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अगले दो वर्ष में 15 लाख के पार हो सकते हैं कैंसर के मामले, जानिए क्या हैं इसके कारण

कैंसर से पीड़ितों का आकड़ा भारत में तेरह लाख को पार कर चुका है। हर साल 12 फीसदी की दर से बढ़ रहे कैंसर के मामलों के 2025 तक पंद्रह लाख को पार कर जाने का अनुमान है। आइए इसके लिए जिम्मेदार कारकों को समझें।
कैंसर से उबरने वाले लोगों में दोबारा कैंसर होने की संभावना बनी रहती है। यह उनके सामने गंभीर चुनौती पेश करती है। चित्र : अडोबी स्टॉक
योगिता यादव Updated: 23 Oct 2023, 09:06 am IST
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दुनिया भर में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। कैंसर न केवल स्वास्थ्य, बल्कि किसी भी देश या समाज की अर्थव्यवस्था के लिए भी घातक साबित हो रहा है। इससे न केवल बहुमूल्य धन-संपदा की हानि हुई है, बल्कि यह बेशकीमती मानव संसाधन की भी हानि है। हालांकि ये बात और है कि कैंसर के साथ ही स्वास्थ्य उद्योग में एक बड़ा सेक्टर तैयार हो गया है। जहां कैंसर की जांच परीक्षण (Cancer diagnosis) से लेकर उपचार (Cancer treatment) तक,  तकनीक और सर्विसेज में बहुत सारे लाेग कार्यरत हैं। आखिर क्या वजह है कि इतनी जागरुकता के बावजूद कोई भी देश कैंसर के बढ़ते मामलों पर लगाम नहीं लगा पाया है? आइए समझते हैं भारत में क्या है कैंसर के मामले (Cancer cases in India) और इसके लिए जिम्मेदार कारक।

यह जानने के लिए हमने बात की डॉ वेदांत काबरा से। डॉ वेदांत, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्‍टीट्यूट, गुरुग्राम में प्रिंसीपल डायरेक्‍टर, सर्जिकल ओंकोलॉजी हैं।

कैंसर की भयावहता को समझने के लिए यह जरूरी है कि हम नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम की  रिपोर्ट पर नजर डालें। यह रिपोर्ट वर्ष 2020 में जारी की गई थी। इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 तक भारत में 679,421 पुरुष कैंसर से ग्रस्त थे। बढ़ते मामलों के आधार पर यह अनुमान लगाया गया कि वर्ष 2025 तक यह आंकड़ा बढ़कर 763,575 तक पहुंच सकता है। वहीं कैंसर पीड़ित  महिलाओं की संख्या 2020 में 712,758 थी।  2025 तक इसके 806,218 तक पहुंच जाने का अनुमान है।

क्या है भारत में कैंसर के मामलों में तेज़ी के लिए ज़िम्मेदार कारक? 

डॉ वेदांत समग्र परिदृश्य का आकलन करते हुए जिन कारणों को इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं, उनमें शामिल हैं –

  1. बढ़ती जीवन प्रत्याशा, जिससे बढ़ती उम्र के साथ होने वाले कैंसर दिखते हैं।
  2. कैंसर और कैंसर की जांच के बारे में बढ़ती जागरूकता।
  3. जीवनशैली की आदतें जैसे तंबाकू, शराब, जंक फूड, वसा की अधिक और फाइबर की कम मात्रा।
  4. अत्यधिक तनाव होना, व्यायाम का अभाव (दिनभर बैठे रहना) कुछ ऐसे कारण हैं, जो कैंसर के कई मामलों की वजह हैं। ये कारण इतने आम हैं कि लगभग हर दूसरा व्यक्ति इनमें से किन्हीं दो कारणों की ज़द में है। यानी अगर चाहें तो इन्हें रोका जा सकता है।

पुरुष और महिलाओं के लिए अलग-अलग हैं कैंसर के आंकड़े 

महिलाओं में कैंसर:

महिलाओं में मिलने वाले कैंसर के मामलों में स्तन कैंसर इसका सबसे आम प्रकार है और महिलाओं में कैंसर के कुल मामलों में इसकी एक-चौथाई से अधिक हिस्सेदारी है। हालांकि, ग्रामीण महिलाओं में अब भी सर्वाइकल (गर्भाशय का मुंह) कैंसर के मामले सबसे अधिक मिलते हैं।

