आपका प्रोफेशन और सोहबत, दोनों बढ़ा सकते हैं आपके लिए डिमेंशिया का जोखिम
मस्तिष्क कोशिकाओं के धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होने की बीमारी को डिमेंशिया के नाम से जाना जाता है। इसमें व्यक्ति धीरे-धीरे सबकुछ यहां तक कि अपनी पहचान भी भूलने लगता है। एक दशक पहले तक बहुत कम लोगों में होने वाली यह समस्या अब बहुत तेजी से बढ़ रही है। इस संदर्भ में कुछ ताजा शोध उल्लेखनीय हैं। जिनमें यह खुलासा किया गया है कि नेगेटिव माहौल में रहने वाले लोगों को डिमेंशिया का जोखिम ज्यादा होता है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
पहले समझिए क्या है डिमेंशिया
नर्व सेल्स डैमेज होने के कारण डिमेंशिया (Dementia) की समस्या होती है। डिमेंशिया में अलग-अलग लोगों में विभिन्न प्रकार के लक्षण देखने को मिलते हैं। यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं कि हर किसी में एक ही लक्षण नजर आए। आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर अलग-अलग लक्षण नजर आने के कारण क्या है? डिमेंशिया के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि व्यक्ति के दिमाग के किस हिस्से की नर्व प्रभावित हुई है।
डिमेंशिया में दिखाई देते है यह लक्षण (Symptoms of dementia)
पर्सनालिटी चेंज
डिप्रेशन
एंग्जाइटी
असामान्य व्यवहार
एजीटेशन
हैलुसिनेशन
स्टडीज कहती हैं कि दिन प्रतिदिन बढ़ रही खतरनाक समस्या डिमेंशिया के पीछे 3 प्रमुख कारण हैं – सोशियो इकनोमिक स्टेटस, आपके आसपास का वातावरण और आपका बैकग्राउंड। तो चलिए जानते हैं किस तरह यह फैक्टर्स डिमेंशिया को उत्तेजित करते हैं।
ये तीन कारण बढ़ा सकते हैं किसी भी व्यक्ति में डिमेंशिया का जोखिम
1 सोशियो इकनोमिक स्टेटस
इनकम, एजुकेशन और ऑक्यूपेशन यह सभी सोशियो इकोनामिक स्टेटस के तहत आते हैं। सोशियो इकोनामिक स्टेटस यह बताता है कि आप सेहत और अन्य महत्वपूर्ण रिसोर्सेज से कितना ज्यादा जुड़ सकती हैं। विभिन्न देशों में इसके लिए शोध किए गए।
इनमें यह पाया गया कि जिनका सोशियो इकनोमिक स्टेटस अच्छा होता है, उनमें डिमेंशिया के डिवेलप होने की संभावना बहुत कम होती है। वहीं जिनके पास पर्याप्त मात्रा में फाइनेंशियल रिसोर्सेस हैं वह खुद को एक बेहतर हेल्थ केयर, एजुकेशन और न्यूट्रिशन दे सकते हैं। एक हेल्दी लाइफ़स्टाइल डिमेंशिया को प्रभावी होने से रोकता है।
2 आसपास का वातावरण
आपके आसपास में रह रहे लोगों का हाउसहोल्ड इनकम, अनइंप्लॉयमेंट रेट और अन्य व्यक्तिगत चीजें भी डिमेंशिया की संभावना बढ़ा देती हैं। इसके साथ ही आसपास का वातावरण हमारे बर्ताव और स्वास्थ्य के लिए एक सबसे बड़ा फैक्टर होता है। यदि आपके अगल बगल के लोग पूरे दिन नकारात्मक गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं, तो आपका दिमाग खुद ब खुद नेगेटिविटी की ओर जाता है।
3 बैकग्राउंड
स्टडीज के अनुसार माता-पिता का एजुकेशनल बैकग्राउंड बच्चों के डिमेंशिया की संभावना से जुड़ा होता है। माता-पिता का एजुकेशनल बैकग्राउंड बहुत कम हो तो बच्चे का मेमोरी परफॉर्मेंस प्रॉपर तरीके से काम नहीं कर पाता। इसके साथ ही फैमिली हिस्ट्री जैसे कि माता-पिता या परिवार में किसी को भी डिमेंशिया रहा हो, तो आगे की जनरेशन भी इस समस्या की शिकार बन सकती हैं।
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