दुनिया के दूसरे देशों की तरह कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रोन भारत में भी अपना असर दिखा चुका है। ऐसे में हर किसी के दिमाग में एक ही सवाल है कि आखिर तीसरे साल में प्रवेश कर चुके कोरोना वायरस का अंत कब होगा? कब तक इसी तरह वायरस के साथ जीने को मजबूर होना पड़ेगा? इसको लेकर दुनिया भर के विशेषज्ञों ने सकारात्मक उम्मीद जताई है। अमेरिका, डेनमार्क समेत दुनिया भर के एक्सपर्ट का मानना है कि जल्द ही कोरोना वायरस का अंत (Endemic) संभव है। फिर से पूरी दुनिया के सामान्य जीवन जीने की और अग्रसर होगी।
डेनमार्क की हेल्थ चीफ टायरा ग्रूव क्रास ने भविष्यवाणी की है कि दुनिया से ओमिक्रोन वेरिएंट के साथ ही कोरोना महामारी (End of Pandemic) का अंत हो जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई है कि ओमिक्रोन कोरोना महामारी का अंत लेकर आया है। हम सभी अगले दो महीनों में फिर से सामान्य लाइफ जीने लगेंगे।
यह बात डेनमार्क के स्टेट सीरम इंस्टीट्यूट की चीफ एपिडेमायोलॉजिस्ट टायरा ने एक टीवी चैनल से बातचीत करते हुए कहीं। टायरा ने अपने बयान में आगे कहा कि एक स्टडी में ऑर्गेनाइजेशन इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि डेल्टा की तुलना में ओमिक्रोन से संक्रमित होने के बाद हॉस्पिटल में भर्ती होने का जोखिम 50 फीसदी है। यानी डेल्टा की तुलना में ओमिक्रोन आधा प्रभावशाली है। इससे एक उम्मीद मिली है कि आनेवाले समय में इस महामारी का अंत हो जाएगा।
टायरा ने आगे बताया कि आने वाले दो महीनों में महामारी के अंत के कयास लगाए जा सकते हैं। इसके बाद जीवन फिर सामान्य हो जाएगा। हालांकि, उन्होंने यह भी चिंता जाहिर की है कि ओमिक्रोन के बढ़ते संक्रमण से लग रहा है कि यह कोरोना महामारी को और लंबा खींच सकता है।
इस स्टडी के मुताबिक, आने वाले समय में ओमिक्रोन संक्रमण तेजी से फैल सकता है। हालांकि, डेल्टा वायरस की तुलना में यह कम शक्तिशाली है। टायरा ने कहा कि जनवरी महीने के अंत में ओमिक्रोन अत्यधिक प्रभावशाली होगा। हालांकि, फरवरी महीने में संक्रमण के मामले घटने लगेंगे।
वाशिंगटन में वैज्ञानिक और वायरोलॉजिस्ट डॉ कुतुब महमूद का भी ऐसा ही अनुमान है। उनका कहना है कि टीकाकरण अभियान कोरोना से जंग में सबसे मजबूत हथियार है। उन्होंने कहा कि हम हमेशा महामारी के साथ नहीं रह सकते हैं। एक दिन इसका अंत होना है, जो बहुत नजदीक है। उनका कहना है कि यह एक ऐसा शतरंज का खेल है, जिसका कोई विजेता नहीं होगा। यह मैच बस ड्रॉ होने जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि जल्द ही वह समय आनेवाला है जब वायरस कहीं छिप जाएगा और हम एक विजेता बन जाएंगे। हम जल्दी ही फेसमास्क से निजात पा लेंगे। डॉ. महमूद ने भारत में 60 फीसदी आबादी को हुए टीकाकरण की भी जमकर सराहना की है।
डॉ. महमूद का कहना हैं कि इस साल हम जैसे-जैसे आगे बढ़ेंगे, वैसे-वैसे वायरस के अंत तक पहुंच जाएंगे। उम्मीद है कि जल्द ही इस महामारी का अंत हो जाएगा। दरअसल, वायरस, मनुष्यों में बदलती रोग प्रतिरोधक क्षमता के अनुकूल म्यूटेंट होने की कोशिश करता है।
उन्होंने कहा कि यह इंसानों और वायरस की बीच शतरंज के खेल की भांति है। वायरस, इंसानों को मात देने के लिए लगातार नई चाल चल रहा है, जिसका इंसान भी माकूल जवाब दे रहा है। हालांकि, इंसानों के पास सैनिटाइजर, फेसमास्क, सोशल डिस्टेंसिंग जैसी छोटी-छोटी चालें है।
इसी तरह विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख डॉ. टेड्रस अधनोम का मानना है कि 2022 कोरोना के अंत का साल होगा। इसके लिए विकसित देशों को अपने वैक्सीन दूसरे पिछड़े देशों के साथ शेयर करना चाहिए। उन्होंने यह भी चिंता जाहिर कि है कि संकीर्ण राष्ट्रवाद और वैक्सीन जमाखोरी के कारण ही ओमिक्रोन के एक्टिव होने के लिए आदर्श परिस्थिति पैदा हुई है।
उन्होंने बताया कि चाड, बुरूंडी, हैटी और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कोन्गो जैसे अति पिछड़े देशों में वैक्सीनेट लोगों की आबादी एक फीसदी से भी कम है, जो कि बेहद चिंताजनक है।
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