ये 2 वैक्सीन कम कर सकती है निमोनिया से होने वाली मौतों का जोखिम

निमोनिया फेफड़ों का गंभीर किस्‍म का श्‍वसन संक्रमण है, जो दुनिया भर में हर साल लाखों लोगों को अपनी चपेट में लेता है। दुनिया भर में निमोनिया से होने वाली पचास फीसदी मौतें भारत में होती हैं। जबकि इससे बचना मुमकिन है।

vaccine Pneumonia ke risk ko kam kar sakti hai
शोध बताते हैं कि वैक्सीन के बाद निमाेनिया के संक्रमण को घातक होने से बचाया जा सकता है। चित्र: शटरस्टॉक
Dr. Nikhil Bante Published on: 12 Nov 2022, 22:11 pm IST
  • 132

निमोनिया (Pneumonia) से प्रभावित ज्‍यादातर वयस्‍क 65 वर्ष से अधिक और 5 वर्ष से कम उम्र के होते हैं। इस रोग की वजह से उनके गंभीर रूप से बीमार पड़ने तथा मृत्‍यु की आशंका भी अधिक होती है। दुनिया भर में निमाेनिया से होने वाली मौतों का 50 फीसदी भारत में है। जबकि इससे बचाव की वैक्सीन पहले से ही उपलब्ध हैं। इस वर्ल्ड निमोनिया डे (World Pneumonia Day) पर आपको जानने चाहिए बच्चों और बुजुर्गों के लिए घातक साबित होने वाले इस संक्रमण से बचाव (How to prevent Pneumonia) के तरीकों के बारे में।

जिन वयस्‍कों को पहले से ही अन्‍य रोग जैसे कि उच्‍च रक्‍तचाप, मधुमेह, सांस संबंधी रोग जैसे दमा, सीओपीडी, हृदय रोग, गुर्दा रोग और जिगर के रोग, कैंसर, एचआईवी होते हैं या जो लंबे समय से शराब और धूम्रपान की लत के शिकार हैं, उन्‍हें भी जीवनघाती निमोनिया की आशंका अधिक होती है।

क्या है निमोनिया का कारण 

निमोनिया का कारण वायरस, बैक्‍टीरिया या फंगी हो सकता है और इससे बचाव के लिए टीकाकरण (इम्‍यु‍नाइज़ेशन), समुचित पोषण प्रभावशाली होता है। साथ ही, वातावरण संबंधी पहलुओं पर भी ध्‍यान देने से फायदा मिलता है।

Pneumonia lungs ka infection hai
निमाेनिया फेफड़ों का गंभीर किस्म का संक्रमण है। चित्र: शटरस्टॉक

इसके अलावा, साफ-सफाई की कुछ सामान्‍य आदतों पर भी गौर करना जरूरी है, जैसे कि नियमित रूप से हाथ धोना, बार-बार स्‍पर्श होने वाली सताहों की सफाई और उसे डिसइंफेक्‍ट करना, खांसते या छींकते हुए टिश्‍यू या कुहनियों या बाजुओं का इस्‍तेमाल करना, सिगरेट के धुंए के कम संपर्क में आना या धूम्रपान छोड़ना।

साथ ही, अपने अन्‍य रोगों जैसे कि दमा, मधुमेह, या हृदय रोगों की तरफ भी ध्‍यान देने से आप खुद को श्‍वसन संबंधी संक्रमणों से बचा सकते हैं।

वैक्सीन कर सकती है सुरक्षा 

भारत में वयस्‍को को कोविड-19 या इंफ्लुएंज़ा, और निमोकोकल रोगों एवं बच्‍चों को हिमोफिलस इंफ्लुएंजी टाइप बी (एचआईबी), मीज़ल्‍स, परट्यूसिस, और वेरिसेला (चिकन पॉक्‍स) से सुरक्षा दिलाने के लिए वैक्‍सीन उपलब्‍ध हैं, जो कि उनका निमोनिया से बचाव करती हैं।

