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इस नए शोध के अनुसार चश्मा पहनने वालों में कम होता है कोविड-19 से संक्रमित होने का जोखिम

चीन के एक नवीन अध्ययन में पाया गया कि चश्मा पहनने वालों में कोविड-19 संक्रमण की सम्भावना कम होती है।
Published On: 18 Sep 2020, 07:57 pm IST
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आंखों पर चश्मा पहनना भी आपके संक्रमण के रिस्क को कम कर सकता है।चित्र-शटरस्टॉक।

आज के समय में हमारा सबसे बड़ा डर है कोरोनावायरस। घरों से न निकलने से लेकर मास्क पहनने तक, हम कोविड-19 संक्रमण का रिस्क कम करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। लेकिन यह आपको नहीं मालूम होगा कि आंखों पर चश्मा पहनना भी आपके संक्रमण के रिस्क को कम कर सकता है।

क्या कहती है यह स्टडी?

जर्नल JAMA ऑप्थल्मोलॉजी मे प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार चश्मा पहनने वाले व्यक्तियों में कोरोनावायरस का जोखिम 5.8 प्रतिशत था, जबकि चश्मा न पहनने वाले व्यक्तियों में यह सम्भावना 31.4 प्रतिशत थी।

चीन के सुइज़्हौ प्रांत में अस्पतालों के डेटा के अनुसार इस अध्ययन को अंजाम दिया गया।
इस अनुसार यह परिकल्पना तैयार की गई है कि चश्मा पहनने से कोरोनावायरस आंख में माध्यम से शरीर में प्रवेश नहीं कर सकेगा। जी हां! आंखों से भी शरीर में घुस सकता है कोरोनावायरस।

कोविड-19 के बारे में जानना भी जरूरी है। चित्र: शटरस्‍टॉक

आंखों से भी आपके शरीर में घुस सकता है वायरस

पिछले दिनों सामने आई इस नई जानकारी ने कोरोनावायरस के और खतरनाक होने का प्रमाण दिया जब पाया गया कि SARS-CoV-2 वायरस आंखों के माध्यम से भी शरीर में प्रवेश कर सकता है।

मौजूदा डेटा के अनुसार 12 प्रतिशत कोविड-19 मरीजों में संक्रमण का कारण ऑक्युलर मनिफेस्टेशन यानी आंखों के माध्यम से हुआ है। यह जानकारी सामने तब आयी जब तेजी से आंखों के डॉक्टर कोविड-19 से इफेक्ट होने लगे। शोध में पाया गया कि कोविड-19 मरीजों की आंखों के कंजंक्टिवल सैक में कोरोना वायरस मौजूद था। यही नहीं कई मरीजों के टीयर ग्लैंड यानी आंसू की ग्रंथि में भी कोरोना वायरस पाया गया।

आंखों से भी हो सकता है कोविड-19. चित्र: शटरस्‍टॉक

शोधकर्ताओं का कहना है, “हमारी आंखों पर सामान्य तौर पर कोई प्रोटेक्शन नही होता। SARS-CoV-2 के रिसेप्टर्स एंजियोटेनसिन और एंजाइम 2 आखों की सरफेस पर पाए गए जो यह स्पष्ट करते हैं कि वायरस आंखों के माध्यम से शरीर में पहुंचा है, न कि शरीर में पहुंचने के बाद आंखों तक फैला है।”

कैसे चश्मा लगाना है मददगार?

रिसर्च पेपर के अनुसार हाथों से आंखों में कोरोना वायरस ट्रांसफर होने की बहुत अधिक सम्भावना हैं क्योंकि कोई भी आम व्यक्ति एक घण्टे में दस या अधिक बार अपनी आंखों को छूता है।

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प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?

शोधकर्ताओं ने बताया, “चश्मा लगाने पर आप सीधे आंख पर हाथ नहीं लगाते, आप छूते भी हैं तो चश्मे को छूते हैं। यह कोविड-19 संक्रमण की सम्भावना को उल्लेखनीय रूप से कम करता है।”
इस स्टडी के रिव्यू के तौर पर जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन की प्रोफेसर और एपिडेमोलॉजिस्ट डॉ लिसा मरागकिस इस स्टडी का समर्थन करती हैं। गौरतलब है कि डॉ मरागकिस इस स्टडी से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सम्बंधित नहीं हैं।

डॉ मरागकिस कहती हैं, “आंखों से कोविड-19 का संक्रमण सम्भव तो है ही, साथ ही बहुत आम भी है। सभी सरकारों को आंखों के प्रोटेक्शन पर भी गाइडलाइंस बनाने चाहिए। जैसा कि यह स्टडी बताती है, चश्मा या किसी प्रकार की परत अगर आंखों पर हो तो यह संक्रमण रोका जा सकता है।”

आंखों का बचाव भी मास्क पहनने जितना ही जरूरी है। चित्र- शटरस्टॉक।

शोधकर्ताओं की भी अपील है कि आंखों के माध्यम से होने वाले इस संक्रमण पर ध्यान दिया जाए। जिस तरह दस्ताने और मास्क पहनने पर जोर दिया जा रहा है, आंखों के लिए भी प्रोटेक्टिव लेयर पहनी जाए।

यह कोविड-19 संक्रमण से सम्बंधित बहुत महत्वपूर्ण जानकारी है और यह आवश्यक है कि इस पर तुरन्त ध्यान दिया जाए। कोरोना वायरस के बारे में हर दिन नई जानकारी सामने आ रही है और अनलॉक के बाद लोगों ने घरों से निकलना भी शुरू कर दिया है। ऐसे में यह समझना बहुत जरूरी है कि हम अभी इस वायरस के विषय में बहुत कम जानते हैं। यह समझ लेना कि मास्क पहनने से आप सुरक्षित हो गए, गलत होगा। सावधान रहना ही एकमात्र ऐसा कदम है जो हम उठा सकते हैं।

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
विदुषी शुक्‍ला
विदुषी शुक्‍ला

पहला प्‍यार प्रकृति और दूसरा मिठास। संबंधों में मिठास हो तो वे और सुंदर होते हैं। डायबिटीज और तनाव दोनों पास नहीं आते।

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