हाल में अमेरिका के फ्लोरिडा में डॉक्टर ने एक 54 वर्षीय व्यक्ति को लेप्रसी होने की आशंका जताई। उस व्यक्ति को स्किन पर दर्द करने वाले दाने निकल आये। बाद में उसे लेप्रसी होने का निदान किया गया। डॉक्टर ने बताया कि हाल में उस व्यक्ति ने किसी भी स्थान की यात्रा नहीं की थी। उसे जूनोटिक रिस्क भी नहीं था। डॉक्टर के शोध बताते हैं कि कुछ महीनों से अमेरिका के फ्लोरिडा में हैंसेन डिजीज यानी कुष्ठ रोग के मामले अधिक हुए हैं। अमेरिका में लेप्रसी के मामले आम तौर पर कम दिखते हैं। डॉक्टर इसके कारण (leprosy in America) को स्पष्ट रूप से नहीं बता रहे हैं।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के अनुसार, भारत में कुष्ठ रोग की व्यापकता (Leprosy in India) दर 2014-15 में प्रति 10,000 जनसंख्या पर 0.69 से घटकर 2021-22 में 0.45 हो गई। भारत 2027 तक खुद को लेप्रसी फ्री देश बनाने का लक्ष्य रखता है।
अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने हाल में एक शोध पत्र प्रकाशित किया। इसके अनुसार, अमेरिका में अभी तक कुष्ठ रोग के बहुत कम मामले हैं, लेकिन देश में इनकी संख्या बढ़ रही है। उनमें से 80% मामले अकेले फ्लोरिडा राज्य से आ रहे हैं। सभी मामलों में से 20% सेंट्रल फ्लोरिडा के एक क्षेत्र से हैं। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार यह मामला एंडेमिक हो सकता है। चिकित्सकों को इसके प्रति सतर्क रहना चाहिए।
अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (Centre for Disease Control and Prevention) के जर्नल के अनुसार, कुष्ठ रोग (Leprosy) एक बैक्टीरियल डिजीज है, जो माइकोबैक्टीरियम लेप्री नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। इसका विकास बहुत धीमी गति से होता है। इसमें स्किन और पेरीफेरल नर्व को शामिल करने की प्रवृत्ति होती है।
स्किन पर कुछ पैच जो हल्के या हाइपोपिगमेंटेड होते हैं, वे भी उतने ही गंभीर होते हैं। इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ने पर पपल्स और नोड्यूल या उभार हो जाते हैं। कुछ कारणों से माथे की स्किन का मोटा होना या कानों का बढ़ना भी हो सकता है।
आमतौर पर किसी व्यक्ति के साथ श्वसन संबंधी ड्रॉपलेट के माध्यम से या जिसका इलाज नहीं हुआ है, उसके लंबे समय तक संपर्क में रहने पर हो सकता है। हालांकि अमेरिका में इलाज न हो पाने की सूचना नहीं मिली है। ऐसी स्थिति में पशुओं से लोगों में फैलने का अनुमान लगाया जा रहा है। इस बैक्टीरिया को ले जाने वाला सबसे आम वेक्टर या पशु नौ-बैंड वाला आर्मडिलो हो सकता है।
इंडियन जर्नल ऑफ़ लेप्रसी के अनुसार, स्किन के घाव यदि कई महीनों के बाद भी ठीक नहीं होते हैं, तो यह लेप्रसी का लक्षण हो सकता है।त्वचा पर गांठें और उभार दिखाई देने लगती हैं, जो बाद में विकृत हो सकती हैं। त्वचा के नीचे की नसों को नुकसान होना, जिसके कारण स्किन में सुन्नता का एहसास होना। मांसपेशियों में कमजोरी आ सकती है।
इंडियन जर्नल ऑफ़ लेप्रसी के अनुसार, अब कुष्ठ रोग का इलाज संभव है। उपचार में कई महीनों तक मल्टीड्रग शामिल हो सकता है। वर्तमान में उपचार में तीन दवाएं शामिल की जा सकती हैं। डैपसोन, रिफैम्पिसिन और क्लोफ़ाज़िमिन। इस संयोजन को मल्टी-ड्रग थेरेपी (MDT) कहा जाता है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि यह बैक्टीरिया बहुत धीमी गति से बढ़ता है, जिसे रेप्लिकेट करने में सालों लग जाते हैं। इसलिए संपर्क का पता लगाना बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। इसलिए इसके उपचार में भी ज्यादा समय लग सकता है। इसमें छह महीने से लेकर 12 महीने भी लग सकते हैं।
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