सर्दियों में सुबह सबसे खराब शोर जो सुनाई देता है, वो होता है आपकी अलार्म घड़ी का शोर। है न? हम सुबह जल्दी उठने के लिए अलार्म तो लगाते हैं, पर झुंझलाहट में उसे बंद करके फिर सो जाते हैं। और शाम को अंधेरा होते ही नींद आने लगती हैं। तब मन में ख्याल आता है कि आखिर कितनी नींद बाकी है और कितना सोना है?
अगर सर्दियों में आपकी समस्या यही है, तो चिंता न करें, क्योंकि आप जैसी ही समस्या कई और लोगों की भी है। ज्यादातर लोग सर्दियों में ज्यादा नींद आने की शिकायत करते हैं और चाहकर भी अपना फिटनेस रूटीन पूरा नहीं कर पाते। जानना चाहती हैं कि ऐसा क्यों होता है? चलिए हम आपको बताते हैं –
कारण कोई भी हो लंबे घंटों तक सोना आपकी सेहत को गलत तरीके से प्रभावित कर सकता है। भले ही रात की नींद सेहत के लिए जरूरी है, लेकिन ओवरस्लीपिंग से मधुमेह, हृदय रोग और खराब सेहत का जोखिम बढ़ सकता है। शोधकर्ता भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि अवसाद और सामाजिक दूरी भी अत्यधिक नींद से जुड़े हैं। जानिए ठंडी में आप ज्यादा देर क्यों सोते हैं और इससे आपकी सेहत को कैसे नुकसान पहुंच सकता है।
सर्दियों के दौरान कई मानसिक और शारीरिक परिस्थितियों के कारण आपको अधिक नींद आ सकती है। इनमें से कुछ आम कारण हैं:
ठंड के मौसम में दिन छोटे और रातें लंबी होती हैं। यही कारण है कि कम सूर्य की रोशनी आपके सिर्केडियन रिदम (circadian rhythm) को गहरे रूप से प्रभावित करती है। जिससे आपका शरीर अधिक मेलाटोनिन यानी स्लीपिंग हार्मोन का उत्पादन कर सकता है। इसके कारण आप ज्यादा थका हुआ महसूस करने लगती हैं।
सूरज की रोशनी विटामिन डी का एक मुख्य स्रोत है। सिर्फ 10 मिनट के लिए सूर्य के संपर्क में रहने से, अधिकांश लोग दिन के लिए पर्याप्त विटामिन डी का उत्पादन कर सकते हैं। लेकिन सर्दियों में उन 10 मिनटों को प्राप्त करना भी मुश्किल होता है।
चूंकि विटामिन डी आपके मूड, ऊर्जा स्तर और इम्युनिटी को प्रभावित करता है, यह सर्दियों में ओवरस्लीपिंग का कारण बन सकता है। विटामिन डी की दैनिक जरूरत को पूरा करने के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकती हैं।
सर्दी के मौसम में अधिकांश लोग उदासी, अवसाद और चिंता से जूझते हैं। वास्तव में इससे संबंधित एक मनोवैज्ञानिक विकार है, जिसे सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD) कहां जाता है। इससे शारीरिक दूरी, पोस्ट हॉलिडे ब्लूज और नींद की गड़बड़ी संबंधित है। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है, कि ऐसी स्थिति में थकावट आ जाती है। लेकिन यह समझना भी जरूरी है कि अगर आप उस चिंता से गुजर रहें हैं, जिससे आपको नींद की कमी होती है, तो यह अधिक अवसाद और मूड की गड़बड़ी का कारण बन सकता है।
जब गर्मियों में तापमान बढ़ जाता है, तो सोना चुनौतीपूर्ण लगता है और आप बिस्तर पर करवट लेते हुए समय बिता देते हैं। आप उस दम घुटने वाली गर्मी को दूर करने और उससे लड़ने के उपाय खोजते रहते हैं। सोने के लिए आपके शरीर को ठंडा होना पड़ता है। इसलिए ठंडा वातावरण आपकी नींद के लिए मददगार हो सकता है। सोने के लिए उपयुक्त तापमान 18 डिग्री सेल्सियस होता है, जो सामान्य रूम टेंपरेचर के मुकाबले बहुत ठंडा है। इसका मतलब है कि सर्दियों के मौसम का ठंडा माहौल आपको अधिक सोने के लिए विवश कर देता है।
बहुत अधिक सोने से आपका वजन तेजी से बढ़ सकता है। हाल ही में हुए अध्ययन से पता चला है कि जो लोग 9 से 10 घंटे सोते हैं, उनमें 7 से 8 घंटे सोने वालों की तुलना में मोटा होने की संभावना 21% तक बढ़ जाती है।
इसकी वजह है कि कम सक्रिय अवधि के कारण आप अपनी कैलोरी बर्न नहीं कर पाते। आश्चर्य की बात यह है कि यह संबंध तब भी बना रहा जब भोजन के सेवन और व्यायाम को भी ध्यान में रखा गया। अतः अगर आप हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज करने के बावजूद लंबे घंटों तक सोते हैं, तो यह आपके मोटापे का कारण बन सकता है।
