॉट्स के इस लेख के माध्यम से हम दे रहे हैं, आपके उन सवालों का जवाब, जिन्हें आप जानना चाहते हैं।
यह एक व्यापक चिकित्सा प्रणाली है, जो 5000 वर्ष पुरानी है। इसे मदर ऑफ मेडिसिन भी कहा जाता है, जिससे चीनी के साथ-साथ शास्त्रीय पश्चिमी चिकित्सा का भी जन्म हुआ है। यह नाम संस्कृत से आया है (आयुष – जीवन, वेद – ज्ञान)। इसे दुनिया की सबसे पुरानी जीवित उपचार प्रणाली माना जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार, एक व्यक्ति का स्वास्थ्य उनके दोष पर आधारित होता है। प्रकृति के पांच तत्वों का संतुलन जिसे वायु, पृथ्वी, जल और अग्नि के रूप में जाना जाता है। शरीर में इन तत्वों को तीन दोषों के रूप में विभक्त किया गया है – वात, पित्त और कफ। आपके शरीर में इनमें से एक दोष का असंतुलन आपके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
किसी भी बीमारी का इलाज करने के लिए आयुर्वेदिक दृष्टिकोण समग्र और व्यापक है। यह आहार, मसालों, जड़ी-बूटियों, प्राकृतिक सप्लीमेंट्स, योग चिकित्सा, श्वास तकनीक, डिटोक्सिनेशन प्रोसेस और कई विधियों का उपयोग करता है। एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक आपके शरीर के प्रकार और दोष असंतुलन को पहचानकर, स्वास्थ्य को बढ़ावा देने या असंतुलन को ठीक करने के लिए इलाज की प्रक्रिया शुरू कर सकता है।
चूंकि आयुर्वेद की दवाएं पूरी तरह से प्राकृतिक पदार्थों से बनी होती हैं, इसलिए इनका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। इसके अलावा रोगी शारीरिक और मानसिक रूप से उन पर निर्भर नहीं होता है। मगर सभी की शारीरिक प्रकृति अलग होती है। इसलिए बिना किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लिए, किसी भी जड़ी-बूटी का इस्तेमाल न करें।
आमतौर पर एलोपैथिक दवाओं के साथ आयुर्वेदिक चिकित्सा ली जा सकती हैं। इसके अलावा, आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग कई पुरानी बीमारियों में एलोपैथिक दवाओं के सहायक के रूप में किया जाता है। ऐसे में आयुर्वेद के साधारण हर्बल फॉर्मूलेशन का सेवन करने में कोई बुराई नहीं है। हालांकि डॉक्टर के परामर्श से दवाएं लेना हमेशा सही तरीका है।
आयुर्वेद का उद्देश्य न केवल बीमार व्यक्ति का इलाज करना है, बल्कि स्वस्थ लोगों में बीमारी को रोकना भी है। जो तनाव, पारिवारिक समस्याओं आदि के कारण बीमार हो सकते हैं। इसलिए जीवन के विज्ञान आयुर्वेद को केवल वैकल्पिक चिकित्सा कहना सही नहीं है। अगर आपको कोई बीमारी नहीं है, तो आगे के लिए खुद को किसी बीमारी के जोखिम से बचाने के लिए आप आयुर्वेद का सहारा ले सकते हैं।
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