शहरी महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले ज्यादा आम हैं। चित्र: शटरस्टॉक

डॉ वेदांत कहते हैं, “स्तन कैंसर के मामलों में आ रही तेज़ी की एक मुख्य वजह जीवनशैली में आया पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव भी है। शहरी भारत (गुरुग्राम जैसे शहर) में स्तन कैंसर से पीड़ित कुल महिलाओं में से आधे से भी ज़्यादा की उम्र 50 वर्ष से कम है और यह आंकड़ा बेहद चिंताजनक है क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन के सबसे उत्पादक वर्ष होते हैं।”

पुरुषों में कैंसर:

मुंह, फेफड़े, पेट और बड़ी आंत कैंसर भारतीय पुरुषों में सबसे अधिक पाए जाने वाले कैंसर के प्रकार हैं। ये तंबाकू के सेवन (मुंह व फेफड़े) व खानपान की बदलती आदतों (पेट व बड़ी आंत) से संबंधित हैं। हालांकि, हाल के कुछ वर्षों के दौरान हमारे सामने जो ट्रेंड आया है उसमें फेफड़े के कैंसर से पीड़ित होने वाले कुछ मरीज़ ऐसे भी हैं, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया। कयास लगाए जा रहे हैं कि लगातार बढ़ता वायु प्रदूषण कई भारतीय शहरों में इस कैंसर के मामलों में आई तेज़ी की वजह है।

कैंसर रोगियों की जीवन प्रत्याशा 

भारत और पश्चिमी देशों में कैंसर के रोगियों का सर्वाइवल रेट यानी जीवन प्रत्याशा कम है। इसकी वजह की पड़ताल करते हुए डॉ वेदांत कहते हैं, “सामान्य रूप से हम देखते हैं कि कई प्रकार के कैंसर के लिए हमारे रोगियों की उम्र पश्चिमी देशों के कैंसर पीड़ितों के मुकाबले 10-15 साल कम है। इसकी वजह उपर्युक्त बताए गए जीवनशैली से जुड़े विभिन्न कारक, प्रदूषण और व्यापक स्तर पर कीटनाशकों का उपयोग व खाद्य पदार्थों में मिलावट हो सकती है।”

उपरोक्त कारकों के चलते सामान्य जन और कैंसर रोगियों दोनों की ही उम्र घटती जा रही है। वहीं सही उपचार न मिलने और कई बार क्षमता से अधिक महंगा उपचार हाेने के कारण भी लोग कैंसर का प्रभावी उपचार नहीं करवा पाते। जिससे उन लोगों की भी मृत्यु हो जाती है, जिन्हें सही उपचार से बचाया जा सकता था।

भारत में अब भी कैंसर रोगियों की जीवन प्रत्याशा पश्चिमी देशों के रोगियों की तुलना में कम है। चित्र: अडोबी स्टॉक

सिर्फ कैंसर रोगी ही नहीं, बल्कि उनके परिजनों, मित्रों और केयरगिवर्स में भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वे कई तरह के तनाव और अवसाद के शिकार होने लगते हैं। पर ऐसा नहीं है कि केवल महंगे उपचार या विदेशी उपचार से ही कैंसर से बचा जा सकता है।

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डॉ वेदांत उन जरूरी सावधानियों के बारे में भी बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर समय रहते कैंसर से बचा जा सकता है।

कैंसर से बचाव में मददगार साबित हो सकती हैं ये जरूरी सावधानियां 

  1. शरीर व मस्तिष्क को स्वस्थ रखना।
  2. किसी भी रूप (चबाने/धूम्रपान) में तंबाकू और शराब इत्यादि का सेवन करने वाली आदतों से दूर रहें
  3. स्वस्थ खाएं, स्थानीय स्तर पर उपलब्ध मौसमी खाद्य पदार्थों से बना ताज़ा भोजन करें और जंक फूड से परहेज़ करें
  4. तनाव दूर करने के लिए नियमित तौर पर व्यायाम, ध्यान और योग करें

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योगिता यादव

कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय। ...और पढ़ें

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