क्या दिवास्वप्न है कोविड मुक्त दुनिया? जानिए इस बारे में क्या कहते हैं दुनिया भर के विशेषज्ञ

कोविड-19 की अलग-अलग लहरों में बहुमूल्य जीवन और संपदा खोने के बाद, हम सभी चाहते हैं कि इस घातक वायरस का जल्द से जल्द अंत हो। पर क्या इस साल हो पाएगा कोरोनावायररस महामारी का अंत?
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55 से ज्यादा देशों में फ़ैल चुका है 'पिरोला'। चित्र: शटरस्टॉक
Dr. S.S. Moudgil Updated: 28 Jan 2022, 04:31 pm IST
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यह एक सुंदर सपना है लेकिन अधिकांश वैज्ञानिक इसे असंभव मानते हैं। जनवरी में, न्यूयॉर्क स्थित पत्रिका नेचर (Nature) ने कोरोनावायरस (Coronavirus) पर काम कर रहे 100 से अधिक इम्यूनोलॉजिस्ट, संक्रामक-रोग शोधकर्ताओं और वायरोलॉजिस्ट से पूछा कि क्या इसे दुनिया से खत्म किया जा सकता है। लगभग 90% वैज्ञानिको का कहना था कि शायद कोरोनावायरस स्थानिक यानी  एंडेमिक (Endemic) स्थिति प्राप्त कर लेगा।” अर्थात आने वाले वर्षों के लिए वैश्विक आबादी के किसी न किसी क्षेत्र में यह सिर उठाए खड़ा रहेगा। यानि पेंडेमिक से निजात (End of coronavirus pandemic) मिल सकती है।

मिनियापोलिस में मिनेसोटा विश्वविद्यालय के एक महामारी विज्ञानी माइकल ओस्टरहोम कहते हैं कोविड की विदाई का ख्वाब चांद तक सीढ़ीनुमा रास्ते के निर्माण की योजना बनाने जैसा है, यानि अवास्तविक है।

एक तिहाई जैव वैज्ञानिको ने कहा है कि कुछ क्षेत्रों से SARS-CoV-2 को समाप्त करना मुमकिन है। जबकि यह दूसरों क्षेत्रों में इसका प्रसार होता रहेगा। शून्य-कोविड क्षेत्रों में बीमारी के प्रकोप का खतरा लगातार बना रहेगा, लेकिन अगर ज्यादातर लोगों को टीका लगाने व झुंड की प्रतिरक्षा (Herd Immunity) द्वारा जल्दी से काबू पाया जा सकता है।

ऑक्सफोर्ड, विश्वविद्यालय (UK) के महामारी वैज्ञानिक क्रिस्टोफर डाई कहते हैं, “मुझे लगता है कि कुछ देशों से COVID को समाप्त कर दिया जाएगा, लेकिन उन जगहों से निरंतर (और शायद मौसमी) जोखिम के साथ, जहां वैक्सीन कवरेज और सार्वजनिक-स्वास्थ्य उपाय पर्याप्त अच्छे नहीं रहे हैं, यह बना रहेगा।”

ये हो सकता है सबसे अच्छा परिदृश्य 

संभवत अब से पांच साल बाद, जब चाइल्डकेयर सेंटर में डॉक्टर माता-पिता को यह बताएं कि उनके बच्चे की नाक बह रही है और बुखार है, यह COVID-19 है जिसने 2020 में 1.5 मिलियन से अधिक लोगों की जान ले ली थी। मगर अब घबराने की बात नहीं है, क्योंकि यह घटक शक्ति खो चुका है। लोग मान भी जाएंगे, क्योंकि हम सभी को भूल जाने की आदत है।

Scientist future me iske cold & cough ke roop me maujud rahne ki ashanka jata rahe hain
वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि कोविड-19 किसी मौसमी बीमारी की तरह आपको लगातार परेशान कर सकती है। चित्र: शटरस्‍टॉक

यह एक ऐसा परिदृश्य है, जिसका सपना आज वैज्ञानिक देखते हैं। वायरस जुकाम जैसा हो जाता है। ऐसा तब संभव होता है जब लोग इसके लिए प्रतिरक्षा विकसित कर लेते हैं – या तो प्राकृतिक संक्रमण या टीकाकरण के माध्यम से। वे बीमार होते हैं, लेकिन उनमें गंभीर लक्षण नहीं होते।

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भविष्य में जुकाम-बुखार की तरह रह सकता है वायरस

जॉर्जिया के अटलांटा में एमोरी विश्वविद्यालय के एक संक्रामक-रोग शोधकर्ता जेनी लवाइन कहते हैं, हो सकता पांच बरस बाद वायरस केवल बच्चों में एक बार पर हल्के संक्रमण का कारण बनता दिखे या बिना किसी लक्षण के।

वैज्ञानिक इसे इसलिए संभव मानते हैं क्योंकि इस तरह से चार स्थानिक कोरोना वायरस , जिन्हें OC43, 229E, NL63 और HKU1 कहा जाता है, अब ऐसा व्यवहार करते हैं। इनमें से कम से कम तीन वायरस संभवतः मानव आबादी में सैकड़ों वर्षों से घूम रहे हैं। उनमें से दो लगभग 15% श्वसन संक्रमण के लिए जिम्मेदार हैं।