सीडीसी बच्‍चों तथा 65 साल से अधिक उम्र के सभी वयस्‍कों को निमोकोकल वैक्‍सीनेशन की सलाह देती है। हालांकि 19 से 64 वर्ष की आयुवर्ग के लोगों में निमोकोकल रोगों का जोखिम ज्‍यादा होता है। इसके अलावा, हर साल इंफ्लुएंज़ा (फ्लू) वैक्‍सीन लेना भी मददगार होता है, क्‍योंकि बार-बार फ्लू से निमोकोकल रोगों का जोखिम बढ़ता है।

दो तरह की हैं निमोकोकल वैक्सीन 

भारत में दो प्रकार की निमोकोकल वैक्‍सीन उपलब्‍ध हैं, जो निमोकोकल रोगों से बचाव करती हैं। एक है निमोकोकल कंज्‍यूगेट वैक्‍सीन या पीसीवी 13 और दूसरी पीपीएसवी 23 या निमोकोकल पोलीसैक्‍राइड वैक्‍सीन कहलाती है। ये दोनों ही वैक्‍सीन सुरक्षित हैं और इनके हल्‍के-फुल्‍के साइड इफेक्‍ट्स में बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, टीके के स्‍थान पर दर्द हो सकता है।  जो कि कुछ दिनों में खुद ही चला जाता है।

pneumonia ke lakshan
वैक्सीन निमाेनिया के लक्षणों को गंभीर होने से बचा सकती है।चित्र : शटरस्टॉक

ये दोनों प्रकार की निमोकोकल वैक्‍सीन आपके शरीर को निमोकोकल बैक्‍टीरिया से बचाव करने वाली एंटीबॉडीज़ बनाने के लिए उकसाती हैं। एंटीबॉडीज़ एक प्रकार की प्रोटीन होती हैं, जो शरीर को रोगाणुओं एवं टॉक्सिन्‍स को बेअसर करने या उन्‍हें नष्‍ट करने में मददगार होती हैं। बैक्‍टीरिया संक्रमित होने पर एंटीबॉडीज़ आपको रोग से बचाती हैं।

अध्‍ययनों के अनुसार पीसीवी13 का कम से कम एक टीका लेने का प्रभाव इस प्रकार रहा:

10 में से कम से कम 8 शिशुओं का गंभीर संक्रमण से बचाव, 65 साल या अधिक उम्र के 4 में से 3 वयस्‍कों का गंभीर निमोकोकल रोगों से बचाव, 65 वर्ष या अधिक उम्र के 20 में से 9 वयस्‍कों का निमोकोकल निमोनिया से बचाव।

पीपीएसवी23 के एक टीके से मिलती है ये सुरक्षा:

10 में से 6 स्‍वस्‍थ वयस्‍कों का निमोकोकल रोगों से बचाव। निमोकोकल वैक्‍सीनेशन होने पर गंभीर संक्रमण से सुरक्षा मिलती है। साथ ही, इसके चलते रोग के लक्षणों से भी जल्‍द छुटकारा मिलता है। निमोकोकल निमोनिया से ग्रस्‍त वयस्‍क मरीज़ों को इलाज के लिए अस्‍पताल में कम अवधि के लिए रुकना पड़ना है। इस प्रकार ये मौजूदा टीकाकरण को भी सपोर्ट देती हैं और स्‍वास्‍थ्‍यप्रदाताओं को लक्षित आबादी वर्ग के बीच निमोकोकल वैक्‍सीन कवरेज बढ़ाने के लिए प्रोत्‍साहन देना चाहिए।

यह भी पढ़ें – ये 5 संकेत बताते हैं कि आपके स्वास्थ्य के साथ है कुछ गड़बड़, भूल कर भी न करें इन लक्षणों को इग्नोर

  • 132
लेखक के बारे में
Dr. Nikhil Bante Dr. Nikhil Bante

Dr. Nikhil Bante is Senior Consultant, Pulmonology, Fortis Hospital Vasant Kunj ...और पढ़ें

स्वास्थ्य राशिफल

स्वस्थ जीवनशैली के लिए ज्योतिष विशेषज्ञों से जानिए अपना स्वास्थ्य राशिफल

सब्स्क्राइब
nextstory

हेल्थशॉट्स पीरियड ट्रैकर का उपयोग करके अपने
मासिक धर्म के स्वास्थ्य को ट्रैक करें

ट्रैक करें