आए दिन हम सोशल साइट और वाट्सएप पर ऐसे संदेश पढ़ते हैं, िजिनमें बताया जाता है िक शराब आपकी हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाती है। हालांकि दोस्तों के बीच पार्टी करने के िलिए ऐसे कूल संदेश काफी मददगार साबित होते हैं। पर क्या वाकई सच हैं या इनमें कोई छुपा हुआ तथ्य भी है, जिसे हम अमूमन जान नहीं पाते। हृदय स्वास्थ्य और शराब के कनैक्शन की यही गुत्थी सुलझाने के लिए हमने बात की डॉ. तपन घोष से।
डॉ. तपन घोष फोर्टिस फ्लाइट लेफ्टिनेंट राजन ढल अस्पताल मेंं डायरेक्टर एवं हैड, डिपार्टमेंट ऑफ कार्डियोलॉजी हैड, डिपार्टमेंट ऑफ क्लीनिकल रिसर्च हैंं।
शराब या अल्कोहल (इथाइल अल्कोहल) का सेवन करीब 3000 वर्षों से किया जा रहा है। चीनी सभ्यता में शराब के सेवन के सबसे प्राचीन प्रमाण मिले हैं। भारत ने लगभग 2000 साल पहले दुनिया को अल्कोहल की ब्रूइंग और डिस्टलेशन की विधि (शराब बनाने की विधि) मालूम हुई।
शराब पीने की वजह से लिवर (यकृत) की बीमारी, मुंह, ग्रास नली, पेट और कॉलोन के कैंसर का खतरा पैदा हो सकता है। यह कई बार मानसिक विकारों, यातायात दुर्घटनाओं और हिंसा का भी कारण बनता है। हृदय संबंधी (कार्डियोवैस्कुलर) रोग पर शराब का प्रभाव परिवर्तनशील है।
इस शोध के बारे में जानना है जरूरी
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अल्कोहल अब्यूज़ एंड अल्कोहलिज़्म (एनआईएएए) ने अल्कोहल के सेवन से होने वाले विकार (एयूडी) का वर्णन इस प्रकार किया है – ‘‘ज्यादा शराब पीने से मस्तिष्क की क्रोनिक बीमारी, शराब के सेवन से नियंत्रण की हानि की समस्या होती है और जब शराब का सेवन नहीं किया जाता है, तो नकारात्मक भावनाओं का अनुभव होता है।’’
क्या है शराब की आदर्श मात्रा
0.6 औंस या 14 ग्राम शुद्ध अल्कोहल के सेवन को मानक माना जाता है। अल्कोहल की यह मात्रा 40% प्रूफ ड्रिंक्स (व्हिस्की, वोडका, रम और जिन) के 40 मिली लीटर में, वाइन के 150 मिली लीटर में (12% अल्कोहल), माल्ट लिकर के 240 मिली लीटर में (7% अल्कोहल) और 360 मिली लीटर बीयर (5% अल्कोहल) में मौजूद होती है।
महिलाओं के लिए अलग है मॉडरेट ड्रिंकिंग
मॉडरेट ड्रिंकिंग की परिभाषा जेंडर (स्त्री-पुरुष) पर आधारित है। पुरुषों के लिए प्रतिदिन 2 ड्रिंक्स और महिलाओं के लिए एक ड्रिंक्स तक को मॉडरेट ड्रिंकिंग माना जाता है। ज्यादा पीना (महिलाओं में प्रति सप्ताह 8 या अधिक ड्रिंक्स और पुरुषों में 15 या अधिक ड्रिंक्स प्रति सप्ताह) और अत्यधिक ड्रिंकिंग (एक बार में महिलाओं द्वारा 4 या अधिक और पुरुषों द्वारा एक बार में 5 या अधिक ड्रिंक्स) स्पष्ट रूप से कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य के प्रतिकूल परिणाम के बढ़ते मामलों से जुड़ा हुआ है।
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कस्टमाइज़ करेंज्यादा शराब पीती हैं तो इन जोखिमों के लिए रहें तैयार
