पिछले लगभग छह महीनों से मौत के आंकड़े गिन रही दुनिया के लिए यह बड़ी खबर है। पतंजलि योग पीठ के संस्थापक और योग गुरू बाबा रामदेव ने कोरोना वायरस को मात देने के लिए दिव्य कोरोना किट के निर्माण का दावा किया है। तुलसी, अश्वगंधा और मुलैठी जैसी बरसों पुरानी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां एक बार फिर से मानव जीवन की सुरक्षा में काम आई हैं।
पर क्या वाकई यह औषधि उस खतरनाक वायरस का इलाज कर पाएगी, जिसने पूरी दुनिया को आतंकित कर दिया है। इस पर अभी परिणाम सामने आने शेष हैं। जबकि देर शाम आयुष मंत्रालय ने कंपनी के इस प्रचार और दावे पर आपत्ति जताई। इस संदर्भ में किए एक ट्वीट और सूचना प्रपत्र में इसे आपत्तिजनक बताते हुए इसे पूरी तरह से प्रमाणि न हो जाने तक दवा के प्रचार-प्रसार पर रोक लगाने को कहा है।
पतंजलि द्वारा बनाई गई इस आयुर्वेदिक दवा का नाम असल में कोरोनिल है। यह दिव्य कोरोना किट में शामिल एक दवा है। उसके अलावा किट में रेस्पिरेटरी सिस्टम को ठीक करने के लिए श्वासारी वटी, नाक में डालने के लिए अणु तेल का नेजल ड्रॉप भी शामिल होगा। यह नेजल ड्रॉप सुबह के वक्त डालना होगा।
श्वासारि वटी की गोलियां भी मरीज को सुबह खाली पेट ही दी जाएंगी जबकि मुख्य दवा कोरोनिल की तीन गोलियां खाना खाने के बाद मरीज को दी जाएंगी। फिलहाल इस किट की कीमत 600 रुपये रखी गई है।
इस दवा की विश्वसनीयता के बारे में कहा जा रहा है कि इस निम्स (NIMS) राजस्थान की मदद से दवा का 95 लोगों पर टेस्ट किया गया। जिनमें से 69 फीसदी कोरोना पॉजिटिव मरीज पहले तीन दिन में ही स्वस्थ हो गए। जबकि 7 दिन में सभी 100 फीसदी मरीज स्वस्थ हो गए। बाबा रामदेव की ओर से दावा किया गया है कि कोरोनिल के क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल में एक भी मरीज की मौत नहीं हुई।
पर इस पर अभी तक किसी और वैज्ञानिक अथवा संगठन की ओर से कोई भी राय सामने नहीं आई है। 35 से 40 हजार करोड़ का सालाना टर्नओवर करने वाली कंपनी पतंजलि के रिसर्च विंग में इस दवा के ट्रायल का दावा किया गया है।
इस आयुर्वेदिक दवा को बनाने में मुलैठी,गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी, श्वासारि आदि का इस्तेमाल किया गया है। गिलोय में मौजूद टिनोस्पोराइड और अश्वगंधा में पाया जाने वाली एंटी बैक्टीरियल प्रोपर्टीज के साथ श्वासारि के रस का इसमें इस्तेमाल किया गया।
कहा जा रहा है कि यह दवा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही श्वसन तंत्र को स्वस्थ बनाती है। यह ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, तंत्रिका तंत्र और मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव छोड़ती है। जबकि गिलोय कोरोना में होने वाले बुखार को नियंत्रित करता है।
पिछले कुछ समय से कोरोना वायरस के ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी है, जिनमें आंशिक लक्षण होते हैं या बिल्कु्ल नहीं होते। कोरोनिल ऐसे मरीजों का उपचार करने में भी मददगार है। यह मध्यम और तीव्र कोरोना वायरस के मरीजों को भी ठीक करने का दावा करती है।
कोरोनिल के बारे में अभी तक सिर्फ बाबा रामदेव और पतंजलि के दावे ही सामने आए हैं। हालांकि अश्वगंधा, तुलसी और गिलोय जैसी जड़ी-बूटियों को शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जाना जाता है। ऐसा ही मार्क हमें कोरोना किट पर भी दिखाई दे रहा है। जिसमें स्पष्ट लिखा गया है इम्यूनिटी बूस्टर किट। ये उन लोगों लिए तो मददगार हो सकती है, जो कोरोना से मुकाबले के लिए अपनी इम्यूनिटी बूस्ट करना चाहते हैं।
क्योंकि अभी तक कोरोना वायरस के इलाज में कोई भी वैज्ञानिक समर्थित दवा नहीं बनाई जा सकी है। कोरोनिल को भी अभी तक स्वास्थ्य मंत्रालय, आयुष मंत्रालय या किसी और स्वास्थ्य, चिकित्सा संगठन की हरी झंडी नहीं मिल पाई है। बल्कि आयुष मंत्रालय ने देर शाम ट्वीट करके कंपनी से दवा के बारे में सारी डिटेल सौंपने को कहा है। और जब तक यह प्रमाणित नहीं हो जाता कि दवा वाकई कोरोना वायरस का इलाज करने में सक्षम है तब तक इसके प्रचार और प्रसार पर रोक लगाने को कहा है।