मौसम बदलने के साथ ही अस्थमा के मरीजों के लिए समस्या बढ़ गई है। अस्थमा (Asthma) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें श्वास नली में सूजन आ जाती है और सांस की नली का रास्ता संकीर्ण हो जाता है। इससे अतिरिक्त बलगम पैदा होने लगता है। इससे सांस लेने में परेशानी होने लगती है। हर बार बदलता हुआ मौसम अस्थमा के मरीजों के लिए समस्याएं बढ़ जाती हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आप उन चीजों के बारे में जानें जो अस्थमा के मरीज (dos and don’ts for asthma patients ) को करनी चाहिए और वह भी जो नहीं करनी चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की सहयोगी संस्था ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (GINA) है। यह 1993 में स्थापित हुआ था। अस्थमा के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए मई के पहले मंगलवार को इस संस्था के द्वारा वर्ल्ड अस्थमा डे मनाया जाता है। अस्थमा को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए इस वर्ष की थीम है सभी की देखभाल (Asthma care for all)।
गुरुग्राम के पारस हेल्थ हॉस्पिटल के हेड और सीनियर कंसल्टेंट-पल्मोनोलॉजी एंड रेस्पिरेटरी मेडिसिन डॉ. अरुणेश कुमार कहते हैं, अस्थमा एयरवेज की क्रोनिक इन्फ्लेमेशन की बीमारी है। अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति के एयरवेज में जलन या ट्रिगर के संपर्क में आने पर सूजन हो जाती है। इससे वायुमार्ग संकीर्ण हो जाता है।
इसके परिणामस्वरूप, आसपास की मांसपेशियां कड़ी हो जाती हैं, जिससे सांस फूलती है। यह एक पुरानी स्थिति है, जिसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। लेकिन उचित उपचार कुछ बातों को ध्यान में रखने पर इसे अच्छी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है।
सीनियर कंसल्टेंट-पल्मोनोलॉजी एंड रेस्पिरेटरी मेडिसिन डॉ. अरुणेश कुमार अस्थमा रोगियों के लिए जो पहला सुझाव देते हैं, वह है अपने आसपास सफाई रखना। घर पर धूल कण के संपर्क में आने से अस्थमा से पीड़ित लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। ये हल्के से गंभीर एलर्जी लक्षणों को ट्रिगर कर सकती हैं और अस्थमा के दौरे के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने आप को धूल, मिट्टी और धुएं से बचाएं।
समग्र स्वास्थ्य के साथ-साथ फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए वॉकिंग और योग जरूरी है। दैनिक योग और वॉकिंग फेफड़ों की क्षमता में सुधार करने में मदद करता है।
अनियमित रूप से भोजन लेना और छना तला भोजन अस्थमा के मरीज के लिए मुश्किलें बढ़ा देता है। पोषक तत्वों से भरपूर और सादा भोजन लें।
डॉक्टर द्वारा प्रेस्क्राइब की गई दवाओं को कभी मिस नहीं करें। यदि काम के प्रेशर से भूल जाती हैं, तो याद करने के लिए अलार्म सेट कर लें। साथ ही, डॉक्टर से नियमित सलाह भी लेती रहें।
डॉ. अरुणेश कुमार के अनुसार, यदि कहीं आप यात्रा कर रही हैं या घर से बाहर निकल रहीं हैं, तो डॉक्टर द्वारा प्रेस्क्राइब इन्हेलर हमेशा अपने साथ रखें। इनहेलर्स में मौजूद दवाएं एयरवेज के चारों ओर कसने वाली मांसपेशियों को आराम करने में मदद करती है। दवा वायुमार्ग को खोलने में मदद करती है। हवा को फेफड़ों से अंदर और बाहर जाने देती है, ताकि अधिक आसानी से सांस ली जा सके।
जो लोग छह घंटे से कम नींद लेते हैं, वे अस्थमा के दौरे का अनुभव 1.5 गुना अधिक करते हैं। जो लोग हर रात अनुशंसित 7 से 9 घंटे सोते हैं, उनकी तुलना में कम सोने वाले लोगों की स्वास्थ्य संबंधी गुणवत्ता खराब होती है।
धूम्रपान से अस्थमा के लक्षण बढ़ सकते हैं। शराब के अधिक सेवन से लगातार और अस्थमा के गंभीर दौरे पड़ सकते हैं।
अस्थमा से बचाव के लिए इन दोनों का सेवन नहीं करें।
डॉक्टर की सलाह पर सही एक्सरसाइज करना नहीं भूलें अस्थमा से बचाव के लिए लंग्स के अनुकूल एक्सरसाइज करें। गलत एक्सरसाइज के चुनाव से अस्थमा होने की संभावना बढ़ जाती है।
बहुत अधिक भोजन लेने और अधिक तला-भुना भोजन लेने से अस्थमेटिक अटैक की संभावना बढ़ जाती है। तला भुना भोजन सांस नली में अवरोध पैदा करते हैं।
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