जब शारीरिक विज्ञान की बात आती है, तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि पुरुष और महिलाएं अलग-अलग हैं। इसका मतलब यह भी है कि जब कुछ बीमारियों की बात आती है, तो जोखिम और लक्षण भी भिन्न होते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हृदय संबंधी बीमारियां हैं, जिनके लिए महिलाओं में पीसीओएस और एंडोमेट्रियोसिस जैसे जोखिम कारक हैं।
सिर्फ इतना ही नहीं! अध्ययन यह भी बताते हैं कि महिलाओं को दिल का दौरा पड़ने की संभावना अधिक होती है। वास्तव में, हार्ट रिदम नामक पत्रिका में प्रकाशित एक नए अध्ययन से पता चलता है कि महिलाओं को रात में, कार्डियक अरेस्ट के कारण अचानक मौत हो जाने का खतरा रहता है।
सेंटर फॉर कार्डियक अरेस्ट प्रिवेंशन इन द स्मिड्ट हार्ट इंस्टीट्यूट (Center for Cardiac Arrest Prevention in the Smidt Heart Institute- US) के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में पहली बार पाया गया है कि रात के समय में, कार्डियक अरेस्ट के कारण पुरुषों की तुलना में महिलाओं की अचानक मौत हो जाने की संभावना अधिक होती है।
अध्ययन के वरिष्ठ लेखक और सेंटर फॉर कार्डिएक अरेस्ट प्रिवेंशन (Center for Cardiac Arrest Prevention) के एमडी, सुमीत चुघ ने कहा, “रात के समय अचानक मरना एक दर्दनाक घटना है।” चुघ ने कहा कि, “हम यह जानकर हैरान थे कि महिला होना ही अपने आप में इस जोखिम को बढ़ाता है।”
चुघ ने कहा, चिकित्सा विशेषज्ञ सोच में पढ़ गये हैं, क्योंकि रात के समय में, अधिकांश रोगी आराम की स्थिति में होते हैं, कम चयापचय, हृदय गति और रक्तचाप के साथ।
अचानक कार्डियक अरेस्ट-जिसे अचानक कार्डियक डेथ भी कहा जाता है- हार्ट रिदम की एक इलेक्ट्रिक गड़बड़ी है, जो दिल की धड़कन को रोकती है। लोग अक्सर दिल का दौरा पड़ने और अचानक हुए कार्डियक अरेस्ट को एक समझते हैं।
हालांकि, दिल का दौरा कोलेस्ट्रॉल पट्टिका के एक बिल्डअप के कारण होता है। जो कोरोनरी आर्टरी में रुकावट पैदा करता है। और दिल के दौरे के विपरीत, जब ज्यादा लक्षण होते हैं, तो अचानक हृदय की मृत्यु, चेतावनी के संकेतों की कमी हो सकती है।
एक और बड़ा अंतर: ज्यादातर लोग दिल के दौरे से बचे रहते हैं, केवल 10% मरीज ही अस्पताल में कार्डियक अरेस्ट से बच पाते हैं। अमेरिका में हर साल लगभग 350,000 लोगों में से लगभग 17% से 41% मामले रात के 10 बजे से सुबह 6 बजे के दौरान होते हैं।
अध्ययन में चुघ और उनकी जांचकर्ता टीम ने 4,126 रोगियों के रिकॉर्ड को देखा, जिनमें 3,208 दिन में अचानक कार्डियक अरेस्ट और 918 रात के समय के मामले थे। दिन के मामलों की तुलना में, रात में कार्डियक अरेस्ट से पीड़ित मरीजों में महिलाएं ज्यादा थीं।
हालांकि इस मामले में आगे काम करने की आवश्यकता है, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि, एक श्वसन घटक हो सकता है जिससे, महिलाओं के लिए रात में यह जोखिम बढ़ जाता है।
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कस्टमाइज़ करें25.4% महिलाओं की तुलना में रात में 20.6% पुरुष ही कार्डियक अरेस्ट का शिकार होते हैं। साथ ही, फेफड़ों की बीमारी, उन लोगों में काफी ज्यादा थी, जिन्हें रात में कार्डियक अरेस्ट हुआ था। बजाये उनके जिन्हें दिन के वक़्त ऐसा हुआ। रात के समय में जिन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ, वो लोग धूम्रपान के भी आदी देखे गये।
चुघ ने कहा, “पुरानी फेफड़े की बीमारी और अस्थमा, रात में अचानक होने वाले कार्डियक अरेस्ट के मामलों में काफी अधिक पाई गई।”
ऐसी कुछ दवाएं होती हैं जो मस्तिष्क को प्रभावित कर श्वास को दबाने की क्षमता रखती है। इन दवाओं का उपयोग दिन के समय होने वाले कार्डियक अरेस्ट की तुलना में रात को होने वाले कार्डियक अरेस्ट में काफी किया गया”।
इन निष्कर्षों के आधार पर, इस रिपोर्ट ने बताया कि मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली दवाओं की सिफारिश करते समय चिकित्सकों को सावधानी बरतने की ज़रुरत है, उदाहरण के लिए, दर्द और अवसाद को नियंत्रित करने वाली दवाओं को, हाई रिस्क पेशेंट्स ख़ास कर महिलाओं को नहीं देना चाहिए।
क्रिस्टीन अल्बर्ट, एमडी, एमपीएच, स्मिड हार्ट इंस्टीट्यूट में कार्डियोलॉजी विभाग की अध्यक्ष और कार्डियोलॉजी में ली और हेरोल्ड कपेलोवित्ज (Department of Cardiology in the Smidt Heart Institute and the Lee and Harold Kapelovitz Distringuished Chair) के अध्यक्ष ने कहा: “यह महत्वपूर्ण शोध चिकित्सकों और व्यापक चिकित्सा समुदाय को कठिन स्थिति के इलाज में, बेहतर मार्गदर्शन कर सकता है,”।
अल्बर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि कार्डियोलोजी में ज्यादा से ज्यादा जेंडर बेस्ड रिसर्च होने की ज़रुरत है।
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