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कोरोना के बढ़ते मामलों के साथ फिर से होने लगी है हर्ड इम्युनिटी पर चर्चा, जानिए इसके बारे में सब कुछ

2019 की तरह 2022 के अंत में भी कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में हर्ड इम्युनिटी के बारे भी चर्चा होने लगी है। आइये जानते हैं एक्सपर्ट से हर्ड इम्युनिटी के बारे में सब कुछ।
जाप करने के कुछ प्रभावी फायदे बताए हैं। चित्र शटरस्टॉक।
स्मिता सिंह Published: 25 Dec 2022, 15:30 pm IST
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चीन में कोविड के केस लगातार बढ़ रहे हैं। कोरोना का नया वैरिएंट (XBB variant) चीन में लोगों के बीच दहशत पैदा कर रहा है। भारत में भी कोरोना पीड़ित की संख्या में वृद्धि हो रही है। हेल्थ मिनिस्ट्री भी लोगों से एहतियात बरतने की अपील कर रही है। ऐसे में हर्ड इम्युनिटी एक बार फिर चर्चा में आ गया है। पर्सनल इम्युनिटी बढाने के लिए हम तरह-तरह के उपाय तो आजमाते ही रहते हैं। पर ये हर्ड इम्युनिटी क्या है? इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए हेल्थ शॉट्स ने पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम में डिपार्टमेंट ऑफ पल्मोनोलॉजी एंड रेस्पिरेटरी मेडिसिन के एचओडी डॉ. अरुणेश कुमार से बात की। हर्ड इम्युनिटी (herd immunity) के बारे में डॉक्टर की राय जानने के लिए इस आलेख को अंत तक पढ़ें।

क्या है हर्ड इम्युनिटी (herd immunity)

डॉ. अरुणेश कुमार बताते हैं, ‘ हर्ड इम्युनिटी (herd immunity) को आमतौर पर जनसंख्या प्रतिरक्षा (Population Immunity) के नाम से जाना जाता है। सरल शब्दों में समझा जाए, तो इसका मतलब किसी संक्रामक बीमारी के खिलाफ एक अदृश्य सुरक्षा पंक्ति विकसित करना होता है। यह तब होता है जब उस बीमारी के खिलाफ एक निश्चित अनुपात में लोग वैक्सीन यानी टीका लगवा लेते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) टीकाकरण के माध्यम से हर्ड इम्युनिटी विकसित करने की बात कहता है। ऐसा करने से ख़ास प्रकार की संक्रामक बीमारी लोगों के बीच नहीं फ़ैल पाती है। जब हर्ड इम्युनिटी विकसित हो जाती है, तो बिना कारण के अधिक मौत और केस देखने को नहीं मिलते हैं।

क्यों जरूरी है हर्ड इम्युनिटी (herd immunity)

जब आबादी के एक बड़े हिस्से की इम्युनिटी बेहतर हो जाती है, तो संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा कम हो जाता है। इम्युनिटी विकसित होने के बाद बहुत कम लोगों को यह बीमारी हो पाती है। उदाहरण के लिए खसरा आसानी से आस-पास के व्यक्तियों में नहीं फैल सकता है। इसके लिए जरूरी है खसरा से ग्रसित व्यक्ति के आस पास रहने वाला व्यक्ति खसरे का टीका लगवाया हो। इसे हर्ड इम्युनिटी (herd immunity) या कम्युनिटी इम्युनिटी (community immunity) या हर्ड प्रोटेक्शन (herd protection) भी कहा जाता है। हर्ड इम्युनिटी से बच्चे, बुजुर्ग और बीमार व्यक्तियों की रक्षा हो पाती है।

सभी टीके वाली बीमारियों के लिए कारगर नहीं हर्ड इम्युनिटी

यहां यह जान लेना जरूरी है कि हर्ड इम्युनिटी सभी टीके वाली बीमारियों के लिए कारगर नहीं है। टेटनस इसका एक उदाहरण है। टेटनस संक्रमित व्यक्तियों से नहीं, बल्कि वातावरण में मौजूद सूक्ष्मजीवों से फैलता है। इस स्थिति में टीका लगवाना आपको बीमारी से नहीं बचाएगा। चाहे आपके आसपास के सभी लोग टीका लगवा चुके हों। जो बीमारी वातावरण में मौजूद सूक्ष्म जीवों से फैलती है उसके लिए हर्ड इम्युनिटी काम नहीं करती है।

हर्ड इम्युनिटी सभी टीके वाली बीमारियों के लिए कारगर नहीं है। चित्र: शटरस्टॉक

हर्ड इम्युनिटी विकसित करने की दिशा में यह जरूरी है कि कमजोर इम्युनिटी वाले और बच्चों को बीमारियों से मुक्त रखा जाए, क्योंकि ऐसे लोगों को टीका नहीं लगवाया जा सकता है। कुछ लोगों को टीके से एलर्जी हो सकती है, इसलिए उन्हें भी बिना टीके के सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है।

कोविड-19 (covid-19) में कितनी कारगर हो पाएगी हर्ड इम्युनिटी

समाज के एक बड़े हिस्से को कोविड-19 से बचाने के लिए हर्ड इम्युनिटी को विकसित करने की जरूरत है। इससे वायरस की कुल मात्रा कम हो जाएगी। हर बीमारी के लिए हर्ड इम्युनिटी विकसित करने के लिए लोगों को अलग अनुपात में टीका लगवाना होगा। उदाहरण के लिए हर्ड इम्युनिटी प्राप्त करने के लिए आबादी को खसरे के खिलाफ टीका लगवाना पड़ेगा।

यह नहीं साफ़ हो पाया है कि कोविड-19 के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी विकसित करने के लिए कितने लोगों का टीका लगवाना जरूरी है। चित्र : शटरस्टॉक

फैक्ट यह है कि खसरा उन व्यक्तियों के बीच नहीं फैलेगा, जिन्होंने टीका लगवाया है। इससे टीका न लगवाने वाले 5% लोगों की ही खसरे से रक्षा हो सकेगी। पोलियो के लिए कटऑफ पॉइंट लगभग 80% है। हालांकि अभी यह नहीं साफ़ हो पाया है कि कोविड-19 के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी विकसित करने के लिए कितने लोगों का टीका लगवाना जरूरी है। इस पर अभी रिसर्च हो रहे हैं। टीका लगवाने वाले लोगों का यह अनुपात टीके के प्रकार, लोगों की सेहत आदि के अनुसार अलग-अलग होगा।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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