अगस्त में आ सकती है कोरोनावायरस की तीसरी लहर, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट में कांवड़ यात्रा को लेकर अब भी रस्साकशी जारी है। धार्मिक आस्था रखने वालों के लिए यह बेहद संवेदनशील मुद्दा हो सकता है। पर्यटन प्रेमियों का हाल हमने हिमाचल के एक झरने के नीचे लगी भीड़ में देख ही लिया था। लब्बो लुआब ये कि कोरोना की दूसरी लहर में प्रियजनों को खोने के बाद भी हमने तीसरी लहर से बचने का मन नहीं बनाया। धर्म, पर्यटन, शादियां, मौजमस्ती… किसी के लिए भी हम अपने स्वास्थ्य को दांव पर लगाने को तैयार हैं। शुक्रवार को आईसीएमआर ने आगाह किया है कि लोगों की लापरवाही से देश में जल्दी ही कोरोनावायरस की तीसरी लहर (Coronavirus Third wave) दस्तक दे सकती है।
अगस्त में आ सकती है तीसरी लहर
देश के विभिन्न हिस्सों में लोग जिस प्रकार कोविड महामारी के दौरान पर्यटन स्थलों और अन्य स्थानों पर जाकर कोरोना मानकों का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन कर रहे हैं, उसे देखते हुए यही लगता है कि लोगों ने कोरोना की अप्रैल-मई वाली दूसरी लहर से कोई सबक नहीं लिया। अगर जनता का यही रवैया रहा, तो कोरोना की तीसरी लहर अगस्त माह के अंत में आ सकती हैं।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महामारी और संक्रामक रोग विभाग के अध्यक्ष डा. समिरन पांडा ने एक निजी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि लोग जिस तरह कोरोनावायरस के प्रति लापरवाह हो गए हैं, उसे देखते हुए अगस्त के अंत तक कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है। हालांकि यह कितना घातक होगा अभी इस बारे में कोई भी पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता।
तीसरी लहर में काम नहीं आएगी पहले वाली प्रतिरक्षा
कोरोनावायरस की तीसरी लहर हिट करने को तैयार है। अगर आपको लग रहा है कि कोरोनावायरस की पहली और दूसरी हिट में संक्रमित होने से आपने वायरस के लिए प्रतिरक्षा अर्जित कर ली है, तो आप गलत हैं।
महामारी और संक्रामक रोग विभाग के अध्यक्ष डा. समिरन पांडा की मानें तो तीसरी लहर के लिए चार कारक जिम्मेदार हो सकते हैं। इनमें पहला कारण लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर पड़ना भी शामिल है। जो उन्होंने कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान अर्जित की थी। अगर लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली में कमी आती है, तो यह कोरोना की तीसरी लहर के लिए काफी बड़ा कारक हो सकता है।
डेल्टा और डेल्टा प्लस हैं खतरनाक
डा. पांडा ने कहा कि कोरोना विषाणु का नया वेरिएंट भी काफी हद तक कोरोना की तीसरी लहर के लिए जिम्मेदार हो सकता है और और यह काफी आसानी से जनसंख्या में फैल सकता है।
अब जल्दबाजी में लॉकडाउन प्रतिबंध हटाए जा रहे हैं और यह कदम भी घातक हो सकता है। देश में इस समय डेल्टा और डेल्टा प्लस कोरोना वेरिएंट अपनी उपस्थिति दिखा चुका है।
शरीर की 10 अंग प्रणालियों को प्रभावित कर सकता है कोविड
कोविड-19 से संबंधित एक नई अनुसंधान रिपोर्ट में कहा गया है कि जो लोग इस बीमारी से लंबे समय तक पीड़ित रहते हैं, उन्हें 10 अंग प्रणालियों से जुड़े 200 से अधिक लक्षण होते हैं। पत्रिका ‘ईक्लिनिकलमेडिसिन में प्रकाशित अनुसंधान रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोना वायरस से लंबे समय तक संक्रमित रहने वाले लोगों की 10 अंग प्रणालियों में 203 लक्षणों का पता चला, जिनमें से 66 लक्षणों पर सात महीने तक नजर रखी गई।
देर तक रह सकते हैं 200 से ज्यादा लक्षण
उपरोक्त अध्ययन में 56 देशों के 3,762 लोगों को शामिल किया गया। इससे प्राप्त डाटा के अनुसार कोविड-19 के लक्षणों में थकान, दृष्टि विभ्रम, अंगों में कंपन, त्वचा में खुजली होने, मासिक चक्र में बदलाव, यौन निष्क्रियता, हृदय संबंधी समस्या, मेमोरी लॉस, धुंधला दिखाई देने, अतिसार, टिनिटस (कान में सीटी बजने, झींगुरों की आवाज, कबूतरों की गुटरगूं, वाहनों की आवाज सुनाई देने इत्यादि) जैसी समस्याएं शामिल हैं।
यूनिवसिर्टी कॉलेज लंदन में तंत्रिका तंत्र विज्ञानी अथीना अकरमी चेतावनी देते हैं कि इन लक्षणों में तंत्रिका तंत्र से जुड़े विकार भी शामिल हैं। हालांकि लंबे समय तक कोविड रहने को लेकर काफी चर्चा हुई है, लेकिन ऐसे लोगों पर किए गए कुछ ही प्रणालीगत अध्ययन अभी तक उपलब्ध हो पाए हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी जाहिर की चिंता
इसी हफ्ते देश में चिकित्सकों के शीर्ष निकाय इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी कहा था कि देश में विभिन्न हिस्सों में लोग जिस प्रकार पर्यटन स्थलों पर जाकर कोरोना मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि कोरोना की तीसरी लहर आसन्न है।
उत्तर प्रदेश सरकार के कांवड़ यात्रा को अनुमति देने के फैसले पर उच्चतम न्यायालय पहले ही नाराजगी जता चुका है और इसी के चलते उत्तराखंड सरकार ने अपनी सीमाओं को एहतियात के तौर पर बंद कर दिया है।
मास्क के प्रति भी लापरवाह हो रहे हैं लोग
कोविड-19 के तमाम वेरिएंट में सुरक्षा की सबसे पुख्ता गारंटी माने जाने वाले मास्क के प्रति भी अब लोग लापरवाह होने लगे हैं। इसके पीछे दो तरह की सोच काम करती हैं, पहला लोगों को लग रहा है कि संक्रमित होने के बाद उनमें एंटीबॉडी डेवलप हो चुकी हैं। जबकि दूसरी तरह के लोगों के पास मास्क न पहनने के और कई हजार कारण हैं।
हजार कारणों को भूलकर अपनी सेहत का सिर्फ एक कारण याद रखिए और बस कुछ दिन और मास्क, सेल्फ लॉकडाउन और सुरक्षा के उपायों का पालन करें। सेहत है, तो धर्म है, आस्था है, मौजमस्ती है और पर्यटन है।
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(समाचार एजेंसी भाषा और वार्ता से प्राप्त इनपुट के साथ)