मलेरिया लंबे समय से एक भंयकर बीमारी रहा है। जबकि पिछले दो-तीन सालों में हम कोविड-19 का कहर देख चुके हैं। अब पिछले कुछ माह से एच3एन2 वायरस के मामले भी गंभीर हो गए हैं। इन तीनों में ही सबसे कॉमन फैक्टर है बुखार आना। यही वजह है कि लाेग तीनों के बीच कन्फ्यूज हो जाते हैं, कि आखिर आप किस बीमारी के शिकार हैं। इस बारे में विस्तार से बताने के लिए हमारे साथ हैं डॉ विजय कुमार गुर्जर।
डॉ विजय कुमार गुर्जर प्राइमस सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, नई दिल्ली में सीनियर कंसल्टेंट और गैरिआटिक सर्जरी विभाग के प्रमुख हैं। वे क्लिनिकल और नॉन क्लिनिकल चिकित्सा सेवाओं में 12 वर्षों से अधिक का अनुभव रखते हैं।
डॉ विजय कुमार गुर्जर कहते हैं बीते दो सालों से कोरोना वायरस ने आपना कहर पूरी दुनिया में मचा रखा है। यह समस्या होने पर किसी भी व्यक्ति को बुखार का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा एच3एन2 नामक वायरस का शिकार होने पर भी बुखार आता है। जबकि दुनिया में 88 प्रतिशत लोगों को अपना शिकार बनाने वाली मलेरिया की समस्या में भी बुखार आता है। तीनों की समस्या मिलती-जुलती है।
देश में कोरोना और एच3एन2 वायरस के चपेट में लोग अधिक संख्या में आ रहे हैं। दो से तीन माह बाद मानसून भी आ जाएगा। तब मलेरिया अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू करेगा। तब इन तीनों वायरस की पहचान कैसे हो सकेगी। लोगों को कैसे अंदाजा होगा कि वह किस समस्या का शिकार हो रहे हैं।
डब्लूएचओ की रिपोर्ट बताती है कि 2019 में दक्षिण-पूर्व् एशिया में मलेरिया के 88 प्रतिशत मामले सामने आए थे। तब मलेरिया को लेकर अपने देश में भी चिंता बढ़ गई थी। अब मलेरिया के साथ दो वायरस और भी अपना प्राकोप दिखाने को तैयार हैं। समस्या होने से पहले ही यह जान लेना जरूरी है कि व्यक्ति कौन सी बीमारी का शिकार हुआ है। तीनों बीमारियों के प्रथमिक लक्षण एक समान होते हैं। समस्या ज्यादा बड़ी हो उससे पहले तीनों के बीच का अंतर जान लेना फायदेमंद होगा।
मलेरिया कोविड-19 और एच3एन2 वायरस से अलग है। मलेरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक नहीं फैलता। मलेरिया में प्लाज्मोडियम परजीवी संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से फैलता है। वहीं, कोविड-19 अपना शिकार SARS-CoV-2 नामक वायरस के कारण बनाता है।
यह वायरस सांस की बूंद से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचता है। एच3एन2 वायरस इन्फ्लूएंजा वायरस सांस की बूंद और गंदगी दोनों के कारण फैलता है। शुरूआती तौर पर तीनों के लक्षण एक समान लगते हैं। लेकिन तीनों में बारीक अंतर है।
कोरोना, मलेरिया या एच3एन2 नामक वायरस का शिकार होने पर लोगों को सिरदर्द, बुखार, बदन टूटना जैसी समस्याओं के अलावा कई और लक्षण होते हैं, जो तीन मामले में एक हैं। मलेरिया में ठंड लगना, मतली, उल्टी, मांसपेशियों में दर्द जैसी समस्याएं हो जाती हैं। मलेरिया को समय पर नहीं पहचाना गया, तो यह व्यक्ति के शरीर को कमज़ोर और पतला कर देगा।
वहीं एच3एन2 और कोविड-19 के शिकार लोगों को खांसी, बुखार, नाक बहना, गले में दिक्कत प्राथमिक लक्षण हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि कोविड-19 में गंध की कमी और सांस लेने में तकलीफ होती है। तीनों के लक्षण में बहुत बारीक फर्क है।
इस दौरान बीमारी के बीच अंतर समझा जा सकता है। कोविड-19 के लक्षण 5 से 6 दिन के भीतर नजर आ जाते हैं, कभी-कभी 2 से 14 दिन में भी नजर आते हैं। एच3एन2 नामक वायरस अपना लक्षण 1 से 4 दिन में दिखाता है। वहीं, मलेरिया एक सप्ताह से लेकर महीनों तक समस्या का कारण बना रहता है।
तीनों बीमारियों का उपचार अलग है। मलेरिया से बचने के लिए और इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए मलेरिया रोधी दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। कोविड से बचाव के लिए देखभाल, टीकाकरण और दवा का सहारा लेना पड़ता है। अंत में एच3एन2 नामक वायरस से बचने के लिए एंटीवायरल एजेंट का प्रयोग किया जाता है।
मलेरिया को पहचानने के लिए खून की जांच होती है, जिसमें मलेरिया एंटीजन का पता चलता है। एच3एन2 में भी एंटीजन टेस्ट होता है। जबकि कोविड के लिए आरटीपीसीआर जांचा होती है। जिसमें हमें कौन सी बीमारी है या नहीं भी, इसका पता चलता है।
डॉ विपिन कहते हैं ट्रांसमिशन मोड, लक्षण, इनक्यूबेशन पीरियड, उपचार के तरीके, निदान की मदद से तीनों को समझने मेें अधिक मदद मिल सकती है। तीन में से कोई भी समस्या होने पर अपने घर के आसपास पास अच्छे डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। घर पर किसी समस्या का उपचार करने से बचें।
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