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World Alzheimer’s Day: आपके अकेलेपन के साथ बढ़ सकता है अल्जाइमर्स और डिमेंशिया का जोखिम

कोविड-19 महामारी के दौरान सामाजिक दूरी और अकेले रहना एक मजबूरी थी। पर अगर आपको लगातार अकेले रहने की आदत है और परिवार या दोस्तों के साथ रहना आपके लिए मुश्किल लगता है, तो इस शोध को पढ़ लें।
अल्ज़ाइमर्स और डिमेंशिया  के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर वर्ष 21 सितंबर को विश्व अल्ज़ाइमर्स दिवस मनाया जाता है। चित्र: शटरस्टॉक
अदिति तिवारी Updated: 23 Oct 2023, 09:52 am IST
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अल्ज़ाइमर्स (Alzheimer’s disease) भूलने की बीमारी है। धीरे-धीरे यह इतनी बढ़ जाती है कि व्यक्ति अपने संबंधियों, दोस्तों और यहां तक कि खुद को भी भूलने लगता है। खाना-पीना यहां तक कि अपने दैनिक कार्यों को करना भी उसके लिए मुश्किल हो जाता है। इसके लिए कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं। पर क्या आप जानती हैं कि मिडल एज में अकेलेपन के शिकार लोगों में इस बीमारी का जोखिम अन्यों की तुलना में ज्यादा होता है! हैरान हैं न? असल में एक शोध में सामने आया है कि परिवार और दोस्तों के साथ रहने वाले लोगों की तुलना में अकेले रहने वाले लोग डिमेंशिया या अल्जाइमर्स के ज्यादा जोखिम में होते हैं। 

वर्ल्ड अल्जाइमर्स डे

 अल्ज़ाइमर्स और डिमेंशिया  के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर वर्ष 21 सितंबर को विश्व अल्ज़ाइमर्स दिवस (world alzheimer’s day) मनाया जाता है। इस बीमारी की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए कुछ देशों में इसे पूरे महीने मनाया जाता है। 2021 के अल्ज़ाइमर्स डे का थीम है “ डिमेंशिया को जानो, अल्ज़ाइमर्स को जानो” (Know dementia, know alzheimer’s) है।

अल्जाइमर्स और अकेलेपन के बीच कनैक्शन सामने आया है। चित्र: शटरस्टॉक

इस अभियान के दौरान चेतावनी संकेतों और समय पर इलाज कराने के महत्व को समझाया जाएगा। कोविड-19 महामारी ने सामाजिक दूरी के साथ-साथ अलगाव और अकेलापन भी बढ़ाया है। जो अल्जाइमर्स के जोखिम से जुड़े हैं।   

क्या कहता है शोध? 

अध्ययन के अनुसार अकेलापन स्वयं एक ​​रोग की स्थिति नहीं होती, बल्कि यह कई नकारात्मक स्वास्थ्य परिणामों से जुड़ा होता है। इसमें नींद की गड़बड़ी, डिप्रेशन (depression) के लक्षण, काग्निटिव ब्रैन (cognitive brain) को हानि और स्ट्रोक (stroke) शामिल हैं। जो लोग लंबे समय तक अकेलेपन से जूझते हैं, उन्हे भविष्य में अलग-अलग स्वास्थ्य संबंधी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। 

अल्जाइमर्स रोग और अकेलेपन का संबंध 

इस शोध में अकेलेपन के विभिन्न रूपों (क्षणिक और लगातार अकेलापन) और अल्ज़ाइमर्स की घटना के बीच संबंधों की जांच की गई। इसके लिए बीयूएसएम (BUMS) के शोधकर्ताओं ने फ्रामिंघम हार्ट स्टडी (Framingham Heart Study) के साथ मिलकर डेटा की जांच की। 

शोध में उन्होंने देखा कि लगातार अकेलापन (long term loneliness) या क्षणिक अकेलेपन (short term loneliness) में से अल्ज़ाइमर्स जैसी बीमारी का कारण क्या है। वे यह भी देखना चाहते थे कि क्या डिप्रेशन (depression) और एंग्जायटी (anxiety) भी इसमें शामिल है। 

लगातार अकेलापन या क्षणिक अकेलेपन से अल्ज़ाइमर्स हो सकता है। चित्र: शटरस्टॉक

मनोचिकित्सा, फार्माकोलॉजी और प्रयोगात्मक चिकित्सा विज्ञान के प्रोफेसर एवं कॉरस्पान्डिंग लेखक वेंडी किउ, (एमडी, पीएचडी) कहते हैं, “एक तरफ लगातार अकेलापन (long term loneliness) मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए एक खतरा है, वहीं क्षणिक अकेलापन (short term loneliness) डिमेंशिया (dementia) के लक्षणों को बढ़ावा देता है।” 

