खराब लाइफस्टाइल, आहार में पोषक तत्वों की कमी और हार्मोनल इम्बैलेंस के कारण भारत में महिलाओं में हार्ट डिजीज के खतरे पुरुषों की अपेक्षा अधिक हैं। ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजीज, 2017 की रिपोर्ट बताती है कि भारत में कार्डियोवस्कुलर डिजीज के कारण महिलाओं के मरने की संख्या 1.18 मिलियन थी। इंडियन हार्ट एसोशिएशन के आंकड़ों के अनुसार, साउथ एशियन महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की अपेक्षा हार्ट डिजीज से मरने का जोखिम 8 गुणा अधिक होता है। इसलिए जरूरी है कि आप महिलाओं के हृदय स्वास्थ्य (heart disease risk in women) के बारे में कुछ जरूरी फैक्ट्स जानें।
इंडियन हार्ट एसोशिएशन (IHA) एक कार्डियोवस्कुलर हेल्थ एनजीओ है। इसकी स्थापना कार्डियोवस्कुलर डिजीज से प्रभावित होने वाले व्यक्ति सेविथ राव ने की। यह भारत की रजिस्टर्ड संस्था है। यह ऑनलाइन और ग्रासरूट लेवल पर कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के बारे में लोगों को जागरूक करती है। इसके लिए यह रिसर्च और स्टडी भी करती है।
वर्ष 2015 में इंडियन हार्ट एसोशिएशन ने दक्षिण एशियाई महिलाओं और हार्ट डिजीज पर शोध किया। इसके आधार पर उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश की महिलाएं हार्ट डिजीज से अधिक प्रभावित होती हैं।
जब महिलाएं मेंस्ट्रुअल पीरियड में होती हैं, तब उनमें एस्ट्रोजन हार्मोन की अच्छी मौजूदगी होती है। जो हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। पर मेनोपॉज के दौरान इस हार्मोन की कमी हृदयाघात के जोखिमों के बढ़ने का कारण बन सकती है।
महिलाओं में जब दिल का दौरा पड़ना होता है, तो वे चेस्ट पेन की बजाय अपच या थकान की शिकायत करती हैं। वहीं वे हाई कॉलेस्ट्रॉल का मैनेजमेंट भी दवाओं से कम करती हैं। इसलिए इंडियन हार्ट एसोशिएशन के अनुसार, पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को हृदय समस्याओं का जोखिम अधिक होता है। इसलिए उन्हें अपने हृदय के बचाव के लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।
यदि आप प्री मेनोपॉज फेज से गुजर रही हैं या आपके परिवार में कोई महिला मेनोपॉज फेज से गुजर रही हैं, तो उन्हें और अधिक सावधान रहने की जरूरत है। इंडियन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, प्राकृतिक एस्ट्रोजन मेनोपॉज से पहले के फेज में हृदय को सुरक्षा प्रदान करता है।
इसलिए दक्षिण एशियाई महिलाओं को पुरुषों की तुलना में 10 से 15 साल बाद दिल का दौरा पड़ने की प्रवृत्ति दिखती है। मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन लेवल में गिरावट के साथ उनमें हृदय रोगों का जोखिम बढ़ जाता है।
मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हाई एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल, कम एचडीएल (अच्छा) कोलेस्ट्रॉल और हाई ट्राइग्लिसराइड्स के साथ खराब लिपिड प्रोफाइल होता है। दक्षिण एशियाई लोगों में एचडीएल2बी नामक एक बहुत महत्वपूर्ण गुड कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी कम होता है। लगभग दो तिहाई दक्षिण एशियाई महिलाएं इस कमी से जूझती हैं।
डायबिटीज, हार्ट डिजीज का पारिवारिक इतिहास, हाई ब्लड प्रेशर (बीपी), फिजिकल एक्टिविटी की कमी और तंबाकू का सेवन भी महिलाओं में हार्ट डिजीज के लिए जिम्मेदार हो सकता है। विशेष रूप से स्मोकिंग और डायबिटीज पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए अधिक जोखिम कारक हैं।
मेटाबोलिक सिंड्रोम (हाई लिपिड, एबडोमिनल ओबेसिटी, डायबिटीज, हाई बीपी) पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है। यदि दक्षिण एशियाई महिलाओं के पेट की मोटाई 32 इंच से अधिक होती है, उन्हें मोटापे से ग्रस्त माना जाता है। अन्य ग्रुप की महिलाओं के लिए यह संख्या 36 इंच है।
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कस्टमाइज़ करेंजिन महिलाओं का बार-बार गर्भपात हुआ है (उनमें होमोसिस्टीन के हाई लेवल वाली महिलाएं भी शामिल हैं) हृदय रोग के लिए विशेष रूप से अधिक जोखिम में रहती हैं। इसके अलावा, नॉन स्टैंडर्ड रिस्क फैक्टर जैसे हाई लिपोप्रोटीन (ए) और सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) महिलाओं में महत्वपूर्ण हैं।
अवेयरनेस सबसे महत्वपूर्ण कारक है। दक्षिण एशियाई महिलाओं के लिए उचित पोषण और नियमित फिजिकल एक्टिविटी महत्वपूर्ण है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम और एबडाेमिनल ओबेसिटी के जोखिम को कम करने के लिए यह जरूरी है। प्रोसेस्ड कार्बोहाइड्रेट जैसे सफेद चावल को कम करना और ट्रांस फैट से सख्ती से बचना होगा।
प्रतिदिन 30 मिनट के लिए प्रति सप्ताह कम से कम पांच दिन डेली फिजिकल एक्टिविटी (चलने जैसी मध्यम तीव्रता)जरूरी हैं। कुछ भी दिक्कत होने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करने की कोशिश करें।
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