विश्व स्वास्थ्य संगठन के शोधकर्ताओं के अनुमान के मुताबिक़ एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस के कारण 2019 में 1.27 मिलियन मौतें हुईं। जबकि किसी भी तरह का वायरल या संक्रमण होने पर एंटीबायोटिक दवाओं के माध्यम से ही उपचार किया जाता है। पर जब आप इन्हें लगातार और जरूरत से ज्यादा लेते हैं, तब आपका शरीर इनके प्रभाव के विरुद्ध काम करने लगता है। जिससे दवाएं असर करना ही बंद कर देती हैं। यह खतरनाक स्थिति है। लोगों को एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति जागरूक करने के लिए वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन वर्ल्ड एंटी माइक्रोबियल अवेयरनेस वीक (World Antimicrobial Awareness Week) मनाता है। क्या है एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस और इससे किस तरह बचा जा सकता है, आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
मई 2015 में विश्व स्वास्थ्य संगठन में एंटीबायोटिक दवाओं या रोगाणुरोधी दवाओं (antimicrobial medicine) के प्रतिरोध (resistance) की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए एक वैश्विक कार्य योजना बनाई गई। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य प्रभावी संचार के माध्यम से एएमआर के प्रति जागरूकता लाना था। उसी समय से विश्व रोगाणुरोधी जागरूकता सप्ताह (World Antimicrobial Awareness Week) एक वैश्विक अभियान है, जो लोगों को एएमआर के बारे में जागरूकता और समझ में सुधार करने के लिए हर साल मनाया जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रकाशित आलेख के अनुसार, एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस यानी रोगाणुरोधी प्रतिरोध (antimicrobial resistance) तब होता है, जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और दूसरे पैरासाइट समय के साथ ट्रांसफॉर्म हो जाते हैं। उन पर दवाओं का कोई असर नहीं होता है। इससे संक्रमण का इलाज करना कठिन हो जाता है।
जिससे बीमारी फैलने, गंभीर बीमारियों और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। दवा प्रतिरोध के कारण एंटीबायोटिक्स और अन्य रोगाणुरोधी दवाएं अप्रभावी हो जाती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के शोधकर्ताओं के अनुमान के मुताबिक़ एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस के कारण 2019 में 1.27 मिलियन मौतें हुईं।
एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस आज वैश्विक स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और विकास के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है। यह किसी भी देश में, किसी भी उम्र के लोग को प्रभावित कर सकता है। एंटीबायोटिक प्रतिरोध स्वाभाविक रूप से होता है। लेकिन मनुष्यों और जानवरों में एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग इस प्रक्रिया को तेज कर रहा है।
संक्रमण के कारण होने वाले रोगों निमोनिया (pneumonia), टीबी (tuberculosis), गोनोरिया और सालमोनेलोसिस (gonorrhoea and salmonellosis) का इलाज करना कठिन हो जाता है। उनके इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक कम प्रभावी हो जाती हैं।
एंटीबायोटिक प्रतिरोध के कारण लंबे समय तक रोगी को अस्पताल में रहना पड़ता है। इसके कारण मृत्यु दर में भी वृद्धि होती है। एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग बैक्टीरियल इन्फेक्शन को रोकने और इलाज के लिए किया जाता है। एंटीबायोटिक प्रतिरोध तब होता है, जब इन दवाओं के उपयोग के जवाब में बैक्टीरिया बदल जाते हैं। इंसान या जानवर नहीं, बल्कि बैक्टीरिया एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बन जाते हैं। ये बैक्टीरिया मनुष्यों और जानवरों को संक्रमित कर सकते हैं। उनके कारण होने वाले संक्रमणों का इलाज नॉन रेसिस्टेंस बैक्टीरिया की तुलना में कठिन होता है।
अक्सर हम बिना डॉक्टर के परामर्श के एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग कर लेते हैं। इसके कारण खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है। प्रभाव को कम करने और प्रतिरोध के प्रसार को सीमित करने के लिए समाज को सभी स्तर पर कदम उठाना होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (world health organization) के परामर्श आलेख के अनुसार –
1 प्रमाणित स्वास्थ्य पेशेवर(health professional) द्वारा निर्धारित किए जाने पर ही एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करें।
2 यदि डॉक्टर कहते हैं कि आपको एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता नहीं है, तो कभी भी बिना जरूरत के एंटीबायोटिक का प्रयोग नहीं करें।
3 डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ही एंटीबायोटिक दवाओं की डोज लें। जल्दी ठीक होने के लिए ओवरडोज लेना खतरनाक हो सकता है।
4 बची हुई एंटीबायोटिक दवाओं का कभी भी उपयोग न करें।
5 नियमित रूप से हाथ धोने, साफ-सफाई से भोजन तैयार करने, बीमार लोगों के साथ निकट संपर्क से बचने, सुरक्षित यौन संबंध बनाने और टीकाकरण का पालन करने से संक्रमण से बचाव किया जा सकता है।
1 स्वच्छ तरीके से भोजन तैयार करें।
2 कच्चे और पके भोजन को अलग रखें।
3 भोजन को अच्छी तरह से पकाएं, सुरक्षित तापमान पर भोजन रखें।
4 शुद्ध पानी और शुद्ध फलों और सब्जियों का उपयोग करें।
5 ऐसे खाद्य पदार्थों का चयन करें, जो एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग के बिना उत्पादित किए गए हों। बिना एंटी बायोटिक दवाओं के प्रयोग के तैयार हुए एनिमल बेस्ड फ़ूड खाएं।
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