अधिक सोने से कुछ लोगों में सिरदर्द का खतरा बढ़ जाता है। सर्दियों में मिलनेवाली छुट्टियों को अगर आप सोकर बिताने की सोच रहें हैं, तो यह आपके सिरदर्द का कारण बन सकता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह सेरोटोनिन सहित मस्तिष्क में अन्य न्यूरोट्रांसमीटर को प्रभावित करता है। जो लोग दिन में अधिक सोते हैं और रात में अनियमित नींद के शिकार होते हैं, वे भी सुबह सिर दर्द से पीड़ित हो सकते हैं।
एक समय था जब डॉक्टर पीठ दर्द से लेकर सिरदर्द से पीड़ित लोगों को सीधे बिस्तर पर लेटने की सलाह देते थे। लेकिन वो दिन अब चले गए! जब आप पीठ दर्द का अनुभव करते हैं, तो आपको ओवरस्लीपिंग करने के बदले कुछ प्रभावी व्यायामों का अभ्यास करना चाहिए। इसके साथ ही आप डॉक्टर से जांच करवाएं। डॉक्टर भी ऐसे समय में एक निश्चित स्तर की गतिविधि बनाए रखने का सुझाव देते हैं।
हालांकि कम सोना या अनिद्रा अवसाद से अधिक जुड़ी होती है। लेकिन अवसाद से पीड़ित लगभग 15% लोग बहुत अधिक सोते हैं। यह बदले में उनके डिप्रेशन की स्थिति को और खराब कर देता है। यह इसलिए होता है कि इस विकार को ठीक करने के लिए आपको स्वस्थ और नियमित स्लीपिंग पैटर्न का पालन करना पड़ता है। अधिक सोने से आपका शरीर सुस्त महसूस करता है और मन उदास होता है। इससे निकलने के लिए आपको सामाजिक रूप से सक्रिय होने की आवश्यकता होती है।
अध्ययनों से पता चला है कि हर सुबह बहुत देर तक सोना या पर्याप्त नींद न लेना मधुमेह के खतरे को बढ़ा देता है। साथ ही अध्ययन यह भी बताते हैं कि ओवरस्लीपिंग आपके हृदय में बीमारियों के जोखिम को बढ़ा देता है। कुछ नर्सों के स्वास्थ्य अध्ययन में लगभग 72,000 महिलाएं शामिल थीं।
उस अध्ययन में आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि जो महिलाएं प्रति रात 9 से 11 घंटे सोती हैं, उनमें 8 घंटे सोने वाली महिलाओं की तुलना में कोरोनरी हार्ट डिजीज की संभावना 38% अधिक होती है।
सर्दियों का दिन जैसे जैसे बीतता है, आपका स्लीपिंग पैटर्न प्रभावित होने लगता है। यह आपके नींद और जागने के चक्र को बाधित करने लगता है। सूरज की रोशनी की कमी का मतलब है कि आपका शरीर मेलाटोनिन का अधिक उत्पादन करने लगा है जिससे आपको नींद आती है।
इसलिए सुबह होते ही खिड़की के पर्दों को खोल दें। जितना संभव हो, दिन के प्राकृतिक उजाले में बाहर निकलें। दोपहर के भोजन के समय थोड़ी देर टहलने की भी कोशिश करें। सुनिश्चित करें कि आपके घर और ऑफिस में सूर्य की किरणें आती हैं।
सर्दियों के ठंड और अंधेरी सुबह में व्यायाम करना आपका आखिरी विकल्प हो सकता है। लेकिन आपको आश्चर्य होगा कि हर दिन किसी प्रकार की शारीरिक गतिविधि में शामिल होने से आप अधिक ऊर्जावान महसूस करेंगे।
सप्ताह में 150 मिनट व्यायाम के लक्ष्य तक पहुंचने की चेष्टा करें। इसके लिए आपको केवल जिम, योग या कोई हाई इंटेंसिटी वर्कआउट करने की जरूरत नहीं है। आप क्रिकेट,बैडमिंटन या टेनिस जैसे खेल भी खेल सकते हैं। ये गतिविधियां न केवल आपको ऊर्जावान रहने में मदद करेंगी, बल्कि आपके वजन को भी नियंत्रित रखेंगी।
वजन आपकी ऊर्जा को प्रभावित कर सकता है और आपको नींद का एहसास करा सकता है। इसलिए यह सुनिश्चित करें कि आप स्वस्थ तथा संतुलित आहार का सेवन कर रहें हैं। पास्ता, पिज्जा, आलू, ब्रेड, जैसे स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थों के प्रलोभन में न पड़ें। आप गाजर, शलजम, अमरूद, संतरा जैसे फलों और सब्जियों को खा सकते हैं।
सर्दियों में मीठे की क्रेविंग्स को भी नियंत्रित रखें क्योंकि अधिक चीनी आपको केवल थोड़ी देर के लिए ऊर्जा देती है जो बाद में शरीर में जिद्दी फैट का कारण बन जाती है।
तो लेडीज, सर्दियों में अधिक सोने से बचें और अपनी स्वस्थ दिनचर्या को बरकरार रखें।
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