अत्यधिक और ज्यादा शराब पीना स्पष्ट रूप से लोगों में उच्च रक्तचाप का कारण बनता है। शराब का सेवन करने वाले लोगों में हाइपरटेंशन के मामले 2 गुना पाए जाते हैं। अत्यधिक शराब का सेवन करने वालों का औसत रक्तचाप (बीपी) 4-7/4-6 एमएम बढ़ जाता है। यह काफी अहम होता है क्योंकि रक्तचाप के स्तर में 2 एमएम की वृद्धि से स्ट्रोक का खतरा 10% और कोरोनरी हार्ट डिजिज का खतरा 7% तक बढ़ जाता है।
रक्तचाप बढ़ने की वजह से शरीर की विभिन्न प्रणालियों पर असर पड़ता है, जिनमें एंडोथेलियल फंक्शन में बदलाव, मायोजेनिक फंक्शन में बदलाव, बैरोरिसेप्टर फंक्शन में बदलाव, ह्यूमोरल असंतुलन, सिम्पैथिक नर्वस टोन में परिवर्तन, वैस्कुलर वॉल ऑक्सीडेटिव, तनाव आदि शामिल हैं।
अत्यधिक और ज्यादा मात्रा में शराब के सेवन से हार्ट अटैक का खतरा 1.5 से 2 गुना बढ़ जाता है। यह उच्च रक्तचाप, एंडोथेलियल डिसफंक्शन, ऑक्सीडेटिव तनाव, प्लेटलेट एकत्रीकरण में वृद्धि, पीएआई-1 गतिविधि को बढ़ाता है, जिससे खून मोटा हो जाता है। यह धमनियों में अवरोध को बढ़ाता है।
अत्यधिक शराब पीने से घबराहट होती है। हृदय गति अनियमित हो जाती है। ईसीजी से कई प्रीमेेच्योर धड़कन या आर्टियल फैब्रिलेशन का पता चलता है। इससे स्ट्रोक या हार्ट फेल्योर हो सकती है।
लंबे समय तक शराब का सेवन करने से दिल की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। धीरे-धीरे दिल बड़ा हो जाता है। पंपिंग फंक्शन प्रभावित होता है और व्यक्ति को सांस तथा थकान की समस्या होती है। इससे सांस लेने में कठिनाई और पैरों की सूजन के साथ हार्ट फेल्योर हो सकता है।
शराब के सेवन से स्ट्रोक का खतरा 1.5 गुना तक बढ़ जाता है। इस समूह में स्ट्रोक के दौरान मौत के मामले 1.5 गुना ज्यादा होते हैं। मस्तिष्क से रक्तस्राव (हेमरैजिक स्ट्रोक) के मामले भी 14% अधिक होते हैं।
ज्यादा शराब पीने वालों में पेरीफेरल (पैर और हाथ की धमनी) रोग का खतरा बढ़ जाता है। शराब पीने और धूम्रपान करने वाले मधुमेह रोगियों में पैर के अल्सर और अंग- विच्छेदन का खतरा अधिक होता है।
इंटरहार्ट (INTERHEART) अध्ययन 52 देशों में उन लोगों के बीच किया गया जिन्हें पहली बार हार्ट अटैक आया था। हार्ट अटैक से जुड़े 9 जोखिम कारक स्पष्ट तौर पर देखे गए। इस अध्ययन से यह भी स्पष्ट रूप से पता चला कि दक्षिण एशियाई लोगों में शराब का सेवन सुरक्षात्मक तरीके से नहीं किया जाता है। हालांकि यह उसी इलाके में अन्य लोगों के लिए फायदेमंद था।
अध्ययन से यह भी पता चला कि अत्यधिक शराब का सेवन रक्तचाप, स्ट्रोक, हार्ट अटैक का खतरा, अचानक मृत्यु, सबार्केनॉइड रक्तस्राव और दिल का दौरा पड़ने के बाद मौत के ममले को बढ़ाता है।
शराब का सेवन विभिन्न हृदय रोगों से जुड़ा हुआ है। दक्षिण एशिया के डेटा से पता चलता है कि यह लोगों को वैस्कुलर रोगों से नहीं बचाता है। अल्कोहल का सेवन सीमित मात्रा में करने और अत्यधिक शराब पीने से परहेज करना तत्काल आवश्यक है। ऐसा करने से कई वैस्कुलर (हार्ट और ब्रेन अटैक्स) हादसरों को रोका जा सकता है।