पिछले अध्ययनों के डेटा का उपयोग करते हुए, लैविन और उनके सहयोगियों ने एक मॉडल विकसित किया। जो दिखाता है कि कैसे अधिकांश बच्चे 6 साल की उम्र से पहले इन वायरस के साथ आते हैं और उनमें प्रतिरक्षा विकसित करते हैं।

लैविन कहते हैं, यह बचाव बहुत जल्दी खत्म हो जाता है। इसलिए यह पूरी तरह से पुन: संक्रमण को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है। मगर ऐसा लगता है कि यह वयस्कों को बीमार होने से बचाता है। बच्चों में भी, पहला संक्रमण अपेक्षाकृत हल्का होता है।

हर्ड इम्युनिटी है महत्वपूर्ण 

लेकिन वायरस को पूर्ण रूप से खत्म करने में नाकामी का मतलब यह नहीं है कि अब तक देखे गए पैमानों पर मौत, बीमारी या सामाजिक अलगाव जारी रहेगा। भविष्य बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि लोग संक्रमण या टीकाकरण के माध्यम से किस प्रकार की प्रतिरक्षा प्राप्त करते हैं और वायरस कैसे विकसित (Mutate) होता है।

Jald hi aap samanya jeewan ki or badhenge
जल्द ही आप सामान्य जीवन की ओर बढ़ेंगे। चित्र : शटरस्टॉक

इन्फ्लुएंजा और चार मानव कोरोनविर्यूज़ जो सामान्य सर्दी का कारण बनते हैं, वे स्थानिक हो चुके हैं। लेकिन वार्षिक टीकाकरण और हर्ड प्रतिरक्षा के कारण समाज में अधिक मौसमी मौत नहीं होती। अधिकांश लोग बीमारी को सहन कर सकते हैं, वह भी लॉकडाउन, मास्क और सामाजिक दूरी की आवश्यकता के बिना।

पर्यावरण संरक्षण है जरूरी 

विशेषज्ञों का कहना है वन्यजीवों का विनाश और जलवायु संकट मानवता को नुकसान पहुंचा रहा है। कोविड -19 एक ‘स्पष्ट चेतावनी’ है, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक एंडरसन ने कहा कि तत्काल प्राथमिकता लोगों को कोरोनावायरस से बचाना और इसके प्रसार को रोकना है। “लेकिन हमारी दीर्घकालिक प्रतिक्रिया को आवास और जैव विविधता के नुकसान से निपटना चाहिए।”

एंडरसन मानते हैं कि मानव प्रकृति पर बहुत अधिक दबाव डाल रहा है, जिसके हानिकारक परिणाम चेतावनी दे रहे हैं कि अपने ग्रह की देखभाल करने में विफल रहने का मतलब खुद की देखभाल में कोताही है।

प्रमुख वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि कोविड -19 का प्रकोप एक “स्पष्ट चेतावनी देता है कि वन्यजीवों में कहीं अधिक घातक बीमारियां मौजूद हैं। और आज की सभ्यता “आग से खेल रही है।” उन्होंने कहा कि यह लगभग हमेशा से मानव व्यवहार ही रहा है, जिसके कारण बीमारियां मनुष्यों में फैलती आई हैं ।

आगे के प्रकोप को रोकने के लिए, विशेषज्ञों ने कहा है कि हमें वैश्विक तापमान स्थिर रखने के लिए  खेती, खनन और आवास के लिए प्राकृतिक दुनिया के विनाश को रोकना होगा। क्योंकि ये खेती, खनन और आवास हेतु जंगल विनाश वन्यजीवों को लोगों के संपर्क में लाने का कारण बनाते हैं।

वन्य जीवों के आवास को न  छीनें 

उन्होंने अधिकारियों से जीवित पशु (Live stock) और अवैध वैश्विक पशु व्यापार बाजारों को बंद करने का भी आग्रह किया है। जिस वे बीमारी फैलाने के लिए “आदर्श मिश्रण का कटोरा” कहा है।

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यह आपकी सेहत के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। चित्र: शटरस्‍टॉक

वे कहते हैं, “हमारी प्राकृतिक प्रणालियों पर एक ही समय में बहुत अधिक दबाव होते हैं और हमें कुछ न कुछ देना ही पड़ता है। हम प्रकृति के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं, चाहे हम इसे पसंद करें या नहीं। अगर हम प्रकृति की देखभाल नहीं करेंगे, तो हम अपना ख्याल नहीं रख पाएंगे। जैसा कि हम इस ग्रह पर 10 अरब लोगों की आबादी की ओर बढ़ रहे हैं, हमें अपने सबसे मजबूत सहयोगी के रूप में प्रकृति से लैस भविष्य में जाने की जरूरत है।”

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Dr. S.S. Moudgil is senior physician M.B;B.S. FCGP. DTD. Former president Indian Medical Association Haryana State. ...और पढ़ें

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