कोविड-19 कोरानावायरस में अब भी हम अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं। भारत जैसे विकासशील देशों में सबसे ज्यादा डर कम्यूनिटी स्प्रेड (Community spread) यानी सामुदायिक संक्रमण का था। सौभाग्य से अभी हम इससे दूर हैं। पर अनलॉक 3.0 (Unlock 3.0) की खबरों के बीच आपको यह भी जान लेना चाहिए कि अगर आप स्मोकिंग करती हैं, तो आप कोरोनावायरस के सामुदायिक संक्रमण का कारण बन सकती हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल से श्वसन संबंधी संक्रमण बढ़ सकता है और ऐसे लोग कोरोना वायरस की चपेट में आने के लिहाज से अधिक संवेदनशील हैं। जबकि इससे अंतर्सबंधित गतिविधियां आपके परिवार और समुदाय के लिए भी कोरोनावायरस का जोखिम बढ़ा देती हैं।
धूम्रपान करने वाले लोगों के कोविड-19 की चपेट में आने का खतरा अधिक है, क्योंकि धूम्रपान करने से हाथ से मुंह तक विषाणु के जाने की आशंका अधिक रहती है।
मंत्रालय ने ‘कोविड-19 वैश्विक महामारी और भारत में तंबाकू का इस्तेमाल विषय पर अपने दस्तावेज में कहा कि विशेषज्ञों ने पुष्टि की है कि धूम्रपान करने वालों में कोरोना वायरस के अधिक गंभीर लक्षण दिखने या उनके मरने की आशंका अधिक है। क्योंकि यह सबसे पहले फेफड़ों पर हमला करता है। इसलिए ऐसे किसी भी उत्पाद का सेवन करने के खिलाफ आगाह किया गया है जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है।
उंगलियों के होठों के संपर्क में आने के कारण स्मोकिंग करने वालों को कोविड-19 की चपेट में आने का ज्यादा रिस्क रहता है। जबकि जो लोग पाइप या हुक्का जैसे धूम्रपान उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं, वे भी इसकी रिस्क जोन में सबसे ज्यादा हैं। उनके साथ और आसपास रहने वाले लोग भी पेसिव स्मोकिंग के कारण इसके रिस्क जोन में आ जाते हैं।
धूम्रपान, ई-सिगरेट, बिना धुएं वाले तंबाकू, पान मसाला और ऐसे ही उत्पादों के इस्तेमाल से फेफड़ों संबंधी संक्रमण का खतरा और तीव्रता बढ़ सकता है।
तंबाकू उत्पादों (खैनी, गुटखा, पान, जर्दा) चबाने के बाद थूकना पड़ता है। सार्वजनिक स्थानों पर थूकने से स्वास्थ्य संबंधी खतरा बढ़ता है खासतौर से कोविड-19, टीबी, स्वाइन फ्लू, इंसेफैलाइटिस जैसे संक्रामक रोग फैलते हैं।
तंबाकू उत्पाद चार मुख्य गैर संचारी बीमारियों दिल की बीमारी, कैंसर, फेफड़ों की बीमारी और मधुमेह के रोगियों के लिए बड़ा खतरा है। ऐसे लोगों में कोविड-19 की चपेट में आने से गंभीर लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
तंबाकू उत्पादों में जो रसायन होते हैं वे विभिन्न प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिकाओं की गतिविधि को दबाते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ”धूम्रपान करने से फेफड़ों की कार्यप्रणाली बाधित होती है, जिससे प्रतिरक्षा क्षमता कम होती है और शरीर के लिए विभिन्न बीमारियों से लड़ना मुश्किल हो जाता है।
(समाचार एजेंसी भाषा से प्राप्त इनपुट के साथ)
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