वर्तमान महामारी के संदर्भ में, ये निष्कर्ष उन लोगों के लिए उपयोगी हो सकते हैं, जो अकेलेपन से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, ये परिणाम आगे की जांच के लिए प्रेरित करते हैं। इससे सही जीवन, अकेलेपन से उबरना, मेंटल हेल्थ को ठीक रखना और अल्ज़ाइमर्स को रोकने की जानकारी प्राप्त की जाएगी। 

अकेलेपन के अन्य जोखिम 

हालांकि अकेलेपन और सामाजिक अलगाव को मापना कठिन है, लेकिन अध्ययनों द्वारा पता चला है कि 50 की उम्र के आसपास व्यक्ति इन दोनों परिस्थितियों से गुजरते हैं। यह उनके स्वास्थ्य को खतरे में डालता है। हाल के अध्ययनों में पाया गया कि: 

  • सामाजिक अलगाव उतना ही हानिकारक है, जितना धूम्रपान, मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता। इसने एक व्यक्ति की अकाल मृत्यु के जोखिम को काफी बढ़ा दिया है। 
  • सबसे अलग-थलग रहने वाले लोगों में डिमेंशिया (dementia) होने की संभावना 50% बढ़ जाती है। 
  • खराब सामाजिक संबंध (सामाजिक अलगाव या अकेलापन) हृदय रोग के 29% बढ़े हुए जोखिम और 32% स्ट्रोक के जोखिम से जुड़े है। 
  • यह डिप्रेशन (depression), एंग्जायटी (anxiety) तथा आत्महत्या (suicide) जैसी घटनाओ का कारण बनता है। 
अकेलापन डिप्रेशन , एंग्जायटी तथा आत्महत्या जैसी घटनाओ का कारण बनता है। चित्र: शटरस्‍टॉक

कैसे दूर करें अकेलापन? 

1. दिनचर्या की प्लानिंग करें: 

अक्सर देखा जाता है कि अस्त-व्यस्त दिनचर्या होने के कारण आप अपना जरूरी काम भूल जाते हैं। जिसके कारण आप पूरे समय तनाव और अपने काम में बिजी (busy) रहते हैं। ऑफिस हो या घर, आप किसी से बात नहीं करते। इस दुविधा से बचने के लिए आप एक टू-डू लिस्ट (to-do list) बनाएं और हर काम को समयानुसार बांट लें। इससे आपका तनाव कम होगा और आप ऑफिस तथा घर पर खुशी से लोगो से मिल सकेंगें।

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2. नए लोगों से मिलें: 

अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए वक्त आ गया है कि आप अपने शेल (shell) से बाहर निकलें। जिन लोगों से बात करने में आपको खुशी मिलती है उनसे बात करें और मिलें। नए और अच्छे विचारों वाले लोगों से बात करें तथा मेल जोल बढ़ाएं। 

दोस्तों के साथ पार्टी करें और बाहर खाना खाने जाएं। अपने दोस्तों के साथ समय बिताएं या परिवार के साथ कहीं घूमने जाएं। जैसे-जैसे आपका सामाजिक लगाव बढ़ेगा, आपका अकेलापन दूर होता जाएगा। आप खुद को काफी हल्का, तरोताजा व खुश महसूस करेंगें।

3. किसी तरह के नशे या ड्रग्स का सहारा न लें: 

अक्सर लंबे समय से अकेला महसूस करने वाला लोग इन बुरी आदतों के शिकार हो जाते हैं। अकेलापन के अहसास से बचने के लिए वे कई बार शराब, सिगरेट और ड्रग्स जैसे व्यासनों का सेवन करने लगते हैं। ऐसे नशों का सहारा बिल्कुल न लें। ये आपके अकेलेपन को दूर करने के बजाए उसे और बढ़ाते हैं। साथ ही यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हैं।  

खाली समय में अपना पसंदीदा गाना बजायें और दिल खोलकर नाचें। चित्र: शटरस्टॉक

4. व्यायाम या योग करें: 

सुबह के वक्त या खाली समय में योग जरूर करें। आप पार्क में जॉगिंग या सैर करने भी जा सकते हैं। बाहर की खुली ताज़ा हवा आपको चुस्त और फुर्ती से भर देगी। पार्क या बगीचे में आपको नए लोग मिलेंगे जिनसे बात करके भी आप अपना अकेलापन दूर कर सकते हैं। 

5. म्यूजिक सुनें और डांस करें: 

म्यूजिक तथा डांस को थेरेपी माना जाता है। खाली समय में अपना पसंदीदा गाना बजायें और दिल खोलकर नाचें। इस बात का संकोच करने की जरूरत नहीं है कि आपको नाचना नहीं आता। सब कुछ भूलकर बस मस्ती में झूम जायें। ये आपके मूड को फ्रेश कर देगा। 

तो लेडीज, अल्ज़ाइमर्स की बीमारी का जोखिम कम करने के लिए अपने अकेलेपन को दूर भगायें और खुलकर जीवन का आनंद लें।

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अदिति तिवारी

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