हम सभी का चलने का स्टाइल अलग है, जो हमारे व्यक्तित्व का एक हिस्सा है। कुछ लोग बहुत तेज़ चलते हैं जबकि कुछ अन्य लोग धीमी गति में चलना पसंद करते हैं। आपके चलने का तरीका आपके और आपकी दैनिक गतिविधि पर निर्भर करता है। पर अगर आपकी चाल अपेक्षाकृत धीमी है और आप बहुत छोटे घेरे में ही चक्कर लगाती रहती हैं, तो उम्र बढ़ने पर आपके हृदय रोगों के जोखिम का खतरा बढ़ सकता है।
धीमी गति से चलने का मतलब सिर्फ यह नहीं है कि आप अपने गंतव्य तक देर से पहुंचेंगे, बल्कि यह आपके स्वास्थ्य पर भी कुछ गंभीर असर डाल सकता है। लोगों के चलने के बारे में पता लगाने के लिए किए गए कई अध्ययन बाताते हैं, कि धीमी गति से चलना एक से अधिक तरीकों से किसी व्यक्ति के लिए हानिकारक हो सकता है।
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शोधकर्ताओं के अनुसार, आपकी चलने की गति से वास्तव में अल्जाइमर जैसी बीमारियों के लक्षणों के विकसित होने की संभावना का अनुमान दशकों पहले लगाया जा सकता है।
अध्ययनों से पता चलता है कि 45 वर्षीय लोगों के मस्तिष्क और शरीर अन्य लोगों की तुलना में धीमी गति से चलने वाले होते हैं। उनका प्रतिरक्षा स्वास्थ्य, फेफड़े और दांत, सभी उन लोगों की तुलना में बदतर स्थिति में होते जो तेजी से चलते हैं। इसके अलावा, इन लोगों में मस्तिष्क की कुल वॉल्यूम कम, मस्तिष्क की सतह का क्षेत्रफल कम और मस्तिष्क में अधिक छोटे घाव भी थे।
जामा नेटवर्क ओपन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि शोधकर्ता इसका आसानी से मूल्यांकन कर सकते हैं कि कोई व्यक्ति अपनी मध्यम आयु में कितना तेज चल सकता है, उनके दिमाग को देखकर जब वे सिर्फ तीन साल के थे।
पेरिस आधारित मेडिकल रिसर्च के शोधकर्ताओं के अनुसार, धीमी गति से चलने वालों को हृदय रोग और उससे संबंधित कारणों से मरने की संभावना तीन गुना अधिक होती है। अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि धीमी गति से चलने वाले लोगों को हृदय संबंधी जोखिम अधिक होते हैं।
उनके तेजी से चलने वाले लोगों की तुलना में दिल का दौरा पड़ने, स्ट्रोक और संबंधित कारणों से मरने वालों की संभावना 2.9 गुना अधिक होती हैं। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों के मामले में आम था। ये निष्कर्ष पूरी तरह से किसी व्यक्ति की चलने की गति पर केंद्रित हैं। न कि उनकी उम्र या शारीरिक गतिविधि के स्तर पर।
इसके पीछे मुख्य कारण मधुमेह और उच्च रक्तचाप का खतरा हो सकता है। धीमी गति से चलने वालों के बीच दिल की समस्याओं की संभावना बढ़ जाती है। इस पर वैज्ञानिक अभी तक कुछ भी नहीं कर सकते हैं।
अतीत में कई अध्ययन किए गए हैं, जिन्होंने धीमी गति से चलने को मृत्यु के बढ़ते जोखिम के साथ जोड़ा है। इन अध्ययनों का मुख्य संदेश यह है कि लोगों को जीवन के हर चरण में अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्हें अधिक सक्रिय होना चाहिए और अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए और लंबे जीवन जीने के लिए अधिक शारीरिक गतिविधि में संलग्न होना चाहिए।
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