पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) से जूझ रही महिलाएं जरा सावधान हो जाएं। ‘यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कॉर्डियोलॉजी’ में प्रकाशित एक ब्रिटिश शोध में पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में हृदयरोग का खतरा अधिक पाया गया है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज की शोधकर्ता डॉक्टर क्लारे ऑलिवर विलियम्स ने कहा कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर पीसीओएस से जुड़ी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। यह अनुमान है कि प्रजनन उम्र की छह से 20 प्रतिशत महिलाओं में पीसीओएस है। इस बीमारी में अंडाशय में कई गांठें बन जाती हैं, जिससे मासिक धर्म अनियमित हो जाता है।
शरीर में अधिक बाल आने और सिर के बाल झड़ने की शिकायत भी पनपने लगी है। नर हार्मोन का स्तर बढ़ने के कारण गर्भधारण करने में भी दिक्कत आती है।
विलियम्स ने कहा कि पीसीओएस की शिकार ज्यादातर महिलाएं मोटापे से ग्रस्त होती हैं। इनमें टाइप-2 डायबिटीज और उच्च रक्तचाप का खतरा भी ज्यादा रहता है। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की शिकायत भी सता सकती है। ऐसे में दिल की सेहत बिगड़ना लाजिमी है।
शोधकर्ताओं ने 60 हजार से ज्यादा महिलाओं पर अध्ययन किया। इनमें से 6149 महिलाओं को पीसीओएस की समस्या थी। नौ साल इनकी निगरानी करने के बाद 4.8 फीसदी महिलाओं में हृदयरोग पनपे। शोध में पाया गया कि पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं में हृदयरोगों का जोखिम अन्य महिलाओं की तुलना में 19 फीसदी ज्यादा होता है।
50 साल से ऊपर की उम्र की महिलाओं में हृदयरोगों को खतरा ज्यादा नहीं था। लेकिन, पीसीओएस से पीड़ित 30 से 40 साल की उम्र की महिलाओं में हृदयरोगों का जोखिम ज्यादा पाया गया।
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