देश में कोरोना वायरस संक्रमण माहामारी के दौरान एंटीबायोटिक दवाइयों की बिक्री में काफी वृद्धि हुई है। पर उपयोग के साथ इसके अति और गलत उपयोग भी सामने आए हैं। असल में एंटीबायोटिक दवाइयां (Antibiotic Medicines) भारत में लगभग हर मेडिकल स्टोर पर बिकने वाली आम दवाओं में से एक हैं। आपके मेडिकल या फर्स्ट एड बॉक्स में भी एंटीबायोटिक की गोलियां मौजूद होंगी। जिन्हें कुछ बीमारियों के दौरान डॉक्टर आपको लिख कर देते हैं। लेकिन क्या आप इन दवाओं के सही उपयोग के बारे में जानती हैं? तो विश्व एंटीबायोटिक अवेयरनेस वीक (World Antibiotic Awareness Week) के अवसर पर हम आपके लिए लाए हैं एंटीबायोटिक के बारे में जरूरी जानकारी।
हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन एंटीबायोटिक जागरूकता सप्ताह (WAAW) की मेजबानी करता है। जिसे विश्व रोगाणुरोधी सप्ताह के रूप में भी जाना जाता है। इस साल यह सप्ताह 18 नवंबर से 24 नवंबर तक मनाया जाएगा।
इस आयोजन का प्रमुख उद्देश्य एंटीबायोटिक या रोगाणुरोधी प्रतिरोध के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाना है। यह दवा प्रतिरोधी रोगों की स्थापना और प्रसार से बचने के लिए उचित स्वास्थ्य प्रथाओं का पालन करने के महत्व पर भी जोर देता है।
WAAW 2021 की थीम ‘जागरूकता फैलाएं, प्रतिरोध रोकें’ होगी। जबकि वर्ल्ड एंटीमाइक्रोबियल अवेयरनेस वीक की प्राथमिक टैगलाइन ‘एंटीमाइक्रोबियल्स: हैंडल विद केयर’ है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health organisation (WHO)) के अनुसार, एंटीबायोटिक दवाइयां, वायरस संक्रमण को रोकने और इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाइयां हैं। एंटीबायोटिक प्रतिरोध तब होता है, जब इन दवाइयों के उपयोग के जवाब में बैक्टीरिया अपना स्वरूप बदल लेता है।
कोई एक प्रकार का एंटीबायोटिक नहीं है, जो हर प्रकार के संक्रमण को ठीक कर सकता हो। एंटीबायोटिक्स मुख्य रूप से बैक्टीरिया के कारण होने वाले संक्रमणों का इलाज करते हैं, और या तो बैक्टीरिया को मार देते हैं या इसे प्रजनन और बढ़ने से बचाते हैं।
मुंहासे की समस्या बढ़ने पर डॉक्टर सबसे पहले एंटीबायोटिक दवा लिखते हैं, क्योंकि मुंहासे त्वचा की एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें बैक्टीरिया के कारण त्वचा की मृत कोशिकाएं आपस में चिपक जाती हैं, और छिद्र बंद हो जाते हैं।
यौन संचारित रोग (एसटीडी) एक प्रकार का इनफेक्शन हैं, जो आपको किसी ऐसे व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने से हो सकता है जिसे पहले से यह संक्रमण हो। एसटीडी के कारण बैक्टीरिया, परजीवी और वायरस हैं। इसके इलाज में भी एंटीबायोटिक अहम भूमिका निभाती है।
इयर इन्फेक्शन की स्थिति में मध्य कान की जगह और कान के ड्रम पर कुछ बैक्टीरिया के कारण सूजन की समस्या हो जाती है। इसमें कान में दर्द, बुखार और कुछ मामलों में कम सुनाई देने लगता है। एंटीबायोटिक दवाइयां इयर इंफेक्शन में भी इस्तेमाल की जाती है।
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) आपके यूरिनरी ट्रैक्ट में होने वाला इन्फेक्शन है। यह ज्यादातर यूटीआई बैक्टीरिया के कारण होते हैं, जैसे एस्चेरिचिया कोलाई, क्लेबसिएला न्यूमोनिया, या स्टैफिलोकोकस सैप्रोफाइटिक। ब्लैडर इन्फेक्शन एक प्रकार का यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन है, लेकिन सभी यूटीआई ब्लैडर इन्फेक्शन नहीं होते। UTI के इलाज में भी एंटीबायोटिक उपयोगी है।
ब्रोंकाइटिस भी एक प्रकार का इंफेक्शन है, जो कभी-कभी बैक्टीरिया के कारण भी होता है। यह आप के फेफड़ों को प्रभावित करता है। इसमें व्यक्ति की ब्रोन्कियल नलियों के अस्तर में सूजन की स्थिति उत्पन्न होने लगती है। बता दें की ये वे नलिकाएं हैं जो आपके विंडपाइप से आपके फेफड़ों में हवा ले जाती हैं। ब्रोंकाइटिस अक्सर वायरस के कारण होता है। आमतौर पर यह सर्दी या फ्लू का कारण बनते हैं।
जरूरत से ज्यादा, हाई पावर या गलत एंटीबायोटिक का सेवन करना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इससे डायरिया जैसी पेट संबंधित बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही कई अन्य परेशानियां जैसे इंफेक्शन का जल्दी ठीक न होना और एंटीबायोटिक रेसिस्टेंट का डिवेलप होना शामिल है। एंटीबायोटिक का इस्तेमाल कुछ दिनों के अंतर पर करना चाहिए। इसका लगातार सेवन भी हानिकारक हो सकता है।
ऐसा करने से सबसे प्रभावशाली एंटीबायोटिक दवाइयों का भी बैक्टीरिया पर असर होना बंद हो जाता है। यह बैक्टीरिया अपने आप को इस तरह बदल लेते हैं कि दवाई का उन पर असर ही नहीं होता, या बहुत कम असर होता है। ऐसी स्थिति में आपके लिए कई अन्य समस्याएं भी खड़ी हो सकती हैं, जिसमे स्टेफन जॉनसन सिंड्रोम बेहद आम है। इस सिंड्रोम में मुंह में छाले और चेहरे व छाती पर दाने निकल आते है, यह जानलेवा हो सकता है।
ध्यान रहे कि कोई भी एंटीबैक्टीरियल दवा बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिए। अन्यथा यह आपको अधिक जोखिम में डाल सकती है। किसी भी इंफेक्शन की अवस्था में एंटीबायोटिक लेने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।